Book Title: Jain Shravikao ka Bruhad Itihas
Author(s): Pratibhashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith Shajapur

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Page 677
________________ जैन श्राविकाओं का बृहद् इतिहास 655 हाल ही में प्रसिद्ध फिल्मकार पीटर ब्रुक ने जब 'महाभारत' का मंचन करने व फिल्म बनाने की ठानी तो 'द्रौपदी' के अन्यतम अभिनयार्थ उनकी एक अन्तर्राष्ट्रीय सितारे की तलाश मल्लिका जी पर जाकर खत्म हुई। विदेशों में जहाँ कहीं इस प्रसिद्ध कथा नाट्य का मंचन हुआ, सभी ने उनके अभिनय को सराहा। वैसे भी मल्लिका जी ने द्रौपदी का पात्र स्वयं जिया है। सभी मानवीय संवदनाएँ एवं त्रैण अभिषप्तताएँ अभिनय के द्वारा जीवंत कर देना उनकी विशेषता थी। रातों रात मल्लिका जी अन्तर्राष्ट्रीय मंच के अभिनव सितारे के रूप में स्थापित हो गई। दर्शक इस साहसी अभिनेत्री का स्वाभाविक अभिनय देख कर दंग रह गए।१०० ७.१०८ सुश्री रीता नाहटा :___ आधुनिक युग में नारी स्वातन्त्र्य का उद्घोष सभ्यता के विकास में मील का एक पत्थर है। किसी भी क्षेत्र में पुरुष का एकाधिकार अब समाप्त हो गया है। इसका एक ज्वलंत उदाहरण हैं श्रीमती रीता नाहटा । वे पचीस वर्ष की उम्र में भारत की प्रथम महिला टैक्सी चालक बनी। इस मौलिक एवं साहसिक कदम के लिए उनका संकल्प सराहनीय है। श्रीमती रीता जोधपुर के भूतपूर्व सांसद श्री अमत नाहटा की सुपुत्री हैं। उनकी फिल्म "किस्सा कुर्सी का बहुत चर्चित हुई थी। रीता जी को कर्मठ एवं संघर्षशील व्यक्तित्व विरासत में मिला है। वे 'किस्सा कुर्सी का' के निर्माण में भी सहयोगी रही। दिल्ली दूरदर्शन के युवा-मंच में उसका प्रदर्शन हुआ। आपके चाचाजी गांधी जी के नमक सत्याग्रह में भाग ले चुके थे। ०१ ७.१०६ छगन बहन : स्वतंत्रता संग्राम के वातावरण में बड़ी होनेवाली स्वभाव से ही निर्भीक और विद्रोहिणी छगन बहिनका जन्म नागपुर में श्री मोतीलालजी एवं श्रीमती चांदबाई बैद के घर सन १६३० में हुआ था। छगन बहिन एक विद्रोहिणी नारी होनेपर भी नारीसुलभ गुणों से विभूषित हैं और एक कुशल गहिणी का दायित्व भी भली-भाँति निभाती हैं। आपकी आत्मीयता, सरलता व आतिथ्य किसी को भी प्रभावित किये बिना नहीं रहता। आप कुशल गायिका और प्रभावशाली वक्ता भी हैं। आप के भाषण में भावुकतापूर्ण उद्बोधन और साहित्यिकता का सुखद और प्रेरणास्पद् समन्वय रहता है। वास्तव में छगन बहिन हमारे समाज का गौरव हैं। अन्याय प्रतिरोध की क्षमता छगन बहन ने पारिवारिक परिवेश से ही प्राप्त कर ली थी। आप केवल आठवीं कक्षा तक ही शिक्षा प्राप्त कर पाई। उस कच्ची उम्र में भी स्कूल में जब अध्यापकों ने परीक्षा फल अच्छा रखने के लिए पर्चे आउट करा दिये तो आपने उनके विरुद्ध विद्रोह का झंडा गाड़ दिया। अध्यापकों के हड़ताल कर देने पर आपने होशियार छात्राओं की सहायता से स्कूल चलाकर दिखा दिया। अंत में प्रबंधकों को सभी अध्यापकों की छुट्टी करके नया स्टाफ रखने पर बाध्य होना पड़ा। आपने नाट्य व संगीत के कार्यक्रम आयोजित करके अर्जित राशि से निर्धन छात्राओं की सहायता करके उन्हें निर्भीकता पूर्वक आगे बढ़ने की प्रेरणा दी। १६ वर्ष की आयु में आपका विवाह खींचन के श्री त्रिलोकचंदजी गोलेछा के साथ किया गया जिनका कलकत्ते में व्यवसाय था। अतः आप कलकत्ते आ गई। वहाँ उन दिनों अखिल भारतीय मारवाडी सम्मेलन के तत्त्वाधान में सर्वश्री भंवरमलजी सिंघी, सिद्धराजजी ढड्डा, विजयसिंहजी नाहर, गणेशमलजी बैद, श्रीचंदजी मेहता आदि युवाजन सामाजिक कुरीतियों के निवारण और जनचेतना जगाने का कार्य बड़े उत्साह से कर रहे थे। आप भी उन से जुड़ी, और एक समारोह में उनके साथ आपने भी केसरिया बाना पहनकर दहेज व पर्दा प्रथा जैसी सामाजिक कुरीतियों को तोड़ने व जातपाँत के भेदभाव से ऊपर उठने का संकल्प लिया। सन् ५६ में आप खींचन आ गई और वहाँ हरिजनों को सवर्णों के कुँए से जल दिलाने का कार्य हाथ में लिया। सन् ५७ में आप विनोबाजी के भूदान यज्ञ में सम्मिलित हुई एवं सभी रचनात्मक कार्यों में सक्रिय भाग लेने लगी। फलस्वरूप जब राजस्थान में पंचायती राज्य का प्रवर्तन हुआ तो आप प्रथम बार खीचन ग्राम की सरपंच चुनी गई और ग्रामीण जनता की सेवा में लग गई। __ सन् ६२ में आपका परिवार जोधपुर आ गया और पति-पत्नि दोनों रचनात्मक कार्यक्रमों में भाग लेने लगे। और आप जोधपुर मंडल की उपाध्यक्षा बनी। सन् १६७८ में जब गोकुल भाई भट्ट के नेतत्व में शराब बंदी आंदोलन छिड़ा तो उस में आप अग्रणी रहीं। सन् १६७० में जब दुबारा सत्याग्रह छिड़ा तो आपने उसका नेतत्व सम्भाला। इस आंदोलन के फलस्वरूप जोधपुर, पाली व बीकानेर जिले शराबमुक्त घोषित किये गये। Jain Education International www.jainelibrary.org For Private & Personal Use Only

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