Book Title: Jain Shravikao ka Bruhad Itihas
Author(s): Pratibhashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith Shajapur

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Page 636
________________ 614 क्र० 1183 1184 1185 1186 1187 1188 1189 1190 1191 1192 1193 1194 1195 1196 संवत् 1692 जीवादे पठनार्थ श्राविका नाम 1665जीवादे सुबोधार्थ 1668 तडनायक 1675 राजलदेवी 1625 दाड़िमदे ने परिजनों सहित लिखवाया 1616 मानी, श्रेयार्थ लिखा गया 1601 कान्हमती 1672 डीबू, धन्नादे, कुंयरि आदि ओस वंष ने लिखवाया 1615 कीकाइ, नाकू, श्रीबाइ, | वीराइ, पुराइ आदि 1669 कोडिमदेवी 1872 कुंयरि, डीबू आदि ने स्व श्रेयार्थ लिखवाया 1672 रतनादे, कमलादे, आदि ने स्वपुण्यार्थ लिखवाया 1672 कमलादे ने स्वश्रेयार्थ लिखवाया 1740 सुंदरबाई, वाहालबाई Jain Education International वंश / गोत्र हुंबड ज्ञा. प्रा. ज्ञा. प्रा. ज्ञा. उपकेष ज्ञा. भंसाली गोत्र ओसवंष प्रेरक / प्रतिष्ठापक गच्छ / आचार्य पं. जयवंत लिखित विनिधान लिखित बाई हीरो द्वारा लिखित साधुजनों के पठनार्थ क्षेमकीर्तिगणि को प्रदान की संयमरत्नसूर (आगमगच्छ) प्रेरक संयमरत्नसूर (आगमगच्छ) प्रेरक साहू रत्ना प्रेरक है श्री आनंदमेरू (पीपलगच्छ) For Private & Personal Use Only प्रतिमा निर्माण आदि सीमधर स्वामी स्तवन जै. गु. क. भा. 1 18 कडी सोलहवीं से 20वीं शताब्दी की जैन श्राविकाएँ 14 गुणस्थान बंधविज्ञप्ति (पार्श्वनाथ ) स्तवन, 19 कडी वर्द्धमान पुराण भट्टारक सकलचंद्र को प्रदान किया आदिनाथ जी का चौमुखा मंदिर बनवाया श्री स्थानांगसूत्रम् कल्पसूत्र सटीक विपाक सूत्र श्री भगवती सूत्रम् श्री उतराध्ययन सूत्र दशवैकालिक सूत्र अनुयोगद्वार सूत्र नंदी सूत्र संदर्भ ग्रंथ कल्पसूत्र व्याख्यान तथा कालकसूरि भास. जै. गु. क. भ. 3 पं. चं. अ. प्र. पृ. प्रा. जै. स्मारक. पृ. जै. सि. भ. 1936 श्री. प्र. सं. पृ. श्री. प्र. सं. पृ. श्री. प्र. सं. पृ. श्री. प्र. सं. पृ. श्री. प्र. सं. पृ. श्री. प्र. सं. पृ. श्री. प्र. सं. पृ. जै. गु. क. भा. 1 पृ. 497 102 482 | 43 32 179 120 112 111 174 179 179 105. 106 www.jainelibrary.org

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