Book Title: Jain Shravikao ka Bruhad Itihas
Author(s): Pratibhashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith Shajapur

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Page 731
________________ जैन श्राविकाओं का बृहद इतिहास 709 - संपूर्ण ग्रंथ की संदर्भ सूची क्र.सं. Foc ग्रंथ नाम/लेखक/संपादक/प्रकाशक/प्रकाशन सन् संवत् देवगढ़ की जैन कला- एक सांस्कृतिक अध्ययन सं., डॉ भागचंद्र जैन "भागेंदु". भारतीय ज्ञानपीठ १८, इंस्टीट्यूशनल एरिया, लोदी रोड, नई दिल्ली – ११०००३ ई. सन् २००० द्वि. सं. आस्थांजली- जैनाचार्य श्री विमलमुनि जी महाराज अभिनंदन ग्रंथ. श्रीमती मोहिनी कौल | जैन मुनि श्री विमल सन्मति चैरिटेबल ट्रस्ट सन्मति नगर पो. ओ. कुणकला जिला संगरूर, पंजाब ई. सन् १९७५ इमेजेस फ्रम अर्ली इंडिया. सं स्टेनिस लॉ जे. जुमार जु. मोर (रेखा मोरिस) क्लीवलेंड म्युजियम ऑफ आर्ट ई. सन् १६८५ | अमत समीपे- संपादक नितीन आर. देसाई, गुर्जर ग्रंथरत्न कार्यालय, रतनपोलनाका सामे अहमदाबाद मुनि श्री प्रताप अभिनंदन ग्रंथ सं श्री रमेशमुनि सिद्वांताचार्य, केसर-कस्तूर स्वाध्याय समिति, गांधी कॉलोनी, जावरा ई. | सन् १६७३ भट्टारक संप्रदाय सं., श्री विद्याधर जोहरापुरकर गुलाबचंद हीराचंद दोशी जैन संस्कृति संरक्षक संघ सोलापुर ई. सन् | १६५८ वी. सं. २४८४ जैन श्रमणसंघ का इतिहास सं. श्री मानमल जैन. जैन साहित्य मंदिर कडक्का चौक, अजमेर (राज.) ई. सन् १६५६ (प्र.सं.) | आचारांग शीलांकवत्ति : एक अध्ययन. सं. डॉ राजश्री साध्वी. प्राकृत भारती अकादमी, जयपुर ई. सन् २००१ प्र. सं. जैन दर्शन और संस्कृति का इतिहास. डॉ भागचन्द्र भास्कर. नागपुर विद्यापीठ प्रकाशन ई. सन् १६७७ प्र. सं. जैन आचार सं. डॉ. मोहनलाल मेहता. पार्श्वनाथ विद्याश्रम वाराणसी. ई. सन् १६६६ (प्र.सं.) जैन पुस्तक प्रशस्ति संग्रह. सं मुनि जिनविजय जी. सिंघी जैन ग्रंथमाला, मुबंई ई. सन् १६४३ | भारतीय संस्कृति में जैनधर्म का योगदान. डॉ. हीरालाल जैन. मध्यप्रदेश शासन साहित्य परिषद् भोपाल मप्र ई. सन | १६६२, प्र. सं. | भारत के प्राचीन जैन तीर्थ. सं डॉ. जगदीश चन्द्र जैन. जैन संस्कृति संशोधन मंडल, बनारस - ५ ई. सन् १९५२ | उवांगसुत्ताणि खंड १ वाचना प्रमुख आचार्य तुलसी. जैन विश्व भारती, लाडनूं ई. सन् १९८७ (प्र.सं). मरुधर केसरी अभिनंदन ग्रंथ, सं पं शोभाचंद जी भारिल्ल. मरुधर केसरी प्रकाशन समिति जोधपुर / ब्याबर (राज.) ई. सन्. १६६७ (प्र.सं.) अभिनंदन ग्रंथ श्री अगरचंद नाहटा प्रकाशन समिति, बीकानेर (राज.) ई. सन् १९७७ | आवश्यक सूत्र सं युवाचार्य मधुकरमुनि. आगम प्रकाशन समिति. ब्यावर ई. सन् १९६२ (द्वि. सं) | अंगसुत्ताणि १११ भगवई, युवाचार्य महाप्राज्ञ वनमाली त्रिभुवनदास शाह, पालीताणा (सौराष्ट्र) ई. सन् १६६२ वी. नि. सं. २४८८ Jain Education International For Private & Personal Use Only For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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