Book Title: Jain Shravikao ka Bruhad Itihas
Author(s): Pratibhashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith Shajapur

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Page 632
________________ 610 सोलहवीं से 20वीं शताब्दी की जैन श्राविकाएँ क्र० संवत् श्राविका नाम प्रतिमा निर्माण | संदर्भ ग्रंथ | पृ. आदि 1113 | 1638 विमलादे | भ. श्री शांतिनाथ जी वही. 40 वंश/गोत्र प्रेरक/प्रतिष्ठापक गच्छ / आचार्य श्रीमाल ज्ञा. श्री हीरविजयसूरि बृहद्गच्छ ऊकेष वंष | श्री जिनचंद्रसूरि पंखवाल गोत्र, 1114 | 1653 | रूपा, पूनादे, मूलादे भ. श्री शांतिनाथ जी | वही. 36 1115 | 1624 | अमूलकदे, कुरादे भ. श्री पद्मप्रभु जी | वही. श्री हीरविजयसूरि तपागच्छ 1116 1615 | राणी, सिरिआदे 58 हुंबड ज्ञा. काजड़ गोत्र 1117 | 1627 | नारंगदे | 1643 | कोमकी, राजलदे | श्री तेजरत्नसूरि तपा. श्री हीरविजयसूरि श्री विजयसेनसूरि भ. श्री पद्मप्रभु जी | वही भ. श्री वासुपूज्य जी | वही भ. श्री आदिनाथ जी | वही 1118 प्रा. ज्ञा. 1119 1696 | गेलमा विजयशिवसूरि तपागच्छ | भ. श्री कुंथुनाथ जी | वही उपकेष ज्ञा. बुरा गोत्र 281 1120 | 1663 | चीबु 1121 1621 हीरादे श्री श्रीमाल ज्ञा. | श्री ब्रह्माणगच्छ चोरड़िया गोत्र | अंचलगच्छ श्री सूरि भ. श्री आदिनाथ जी | वही जिन बिंब 1122 1668 | भामनी श्री लब्धिवर्धन जिन बिंब ओसवाल ज्ञा. सोनी गोत्र 1123 1674 सोभागदे श्री विजयदेव सूरि भ. श्री मुनिसुव्रत जी । वही 105 ओसवाल ज्ञा. नाहर गोत्र महातपा. 1124 1617 | अवलादे, जइवंत 126 श्री हीरविजयसूरि | श्री विजयदानसूरि भ. श्री कुंथुनाथ जी | वही | भ. श्री अजितनाथ | वही 1125 1816 | अमरा, संपू. मेलादे | ऊकेष वंष 123 | जी 1126 | 1660 | भामनी, सोनी, इंद्राणी श्री जिनवर्धनसूरि भ. जिन प्रतिमा जी | वही 134 उसवाल, ज्ञा. अगडकबोलीगो 1127 |1671 | राजश्री 134 1128 1671 | रेख श्री, 132 स्तव्योवाल ज्ञा. श्री कल्याण सागरसूरि | भ. श्री पद्मानन जी वही लोढ़ा गोत्र अंचलगच्छ उसवाल ज्ञा. श्री कल्याण सागरसूरि, भ. श्री पार्श्वनाथ जी | वही लोढ़ा गोत्र अंचलगच्छ उसवाल ज्ञा. | श्री कल्याण सागरसूरि भ. श्री अजितनाथ | वही लोढ़ा गोत्र | अंचलगच्छ जी लोढ़ा गोत्र श्री कल्याण सागरसूरि भ. श्री संभवनाथ जी | वही उसवाल ज्ञा. 1129 | 1671 | रेख श्री. 132 1130 1871 | रेख श्री. राजश्री 132 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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