Book Title: Jain Shravikao ka Bruhad Itihas
Author(s): Pratibhashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith Shajapur

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Page 673
________________ जैन श्राविकाओं का बृहद इतिहास 651 ७.८८श्रीमती लक्ष्मी देवी जैन: सहारनपुर की श्रीमती लक्ष्मी देवी जैन संविधान निर्मात्री सभा के सुप्रसिद्ध सदस्य स्व० अजित प्रसाद जैन की पत्नी थी। १६३३ में जब स्वतंत्रता आंदोलन विभिन्न रूपों में चल रहा था, तब सहारनपुर में महिलाओं के लिए एक स्त्री समाज की स्थापना हुई जिसकी प्रमुख कार्यकर्वी लक्ष्मी देवी थी। पति के साथ ही आप भी मिलकर मातृभूमि को स्वतंत्र कराने में सक्रिय हो गई। १६४१-४२ के देशव्यापी आंदोलन में जब आपने जेल यात्रा की तो कुछ महीने की पुत्री भी आपके साथ थी। ७.८६ श्रीमती लीला बहन एवं रमा बहनः दोनों बहनें लोकप्रिय और प्रसिद्ध डॉक्टर थी। जब अंग्रेजों ने अश्रुगैस के गोले छोड़ने आरंभ कर दिए तब नेतत्व करती जयावती पर इस गैस का इतना अधिक प्रभाव पड़ा कि उनकी मत्यु हो गई। ८२ ७.६० श्रीमती नन्हींबाई जैन: सन् १६४२ के भारत छोड़ो आंदोलन में सभी प्रांतों की महिलाओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था। लथकाना (सिरोहा) जिला जबलपुर (मध्यप्रदेश) की श्रीमती नन्हीं बाई जैन ने सन १६४२ में इस आंदोलन में भाग लिया। फलस्वरुप आपको - माह १८ दिन जबलपुर जेल में गुजारने पड़े। ७.६१ श्रीमती प्रभादेवी शाहः अपने जीवन को देशसेवा के लिए समर्पित करने वाली और मत्यु के उपरांत अपने पार्थिव शरीर को अनुसंधान के लिए मेडिकल कॉलेज को समर्पित करने की घोषणा करने वाली श्रीमती प्रभादेवी शाह को देशप्रेम की भावना विरासत में ही मिली थी। प्रभादेवी शाह के मुख्य कार्य प्रभातफेरी लगाना, सूत कातना तथा विदेशी माल का बहिष्कार करना आदि थे। १६४२ के भारत छोड़ो आंदोलन में वे सक्रिय रही। उनकी गिरफ्तारी का वारंट निकला पर सहयोगियों ने उन्हें गिरफ्तार नहीं होने दिया। ७.६२ ब्रह्मचारिणी पंडिता चंदाबाई: जैन समाज की सेवा में समर्पित नारी जागरण की दिशा में उल्लेखनीय कार्यकर्वी तथा जैन बाला आश्रम आरा, की संस्थापिका पंडिता चन्दाबाई ने अनवरत परिश्रम से शिक्षा प्राप्त की। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी आदरणीया कस्तरबा गांधी, डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद, पंडित ज.एल नेहरू. सभाष चन्द्र बोस. आचार्य कपलानी आदि अनेक नेतागण राष्ट्रीय आंदोलन के जमाने में जैन बाला आश्रम की शिक्षा गांधी जी के द्वारा प्रतिपादित राष्ट्रीय शिक्षा के आधार पर की जाती थी। शिक्षा के संबंध में आप महात्मा गांधी से विचार विमर्श किया करती थी। आपने महिलादर्श नामक पत्र का संपादन शुरु किया था। आश्रम में महिलाओं को आप स्वदेशी वस्त्रों को धारण करने की प्ररेणा देती थी। आश्रम की समस्त शिक्षिकाएं एवं छात्राएं चर्खा कातती और कपड़ा बुनती थी। आपके क्रांतिकारी कार्यों के कारण सदैव आपका सम्मान होता था। अखिल भारतीय जैन महिला परिषद की स्थापना करके देश की महिलाओं में पर्दाप्रथा और दास्ता की भावना को दूर करने का प्रयास भी आपने किया था। ७.६३ श्रीमती प्रेम कुमारी विशारदः __ श्रीमती प्रेम कुमारी ने १६४२ में भारत छोड़ो आंदोलन में खुलकर भाग लिया। आप गिरफ्तार कर ली गई और आपको नागपुर जेल में रहना पड़ा। जैन संदेश (जनवरी १६४७) में लिखा था, "आप कट्टर समाज सुधारक, देश भक्त और सादा लिबास में रहनी वाली खादी-प्रिय महिला है।८६ ।। ७.६४ श्रीमती फूलकुंवर बाई चोरड़िया : __ अपने पति श्री माधोसिंह जी की प्ररेणा से देश सेवा के कार्यों में हिस्सा लेने वाली फूलकुंवर बाई ने स्वतन्त्रता आन्दोलन में महत्वपूर्ण योगदान दिया था। श्रीमती चोरड़िया एक जागरुक महिला थीं। सत्याग्रह और पिकेटिंग के दौरान अनेक बार उन्हें पुलिस की यातनाएं सहनी पड़ी थी। अजमेर सत्याग्रह में भाग लेने के कारण श्रीमती चोरडिया को ३ माह जेल में रहना पड़ा था। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org,

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