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जैन श्राविकाओं का बृहद इतिहास
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अवदान
संदर्भ ग्रंथ
क्र. | संन् श्राविका नाम | वंश/गोत्र
प्रेरक/प्रतिष्ठापक
आचार्य/गच्छ ६३८ | दीवलाम्बा | पश्चिमीगंग युवराज| मलखेड़ा राजवंश के समय में
बूतूग की पत्नी
१. जै. शि. सं. भा. २. २. प्रा. जै स्मारक
१२७
सूदी में एक जिनमंदिर का निर्माण करवाया १ एवं छः आर्यिकाओं का समाधिमरण
करवाया था।
दावणगेरे के सेंबूर स्थान मे जिनालय बनवाया व भूमिका
दान दिया था।
१२ १०वीं शती पाण्ड्य मंत्री व
सेनापति | सूर्य दण्डनायक की
पत्नी १३ | ६० निजियब्बे (निजीकब्बे) पथ्वीराम पुत्र बिट्टग के
| प्रपौत्र शांतिवर्मा की माता
जै. शि. सं. भा.२
सुगंधवर्ति में बनवाये मंदिर को | १५० मत्तर (माप) भूमि का
दान दिया था।
| २०१ b०३,२०४॥
थी।
१४ ।
६७८
२३-२८
जै.शि.सं. जै. सि. भा.
काललदेवी । गंगानरेश राचमल्ल (कलिकादेवी) | सत्यवाक्य चतुर्थ के मंत्री
चामुण्डराय की माता
थी।
| माता की दर्शन इच्छा पूर्ण करने || के लिए विश्व विख्यात ५७ फीट उत्तुंग खड्गासन बाहुबली की प्रतिमा का निर्माण करवाया था।
| १५ | ६५७ । गंगमादेवी
|
राष्ट्रकूट नरेश कष्ण ततीय की रानी थी।
रानी के सेवक द्वारा तिरूमलै पहाड़ी पर स्थित | द. भा. मे. जै. ध. |
यक्ष हेतु दीपदान दिया गया था।
१६ ० वीं शती बिड़क्क
बिड़क्क ने समाधिस्थापित | जै. शि. सं. भा. ४ | ७१
की थी।
चन्दियब्बे | कन्नरदेव की रानी थी
१७ | ई.स. ६३२ |
(१०वीं शती)
आचार्य पद्मनंदि
नन्दवर में एक जैन बसदि का | जै. शि. सं. भा. ४ | ४५ | निर्माण कराया था तथा उसमंदिर के लिए आचार्य पद्मनंदि को
दान अर्पित किया था।
| १८ ई. सन् ६५०/ पद्मब्बरसि | राष्ट्रकूट सम्राट, अकाल | कुंदकुंदान्वय गुणचंद्र
वर्ष कष्ण राजदेव ततीय
की रानी थी
| एक बसदि का रानी ने | जै. शि. सं. भा. ४ | ४५ |
निर्माण कराया था, दानशाला निर्मित की थी.
तथा उसके लिए एक तालाब भी अर्पित किया
जै. शि. सं. भा. ५
१६ १० वीं शती
तिरूनग
अलुदूर नाडु के एलुमूर ग्राम के इलाडै अरैयन तिरूवडि की पत्नी थी
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