Book Title: Jain Shravikao ka Bruhad Itihas
Author(s): Pratibhashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith Shajapur

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Page 697
________________ जैन श्राविकाओं का बृहद् इतिहास 675 ७.१७१ श्रीमती चंदा कोचर : आई सी आई सी आई बैंक की मुख्य कार्यकारी अधिकारी एवं प्रबंध निदेशक चंदा कोचर बीस शीर्षस्थ महिलाओं में शामिल हैं। फोर्ब्स पत्रिका में लिखा है; इस वर्ष चंदा कोचर ने मई माह में बैंक के प्रमुख का कार्यभार संभालने के बाद बैंक के खुदरा कारोबार को नये मुकाम पर पहुँचा दिया है। जैन समाज की महिलाओं में टाइम्स ऑफ इंडिया की इंदु जैन के बाद चंदा कोचर को अन्तर्राष्ट्रीय सन्मान मिला है। समाज इस महिला से गौरवान्वित हुआ है।६५ ७.१७२ श्रीमती विलमादेवी दक : आपका जन्म वि.सं. २००१ का है। आप उदयपुर निवासी श्रीमान् आनंदीलालजी व रतनदेवी मेहता की सुपुत्री हैं तथा श्रीमान् भेरूलालजी दक की धर्मपत्नी हैं। आपने महासती पुष्पवतीजी म.सा. से श्राविका व्रतों की दीक्षा ली। आपने अनेक शास्त्रों का अध्ययन किया है, कई स्तोत्र, थोकड़े, ढालें कंठस्थ हैं। आपने चार वर्षीतप सजोड़े किये। अनेक अठाइयाँ, नौ, ग्यारह, सोलह, दो वर्षीतप आयंबिल ओली आदि तप संपन्न किये हैं। कई वर्षों से रात्रिभोजन का त्याग, कंद-मूल का त्याग है। ३८ वर्ष की छोटी उम्र में वैधव्य अवस्था को प्राप्त होने पर भी आपने हिम्मत, धैर्य एवं परिश्रमपूर्वक नौ संतानों का संरक्षण, संपोषण किया। धर्म संस्कारों के साथ उन्हें स्वावलंबी बनाया। फलस्वरूप आपकी बड़ी पुत्री "विजयलता जी म.सा.” एवं पाँचवीं पुत्री "प्रशंसा श्री जी म.सा.” के रूप में दीक्षित हैं। आपने पाथर्डी बोर्ड से प्रभाकर की परीक्षा दी तथा कई शिविरों में अध्यापन कार्य सम्पन्न किया है। आपका जीवन प्रेरणास्पद है।१६६ इस अवसर्पिणी काल की प्रथम श्राविका कहलाने का श्रेय भगवान ऋषभदेव की पुत्री सुंदरी ने प्राप्त किया है। सुंदरी ने राजमहलों में रहते हुए ही साठ हजार वर्ष तक आयंबिल तप किया। अपनी दढ़ता से उसने चक्रवर्ती भरत को दीक्षा की अनुज्ञा प्रदान करने के लिए विवश कर दिया था। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org,

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