Book Title: Jain Shravikao ka Bruhad Itihas
Author(s): Pratibhashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith Shajapur

View full book text
Previous | Next

Page 593
________________ जैन श्राविकाओं का बृहद् इतिहास | क्र० संवत् श्राविका नाम संदर्भ ग्रंथ पृ. : वंश/गोत्र | प्रेरक/प्रतिष्ठापक । प्रतिमा निर्माण | गच्छ / आचार्य आदि प्रा. ज्ञा. पूर्णिमा. पुण्यचंद्रसूरि भ. श्री र्धमनाथ जी जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 | 189 1891509 | सलवू, रत्न, हरखूपु 190 1483 | प्रीमलदे, हर्पू, आसू 191 1566 | कतीपु, सिकूदे पु. भ. श्री संभवनाथ जी | जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 | 190 प्रा. ज्ञा. नागेंद्र श्रीगुणसागरसूरि ओसर्वष अंबिका | भावडरास श्रीविजयसुरि गोत्र भ. श्री कुंथुनाथ जी जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 | 190 | ओस ज्ञा. तपा. श्रीविजयदेवसूरि भ. श्री अंनतनाथ जी | जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 | 190 192 | 1677 | षिवादे, धनाई, वल्हादे, श्रृंगारदे 193 |1522 | कडतिगदे, लीलादे श्री श्री ज्ञा. भ. श्री आदिनाथ जी | जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 | 190 संडेर सालिभद्रसूरि हीरविजपसूरि 194 1632 सौभाग्यदे, जीवी प्रा. ज्ञा. भ. श्री सुमतिनाथ जी | जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 35 195 1573 | धाऊ मरगदि लीला, श्री श्री ज्ञा. जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 बृहतपा श्री उदयसागरसूरि | भ. श्री पार्श्वनाथादि चतु जी 196 1573 | अरधू नाई. उप वंष श्रीसावदेवसूरि जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 36 1971508 मल्ही श्री श्री ज्ञा. आगम देवरत्नसूरि जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 भ. श्री आदिनाथ जी भ. श्री शांतिनाथदि चुतविंशति. जी भ, श्री पार्श्वनाथ जी 198 1508 महणश्री |श्री कक्कसूरि जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 | 36 उप.ज्ञा. सूरूआगोत्र 199 1567 | मानूं, जीवी श्री श्री वंष 37 बृहतपा श्रीसूरि खरतर श्री जिनचंद्रसूरि भ. श्री चंद्रप्रभ जी जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 भ. श्री अजितनाथ जी | जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 37 उकेष दवडा गोत्रे 200 1538 देल्हणदे, धारू, पद्माईकपूराई | 1518 | रूपिणि, रमकू 2021511 | जालहणदे, वारू श्री श्री ज्ञा. 203 |1525 | साधू श्री श्री ज्ञा. 204 | 1527 | गंगादे, नागलदे, श्री श्री ज्ञा. गउरीयागोत्र तपा. श्री लक्ष्मीसागरसूरि भ. श्री वासुपूज्य जी जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 37 तपा. श्री रत्नषेखरसूरि भ. श्री पार्श्वनाथ जी जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 | 37 | पूर्णिमा साधुसुदंरसूरि | भ. श्री शांतिनाथ जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 | 37 चतुर्विषांति जी वृदतया. श्री ज्ञानसागरसूरि भ. श्री श्रेयांसनाथ जी | जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 - 38 श्री नन्नसूरि | भ. श्री पद्मप्रभ जी | जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 38 अंचल श्री जयकेसरीसूरि | भ. श्री चंद्रप्रभ जी । जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 | 38 प्रति. श्री इन्द्रनांदिसूरि भ. श्री शांतिनाथ जी | जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 तपा. श्री ज्ञानसागरसूरि भ. श्री पार्श्वनाथ जी | जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 205 | 1528 | मचकू 2061508 | कपूरदे, सोउ श्री श्री ज्ञा. 207 | 1558 | पूरी, सुपारना, 208 1524 | मल्हाई. श्री श्री ज्ञा. 209 1567 | पोई, नानी,अजाई ओस. ज्ञा. तपा. श्री विजयहेमगणि भ. श्री धर्मनाथ जी । जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 | 39 2101584 | टमकू वीरी, प्रा. ज्ञा. |जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 बृहततपा, श्री सौभग्यसागरसूरि पूणिमा. श्री गुणसुदंरसूरि श्री देवप्रभसूरि 211 श्री श्री ज्ञा. भ. श्री कुंथुनाथ जी जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 | 39 | 1506 | सूल्ही, सलषु, 1536 | कुतिगदे, धारा, देई 212 श्री श्री ज्ञा. भ. श्री अंबिकादेवी जी | जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 39 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org,

Loading...

Page Navigation
1 ... 591 592 593 594 595 596 597 598 599 600 601 602 603 604 605 606 607 608 609 610 611 612 613 614 615 616 617 618 619 620 621 622 623 624 625 626 627 628 629 630 631 632 633 634 635 636 637 638 639 640 641 642 643 644 645 646 647 648 649 650 651 652 653 654 655 656 657 658 659 660 661 662 663 664 665 666 667 668 669 670 671 672 673 674 675 676 677 678 679 680 681 682 683 684 685 686 687 688 689 690 691 692 693 694 695 696 697 698 699 700 701 702 703 704 705 706 707 708 709 710 711 712 713 714 715 716 717 718 719 720 721 722 723 724 725 726 727 728 729 730 731 732 733 734 735 736 737 738 739 740 741 742 743 744 745 746 747 748