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१८०७ ] बिगाडने वाली चीज होती तो कयो अपनी अनाज ओलादको कोइ लिखाता पढाता ओर उसके हासल करनेके लीये अपनी दोलतका एक बहोत बड़ा हिस्सा सर्फ करते. हां. अलबते यहवात जरूर है के पढ़ी लिखी ओरतोमेसे जिनका चालचलन खराब होताहै उसको वह यह पाइ जातीहै के उनको आलादरजेको तालीम नही दीजाती और मामूली तालीम पाने के बाद अखलाककी बिगाडने वाली किताबें उनके हाथमे पडजातीहै बबुरी सोहवते उनपर अपना पुरा असर करजातीहै जिससे उनके चालचलनमे फरक आजाताहै ओर उसवकतमे इनका लिखा पढाणेना वेशक किसीकदर उनकी आजादी ओर आवार गीको भी मदद देजाताहै जिसके वास्ते यह बहोत जरूरी अमरहै के ओरतोको अमुमन आला दरजेकी तालीम दीजावे. आलादरजेकी तालीयसे यह मुरादहै के ओरतोको धर्म सम्बन्धी किताबे पढाइ जावे, ओर खानेदारीके कामो के मुत्तालीक शिक्षाभी दीजावे अखलाकके विगाडनेवाली किताव पास तक न आने दीजावे, जनतालीम उम्दा हांसल करलेगी तो फिर आप अखलाकके बीगाडने वाली किताबोसे नफरत करने लगेगी ओर जिस ओरतका चालचलन उनकी नजरमे ठीक नहीं आवेगा उनको अपना चालचलन दुरस्त करनेकी नसीहत करेगी---
आप साहब खयाल फरमावे के ओरतोको उम्दा तालीम होनेपर उनकी ओलादपर कितना भारी असर पड़ेगा यानि वो खुद अपनी ओलादको उम्दा तरीकेसे परवरिश कर सकेगी और वहोत जल्द हरतरहकी नसीहत कर लायक बनालेगी-ओरतोको आलादर जेकी तालीमसे यहभी मालुम होजावेगा के “ पतिताधर्म " कयाहै ओर उसको किस तरह निवाहना चाहिये. इसलीये ओरतोको ऐसो तालीम दीजावे के जिससे वो खानेदारी के मुत्तालिक उम्दा नतीजा पैदा करसके ओर धर्म सम्बन्धी कामोमे रूचि बढावे उम्मेद कोजातीहै के आप साहब इसबाबमे जरुर तवज्जे करके इन्तजाम ओरते व लडकीयोकी नेक तालीमका फरमावेगे जिससे उनका दील खानेदारीके कामकाज व पतिव्रत धर्ममे लगे " पतितधर्म " कया चीज है इस विशयपर फिर कभी लिखाजावेगा फकत इतिशुभम.
महेता अमृतसिंह
नाथद्वारा
मेवाड.