Book Title: Jain Shwetambar Conference Herald 1910 Book 06
Author(s): Mohanlal Dalichand Desai
Publisher: Jain Shwetambar Conference
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જૈન કોન્ફરન્સ હેરલ્ડ.
(भार्य.
स्टीयों को सूचित किया कि इस मेले का कुकुंपत्रिका छपवा कर सारे म ट्वेके मुख्य
स्थलों में भेजादिजावे, इधरसे आपने साध्वीजी महाराज देवश्रीजी आदि ठाणा ? १ जिनका 'तुम स प्रतापगढ़ था,-बई पधारने के विनंति कर मंजुरी लेली, इससे लोगों का उल्लाह अधिकसे बई जानेके लिर बढ गया, श्रीयुत शेठजीको यद्यपि मक्षी अदिके मेले पर मारने के लिए मिंत्रण पत्रिका पहुंच गईथी तदपि आपने वई पधारना ही उचित समझा और मी मले पर ठारी शेरसिंहजा उपदेशक जैन श्वे. कन्फरंप को भेज दिय, इधरसे साध्वी जी महाराज भी ए २५० यात्रियों के पोष वद ८ को बई जो कि प्रतापगढसे ( वाप है--पधार गरः । प्रति वर्ष सो तानसो यात्रीसे अधिक नाहिं आते इस वर्ष दो तान सः यात्री एकत्रित हुवे, जन्म ल्याणक महोत्सव वहातही आनंदसे हुवा. कलश पूजन आदिका आमदन भी बहोत अच्छी हुई. प य त्रामें गायन मंडलीने बडी भक्ति दिवाई जिमसे यात्रीयोको बहोतही हप प्राप्त हुवा, ध्याको सभा हुई श्रीमान् शेठजीका बहातही गनिर शब्द में विद्या ऐक्यता व बर्थोन्नति के बियमें भ पण हुवा, आपके कहनेके असरमें सराय बनवाने के लिए टीप शुरू की गई जिसकी डी आवश्यक्ता है. और भी कई सजनोने विवेचन किया.
दूपरे दिन श्रीबई पार्श्वनाथ तीर्थ संरक्षण कमेटी स्थापित कीगई जिसमें निम्न लम्बित जन कायम किए गए.
मेम्बर. T. फुलचंदजी संबवी मंदसौर, सा. रिपभदास जी नाहार मंदसौर, सा. सवाइराम जी चापडीत मंदसौर, 1. हजारीमलजी लोढा मंदसौर, पोरवाड हीरालाल जी, चंपालाल जी, मुथरालाल जी कणगेटी.
सेक्रेटरी. . . . सा. नाथुरामजी उदेचंद जी, मंदसौर. । उक्त मदिर में जानेवालों के लिए नियम एक बोर्ड बुदवाकर दरवाजा पर र गानेकी जविज की गई अब समस्त श्री जैन श्वेतावर सबसे सादर प्रार्थना है कि उक्त त थके दर्शन । लाभ जरुर प्राप्त करें व तन मन धनसे तीर्थोन्नति तथा 'धर्मशाल के लिए मदद करे । यह पर्थ राजपूताना मालवा रेलवेके थरोद स्टेशन से २ मिल पश्चिममे हैं । यहां के केटरी सा, 'थुजी उदाजी मंदसौर वालेने कितनाक जीर्ण कार्यका सुधारा व मरम्मत करने में अच्छा या है । आशा है आगेभी ऐसाही करते रहें गै।
.. मंत्री, श्री जैन श्वेताम्बर सभा प्रतापगढ़ः । मालवा.