Book Title: Jain Shravikao ka Bruhad Itihas
Author(s): Pratibhashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith Shajapur

View full book text
Previous | Next

Page 696
________________ 674 ७. १६८ श्रीमती लक्ष्मी देवी जैन : आप बड़ी साधु वंदना के रचयिता आ० श्री जयमल जी म० सा० की सांसारिक धर्मपत्नी थी । पू० जयमल जी महाराज शादी के छः महिने के बाद ही श्री भूधरजी म० सा० से जैन भागवती दीक्षा ले ली थी। दीक्षा के लगभग एक वर्ष बाद श्री भूधरजी म० एवं जयमल जी आदि सन्त उनके पैतक गाँव मेड़ता मे पधारे। श्री जयमल जी म० स्वयं गोचरी लेने अपने ही घर चले गए। माँ एवं परित्यक्ता पत्नी श्रीमती लक्ष्मी देवी ने उन्हें आहार दिया। लक्ष्मी देवी पीहर में न रहकर ससुराल में ही रहती थी। लक्ष्मी जी ने पू० जयमल जी म० सा० को विनती की - महाराज! मुझे भी दीक्षा प्रदान कीजिए। पीहर और ससुराल वाले सबकी सहमती से आचार्य भूधरजी म० ने लक्ष्मी जी को जैन भागवती दीक्षा का दिन निश्चित कर दिया । दीक्षा के दिन तक लक्ष्मी जी ने पाँच अपनी सहेलियों को भी दीक्षा के लिए तैयार कर लिया। इस प्रकार मेड़ता में एक ही दिन छ: दीक्षाएं सम्पन्न हुई। दीक्षा के दिन से ही नवदीक्षिता महासती लक्ष्मी जी ने कठिन तपस्या प्रारम्भ कर दी। एक वर्ष तक कठोर तप की अग्नि से शरीर कमजोर हो गया। अंत में संलेखना, संथारा करके आप देवलोकगामी बनी। १६२ श्रमणों की प्रेरणा व संपर्क से श्राविकाएँ धर्म मार्ग पर इस प्रकार अग्रसर होती है । १६२ ७. १६६ श्रीमती पिस्ताबाई बोहरा : आपकी उम्र बावन (५२) वर्ष की है। आपका जन्म महाराष्ट्र के जालना जिले में भोयगाँव में हुआ था । आप श्रीमान् रूपचंदजी संचेती एवं श्रीमती गीतादेवी की सुपुत्री है। आपके दो भाई एवं चार बहनें हैं। आप कई संस्थाओं के प्रतिष्ठित पदों पर सुशोभित, सुशिक्षित, श्रावकरत्न मैसूर निवासी श्रीमान् कैलाशचंद जी की पत्नी है। एक सुपुत्री, चार सुपुत्र, पुत्र वधूएं एवं पौत्र पौत्रियों से युक्त आपका भरा पूरा परिवार है। आधुनिक काल की जैन श्राविकाओं का अवदान सामान्य शिक्षा पाने के बावजूद भी आपने कार्य कौशल्य एवं तीक्ष्ण बुद्धिमत्ता के बल पर पिस्ता बाई कई पदों पर शोभायमान हुई। आप अखिल भारतवर्षीय श्वेतांबर स्थानकवासी जैन कान्फरेंस कर्नाटक शाखा की सन् २००० से सन् २००८ तक उपाध्यक्षा पद पर कार्यरत रही । जैन मिलन मैसूर शाखा की आप पूर्व सहमंत्री रह चुकी है। चंदन बाला महिला मंडल की आप वर्तमान कोषाध्यक्षा है। राजस्थान महिला संघ की सदस्या है। ज्ञान प्रकाश योजना की आप क्षेत्रीय संयोजक रही हैं। पद के अनुरूप अपने कार्यकाल में कई सामाजिक, धार्मिक, चिकित्सक, जन सेवार्थ कार्यों में आप सक्रिय सेवाएँ देती रही। अपने निवास स्थान पर पधारने वाले साधु-सतियों की सेवा का आप भरपूर लाभ उठाती रहीं। असंप्रदायिक भावों से उनकी आहार-विहार, शिक्षा संबंधी सहयोग देती रही है। बच्चों में धार्मिक नैतिक जागरूकता जगाने में तथा महिलाओं में आध्यात्मिक बीजारोपण हेतु आप सदैव तत्पर रहती । राजनीतिक क्षेत्र से भी आप अछूती नहीं रहीं हैं। भारतीय जनता पार्टी मैसूर नगर जिला की आप पूर्व कोषाध्यक्षा रहीं हैं। आपकी प्रमाणिकता, दक्षता, कार्यकुशलता एवं सेवाओं से अभिभूत होकर कार्नाटक सरकार ने अनेक बार आपको दशहरा महोत्सव के विभिन्न उपसमितियों की सदस्या बनाया | पिस्ताबाई बोहरा का जीवन बहुआयामी व्यक्तित्व संपन्न रहा है । १६३ ७.१७० लैनों स्मिथ क्रमजर : वोल्टपोट, ओरीगन, यू.एस.ए. (अमेरिका) निवासी श्रीमती लैनो स्मिथ क्रमजर ने "शाकाहार चित्रावली" नामक पुस्तक को पढ़ा। उस पुस्तक से प्रभावित होकर उसने आजीवन मांस-मदिरा का त्याग किया। अपने संपूर्ण परिवार को भी उसने इन अभक्ष्य वस्तुओं का त्याग करवाया। उसने एक बार भगवान महावीर एवं चंडकौशिक सर्प का प्रसंग सविस्तार समझा। इसे समझने के पश्चात् उसने जैन धर्म को स्वीकार किया । भगवान् नेमिनाथ एवं महासती राजीमती के विवाह प्रसंग को पढ़कर वह इतनी अधिक प्रभावित हुई कि उसने अपना नाम लैनोस्मिथ क्रमजर के स्थान पर राजीमती क्रमजर रख लिया । भगवान् नेमिनाथ स्वामीजी की भक्ति में उसने एक कविता भी लिखी हैं । १६४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 694 695 696 697 698 699 700 701 702 703 704 705 706 707 708 709 710 711 712 713 714 715 716 717 718 719 720 721 722 723 724 725 726 727 728 729 730 731 732 733 734 735 736 737 738 739 740 741 742 743 744 745 746 747 748