Book Title: Jain Shravikao ka Bruhad Itihas
Author(s): Pratibhashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith Shajapur

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Page 717
________________ जैन श्राविकाओं का बृहद् इतिहास १५३. जैन, शकुन्तला संगीत १५४. Jain, Asita १५५. जैन, ज्योति १५६. जैन रेनु, बाला पुस्तकालय विज्ञान १५७. Jain Upanaa (km.) १५८. जैन रश्मि (कु.) अन्य+अपूर्ण+ अज्ञात १५६. जैन, मीना (श्रीमती) १६०. जैन कल्पना (श्रीमती) १६०. जैन कल्पना (श्रीमती) १६१. जैन, कृष्णा १६२. जैन, विजयलक्ष्मी १६३. जैन, सरोज (ब्र.) पर्यावरण १६४. जैन, मीना शाकाहार विज्ञान १६५. जैन, अर्चना १६६. जैन, आशा १६७. जैन, रजनी (कुमारी) १६८. जैन अर्चना कुमारी Jain Education International "आयुर्वेद के विकास में जैनाचार्यों का योगदानः" ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में विक्रम, २०००, अप्रकाशित । नि० - डॉ. एस. पी. उपाध्याय, वि. वि. वि., उज्जैन । 695 References to Indian Music in Jain works. Delhi, 1993, Unpublished भारतीय संगीत को देशी संज्ञक जैन संगीत की देन राजस्थान, १६६५, अप्रकाशित नि.- डॉ. सुरेखा सिन्हा, राजस्थान वि. वि., जयपुर जैन धर्म में प्रवर्तित शास्त्रीय संगीत के परम्परागत एवं आधुनिक स्वरूप का विश्लेषणात्मक अध्ययन कुरुक्षेत्र २००४ अप्रकाशित । Annotated Bibliography of Jain literature in Reewa. Rewa 1992, unpublished Sup-Prof. R. K. Sharma "इन्दौर के जैन ग्रन्थागारों में उपलब्ध पाण्डुलिपियों का सर्वेक्षण एवं सूचीकरण" । इन्दौर, १६६५, अप्रकाशित नि० - डॉ. जे. सी. उपाध्याय, इतिहास विभाग | "जैन महिलाओं में सामाजिक धार्मिक एवं आर्थिक चेतना का स्वरूप" । सहा. प्राध्यापिका - शा. कन्या महाविद्यालय, खण्डवा (म. प्र. ) "भारत में पशु मांस निर्यात व्यापार की आर्थिक एवं सामाजिक समीक्षा" जबलपुर, १६६६, अप्रकाशित । भारत में पशु मांस निर्यात व्यापार की आर्थिक एवं समाजिक समीक्षा जबलपुर, २००३, अप्रकाशित । "जैन आगम साहित्य में प्रतिबिम्बित राजनीतिक सामाजिक जीवन" राजस्थान, १६६०, अप्रकाशित । नि . - डॉ. सुशीला अग्रवाल, राज. वि. वि., जयपुर (राज.) जैन साहित्य में निर्दिष्ट राजनैतिक सिद्धान्त (छठी से ग्यारहवीं शती) आगरा, १६७८, प्रकाशित प्रका. - आ. ज्ञा. केन्द्र, ब्यावर (राज.) प्रथमः १६६५/७५.०० प्रमुख जैन पुराणों में प्रतिपादित राजनीतिः एक समीक्षात्मक अध्ययन । इन्दौर; २००२, अप्रकाशित नि० - सुश्री डॉ. उषा तिवारी | "महाकवि ज्ञानसागर के साहित्य में पर्यावरण संरक्षण" बरेली, २००० अप्रकाशित नि. - डॉ. रमेशचंद जैन, बिजनौर । "सामिष और निरामिष आहार का बच्चों के संवेगात्मक विकास पर प्रभाव" सागर, १९९६, प्रकाशित 'सवेग और आहार' नाम से प्रकाशित । "सागर नगर के छात्र-छात्राओं पर शाकाहारी एवं मांसाहारी भोजन का प्रभाव" प्र. सागर, २००१, अप्रकाशित नि० - डॉ. अनुराधा पाण्डे, सागर (म. प्र. ) "शाकाहार का आर्थिक जीवन" सागर; २०००, अप्रकाशित नि०. - डॉ. जे. डी. सिंह "बालक बालिकाओं के विकास में शाकाहार की भूमिका" सागर ...अप्रकाशित नि. - डॉ. श्रीमती कामायनी भट्ट । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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