Book Title: Jain Shravikao ka Bruhad Itihas
Author(s): Pratibhashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith Shajapur

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Page 747
________________ || णमो संघस्स॥ ॥ णमो तित्थं॥ परस्परोपगहो जीवानाम् जैन धर्म संघीय धर्म है। संघ साधना का आधार है, साधक जीवन की गतिविधियाँ संघ रूपी भवन में ही संभव है। यह संघ इतिहास की जुबानी है, वीरों की कुर्बानी है, साधकों की साधना है। इस पुस्तक मे | प्रामाणिक ऐतिहासिक घटनाओं का विवरण वर्तमान की आँख एवं भविष्य का पथप्रदर्शित करेगा। अर्हतोपासिका: साध्वी डॉ.प्रतिभा श्री 'प्राची' कति-परिचय शताब्दियों से अदृश्यमान श्राविकाओं को जीवन्त बनाने का, उनको इतिहास की पृष्ठ भमि पर अंकित करने का यह प्रेरणास्पद इतिहास है। अध्यात्मिक सरिता से ओतप्रोत जिन धर्म कथित व्रतानुचारिणी, श्रेष्ठ गुणधर्मा श्राविकाओं के अवदान को मुक्तामणियों की मालाओं में पिरोया गया, आत्म-मंजुषा से आप्लावित एक प्रेरक इतिहास है। समस्त युवा पीढ़ी के लिये यह दिशा सूचक यंत्र वत् मार्गदर्शक रहेगा "श्राविकाओं का बृहद इतिहास'' अतीत से लेकर वर्तमान कालीन श्राविका जगत की तुलनात्मक कुंजी है। " लोक में श्राविकाओं का इतिहास अनूठा रच डाला, लेखनी का अनूपम उपहार जैन जगत को दे डाला, कलम उठाई लिखने को एक बार जो गुरुवर्या श्री ने, अतित गर्भा श्राविकाओं का नाम अमर कर डाला" -साध्वी प्रशंसा श्री 'मोक्षा Jain Education Interational FOCUS Only jainelibrary.org

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