Book Title: Jain Shravikao ka Bruhad Itihas
Author(s): Pratibhashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith Shajapur

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Page 619
________________ जैन श्राविकाओं का बृहद् इतिहास -597 क्र० संवत् श्राविका नाम वंश/गोत्र | संदर्भ ग्रंथ । पृ. प्रेरक/प्रतिष्ठापक गच्छ / आचार्य प्रतिमा निर्माण | आदि श्री. श्री. ज्ञा तपा. श्री विजयदेवसूरि |भ. श्री षांतिनाथ जी | पा.जै.धा.प्र.ले.सं. 186 840 प्रा. ज्ञा. 186 839 1681 | मांजू | 1682 | पाजू, देवकी 841 1683. मटका 842 | 1886 | कुंअरि थरादरा तपा. श्री विजयदेवसूरि भ. श्री संभवनाथ जी | पा.जै.धा.प्र.ले.सं. तेजपाल भ. श्री सुमतिनाथ जी | पा.जै.धा.प्र.ले.सं. | तपा. श्री विजयदेवसूरि | भ. श्री मुनिसुव्रत जी | पा.जै.धा.प्र.ले.सं. 186 186 प्रा. ज्ञा. लधुषाखीय ओ. ज्ञा तपा. श्री विजयसंधसूरि | भ. श्री धर्मनाथ जी | पा.जै.धा.प्र.ले.सं. 187 844 | 187 843 | 1693 षारिमी, बाइ 1693 | माणिकिदे 845 | 1693 | श्रीबाई 846 11694 चऊथी श्री श्री ज्ञा 188 तपा. श्री विजयसिंह सूरि | भ. श्री सुमतिनाथ जी | पा.जै.धा.प्र.ले.सं. तपा. श्री विजयसिंहसूरि | भ. श्री श्रेयांसनाथ जी पा.जै.धा.प्र.ले.सं. तपा. श्री विजयसिंहसूरि | भ. श्री आदिनाथ जी | पा.जै.धा.प्र.ले.सं. तपा. श्री हीरविजयसूरि | भ. श्री संभवनाथ जी | पा.जै.धा.प्र.ले.सं. ऊकेष. ज्ञा. 188 847 | प्रा. ज्ञा. 189 1694 | बाइ पल्हाइ, कमलादे वाल्ही 848 | 189 | 1702 | पुरी 11702 | श्रीवती श्री कमलविजयगणि भ. श्रीसिद्धचक्रपट्ट जी | पा.जै.धा.प्र.ले.सं. तपा. श्री विजयसिंह सूरि | भ. श्री कुंथनाथ जी पा.जै.धा.प्र.ले.सं. 849 प्रा. ज्ञा. 189 850 | 1755 नागबाई ....munmun... भ. श्री पार्श्वनाथ जी | पा.जै.धा.प्र.ले.सं. 190 11755 रगनाइ भ. श्री पार्श्वनाथ जी पा.जै.धा.प्र.ले.सं. 190 852 | 1755 | सुजाणदे श्री श्री ज्ञा. श्रीसत्यविजयगणि भ. श्री वासुपूज्य जी | पा.जै.धा.प्र.ले.सं. | 191 853 | 1761 | साकर भ. श्री प्रतिमा जी पा.जै.धा.प्र.ले.सं. 191 854 | 1765 | राम प्रा. ज्ञा. | सोमसूरि भ. श्रीशांतिनाथ जी पा.जै.धा.प्र.ले.सं. तपा. भ. श्री श्रेयांसनाथ जी पा.जै.धा.प्र.ले.सं. 856 855 | 1768 | वेलबाई | 1768 | नाथी 857 | 1768 | लवी प्रा. ज्ञा. तपा. श्री विजयरत्नसूरि भ. श्री पार्श्वनाथ जी | पा.जै.धा.प्र.ले.सं. 192 कटुकमति पा.जै.धा.प्र.ले.सं. 192 भ. श्रीशांतिनाथ पंचतीर्थी जी 858 1768 | आणंदबाई भ. श्री वासुपूज्य जी | पा.जै.धा.प्र.ले.सं. 192 859 1768 | कहानबाई तपा. भ. श्री नमिनाथ जी पा.जै.धा.प्र.ले.सं. 192 860 | 1768 | रासज्ञानबाई तपा. 193 भ. श्री कुंथुनाथ जी | पा.जै.धा.प्र.ले.सं. भ. श्रीशांतिनाथ जी पा.जै.धा.प्र.ले.सं. 861 1768 | लाडीकि तपा. 194 श्री ज्ञा. भ. श्री चंद्रप्रभ जी पा.जै.धा.प्र.ले.सं. | 194 862 | 1768 | अमुत पुरी 883 | 1768 | वालबाई केसर लीली आ. ज्ञा. तपा. विजयरत्नसूरि (1768 195) पतन निवासी भ. श्री संभवनाथ जी | पा.जै.धा.प्र.ले.सं. | 194 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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