Book Title: Jain Shravikao ka Bruhad Itihas
Author(s): Pratibhashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith Shajapur

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Page 712
________________ 690 शोध कार्यों में श्राविकाओं का योगदान (प्राकृत भाषा एवं साहित्य) ५८. जैन चोरडिया, निर्मला ५६. जैन, अमिता Jain, Mukta ६०. Jain, Veena स्थानांग सूत्रः एक सांस्कृतिक अध्ययन, लाडनूं, १६६७, अप्रकाशित। नि.-डॉ. डी.एन. शर्मा। उपासकदशांगसूत्रः एक समीक्षात्मक अध्ययन, कुरूक्षेत्र, १६६८ अप्रकाशित। A cultural Study of the Bhagawati Aaradhana of Sivarya. Udaipur, 2003, Unpublished Sup.- Dr. Prem Suman Jain, Udaipur. A study of Jaina ethical ideas with special reference to Acharangasutra. Delhi, 1977, Unpublished. आचारांग सूत्रः एक आलोचनात्मक अध्ययन, पटियाला, १६६५; अप्रकाशित। नि.-डॉ. ए. एन. सिन्हा, पंजाबी वि. वि., पटियाला। आचार्य काल एवं निशीथः एक आलोचनात्मक अध्ययन लाडनूं २००४, अप्रकाशित नि.-डॉ. हरिशंकर पाण्डेय। प्रज्ञापना का समीक्षात्मक अध्ययन उदयपुर, १६६६ अप्रकाशित। नि.-डॉ. उदयचंद जैन। जैन सुनीता ६३. जैन पियूष प्रभा ६४. जैन सिरोया मंजु जैन न्याय तथा दर्शन ६५. जैन गांग, सुषमा ६६. Jain Amara (Smt.) जैन आशाकुमारी जैन किरण ६८. पा जैन, किरण कला जैन, जैनमती (श्रीमती) जैन नमिता आचार्य कुन्द कुन्द के प्रमुख ग्रन्थों में दार्शनिक दष्टि दिल्ली, १६७८ प्रकाशित प्रका: भारतीय विद्या प्रकाशन, दिल्ली प्रथमः १६८२.६० A Comparative Study of the major Commentaries of the Tattavarthasutra by umasvati, Pujyapada, Haribhadra, Siddhasena, Bhattakalanka and vidyanada. Delhi, 1974, Unpublished. जैन न्याय तथा आधुनिक बहुपक्षीय शास्त्र, इलाहाबाद, १६७६, अप्रकाशित जैनदर्शन के सन्दर्भ में मुनि विद्यासागर जी के साहित्य का योगदान। सागर, १६६२, प्रकाशित नि.-डॉ. सुरेश आचार्य। स्याद्वाद मंजरीः एक समीक्षात्मक अध्ययन, कुरूक्षेत्र....प्रकाशित नि.-डॉ. (स्व.)। गो-पिका मोहन भट्टाचार्य। पंचास्तिकाय का समीक्षात्मक और तुलनात्मक अध्ययन आरा, १६६५, अप्रकाशित नि.-डॉ. डी. सी. राय एच. डी. जैन कॉलेज, आरा (बिहार)। प्रवचनसार में प्रयुक्त दार्शनिक शब्दावली का समीक्षात्मक अध्ययन बरेली.... अप्रकाशित नि. डॉ. जी. एस. गप्ता, बिजनौर। प्रमेयकमलमार्तण्ड: एक समीक्षात्मक अध्ययन (दो भागों में) वाराणसी, १६७६, अप्रकाशित नि.-स्व. डॉ. नीलमणि उपाध्याय। स्वामी समन्तभद्र एवं उनका दार्शनिक अनुचिन्तन, जबलपुर २००० प्रकाशित नि.डा. जे. पी. शुक्ला। षटखण्डागम में गणस्थान विवेचन जबलपर, १६४ प्रकाशित नि.-डॉ. विमल प्रकाश जैन, जबलपुर प्रका.-श्री भारतवर्षीय दिगम्बर जैन महासभा ऐशबाग लखनऊ प्रथमः.../५०.०० जैन दर्शन में कर्म सिद्धान्तः एक अध्ययन रोहतक, १६८६, प्रकाशित। नि.-डॉ. जयदेव विद्यालंकार, रोहतक प्रथम: १६६३/४८.०० सूत्रकृताग का दार्शनिक एवं समालोचनात्मक अध्ययन उदयपुर, १६६५| अप्रकाशित नि.-डॉ. उदयचंद जैन, उदयपुर। Jain Mythology as depicted in the Digambara Literature. Delhi, 1976, Unpublished. जैन निर्मला (कु.) ७३. जैन प्रभा ७४. जैन प्रमिला ७५. जैन मनोरमा (कुमारी) ७६. जैन मनोरमा (श्रीमती) ७७. Jain Manju Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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