Book Title: Jain Shravikao ka Bruhad Itihas
Author(s): Pratibhashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith Shajapur

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Page 620
________________ 598 क्र० 864 865 866 867 868 869 870 871 872 873 874 875 876 877 878 879 880 881 882 883 884 885 886 887 868 संवत् श्राविका नाम 1768 | तपा, कपूर, विजयगणि 1768 माणिक्य 1774 श्रीसु 1768केसर, लीली 1768 माणिक्य 1774 श्रीसु 1774 गलबाई 1774 रहीबाई 1804 केवल बाई 1815 नाथीबाई 1903 बाई, भाग्यवान. 1903 बाई, भाग्यवान 1903 श्रीमती मोना 1903 भाग्यवान् 1983 भाग्यवान् 1904 केलवबाई 1918 हरकुंवर्यबाई 1918 | हरकुंवर्यबाई 1986 लीलादे, राणी, देमति 1589 सुहवदे, गौरी, कामलदे 1519 | कुतिगदे, लीलादे 1517 जमणदे Jain Education International 1553 मानूपु, माल्हूसु 1569 हेमादे, खमाई 1561 जालणदे वंश / गोत्र श्री. ज्ञा. दोसी श्री. ज्ञा. पतन निवासी श्री. ज्ञा. दोसी श्री. ज्ञा. श्री. श्री. ज्ञा श्रीमाली श्रीमाली श्रीमाली प्रा. ज्ञा. श्रीमाल ज्ञा. प्रा. ज्ञा. उपकेष. ज्ञा. मंडोवंष गोत्र श्री श्री वंष श्री ज्ञा. ऊकेष. ज्ञा. प्रेरक / प्रतिष्ठापक गच्छ / आचार्य श्रीविजयरत्नसूरि विजयक्षमासूर तपा. कपूर विजयगणि श्रीविजयरत्नसूर विजयक्षमासूरि मपा. गणि श्री कपूर विजय तपा. विजयसूरि. पूर्णिमा. सुसाधुसूरि ब्राह्माण. विमलसूर संडेर. श्री सालिभद्रसूरि धर्मघोष. श्रीसाधुरत्नसूरि पीपल. श्री धर्मवल्लभसूरि कोरंट / श्री नन्नसूरि पूर्णिमा. श्रीउदयचंद्रसूरि For Private & Personal Use Only सोलहवीं से 20वीं शताब्दी की जैन श्राविकाएँ संदर्भ ग्रंथ प्रतिमा निर्माण आदि भ. श्री धर्मनाथ चतुर्विंशति जी भ. श्री सुमतिनाथ जी भ. श्री पार्श्वनाथ जी भ. श्री धर्मनाथ चतुर्विंशति जी भ. श्री सुमतिनाथ जी भ. श्री पार्श्वनाथ जी भ. श्री चंद्रप्रभपंचतीर्थी जी भ. श्री वासुपूज्य जी भ. श्री सुमतिनाथ जी भ. श्री महावीर स्वामी जी 45 आगमों के उधापनार्थ लेख है भ. श्री कुंथुनाथ जी भ. श्री कुंथुनाथ जी भ. श्री आदिनाथ जी भ. श्रीशीतलनाथ जी पा. जै.धा.प्र.ले.सं. पा. जै.धा.प्र.ले.सं. पा. जै.धा.प्र.ले.सं. भ. श्री अजितनाथ जी पा.जै.धा.प्र.ले.सं. भ. श्री संभवनाथ जी पा. जै.धा.प्र.ले.सं. भ. श्री वासुपूज्य जी पा. जै.धा.प्र.ले.सं. भ. श्री महावीर जी पा. जै.धा.प्र.ले.सं. पा. जै.धा.प्र.ले.सं. पा. जै.धा.प्र.ले.सं. भ. श्रीशीतलनाथ जी भ. श्री वासुपूज्य जी भ. श्री आदिनाथ जी पा. जै.धा.प्र.ले.सं. पा. जै.धा.प्र.ले.सं. पा. जै.धा.प्र.ले.सं. पा. जै.धा.प्र.ले.सं. पा. जै.धा.प्र.ले.सं. पा.जै.धा.प्र.ले.सं. पा.जै.धा.प्र.ले.सं. पा. जै.धा.प्र.ले.सं. पा. जै.धा.प्र.ले.सं. पा. जै.धा. प्र.ले.सं. पा. जै.धा.प्र.ले.सं. पा. जै.धा.प्र.ले.सं. पा. जै.धा.प्र.ले.सं. पा. जै.धा.प्र.ले.सं. पा. जै.धा.प्र.ले.सं. पा. जै.धा.प्र.ले.सं. पृ. 195 195 197 195 195 197 197 197 200 202 206 206 207 207 207 207 208 208. 220 211 191 191 191 192 192 192 www.jainelibrary.org

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