Book Title: Jain Shravikao ka Bruhad Itihas
Author(s): Pratibhashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith Shajapur

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Page 591
________________ जैन श्राविकाओं का बृहद इतिहास 569 क्र० संवत् श्राविका नाम वंश/गोत्र । प्रेरक/प्रतिष्ठापक । प्रतिमा निर्माण | संदर्भ ग्रंथ । पृ. गच्छ / आचार्य आदि श्री श्री ज्ञा. आगम श्री आणंदरत्नसूरि भ. श्री चंद्र प्रभस्वामी | जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 | 31 जी 1421576 | राणी, जीवादे 143 श्री श्री ज्ञा. 33 144 | 1509 | मेलू, मेवू 1525 | अधूं, बकी. 1512 | लीलादे, राजलदे श्री श्री ज्ञा. 33 | प्रति. उदयनंदीसूरि पिप्पल श्री गुणसागरसूरि | तपा. उदयनंदीसूरि | ककुदा. श्री देवगुप्तसूरि भ. श्री पार्श्वनाथ जी । जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 भ. श्री नमिनाथ जी । जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 भ. श्री सुमतिनाथ जी | जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 भ. श्री अरनाथ जी जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 145 ऊकेष वंष 146 1533 नयनादे, सिरियादे ओस. ज्ञा. 33 बाफना 1471511 पाल्हणदे श्री श्री ज्ञा. | भ. श्री शीतलनाथ जी | जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 34 श्री विमलसूरि श्री लक्ष्मीसागरसूरि 148 1536 संपूरी, हीराई. प्रा. ज्ञा. भ. श्री आदिनाथ जी जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 149 1524 | धाऊ भ. श्री पार्श्वनाथ जी जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 | 35 श्री श्री ज्ञा. बृहत्त तपा. श्री ज्ञानसागरसूरि उकेष वंष अंचल जयकेसरीसूरि उके. भंडारी गोत्र | खरतर श्री जितहससूरि 150 1504 | वाछूहीरू, भ. श्री सुमतिनाथ जी | जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 | 178 भ. श्री कुंथुनाथ जी | जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 | 178 151 | 1563 | कस्तुराई, नाकू 178 152 | 1595 | नाकू 153 11530 माणिकदे 154 11668 | बच्छू, श्रीबाई, श्री श्री ज्ञा. | तपा. भट्टा विजयदानसूरि पूर्णिमा. देवेंद्रसूरि तपा. श्रीविजयगणि 178 भ. श्री सुमतिनाथ जी | जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 | भ. श्री सुमतिनाथ जी | जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 भ. श्री जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 शत्रुजयतीर्थावतारपट्टः जी | 179 155 1528 हर्षु, रगांई खरतर. श्री जिनचंद्रसूरि भ. श्री नमिनाथ जी जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 | 179 ऊके वंष दीक गोत्र श्री श्री ज्ञा. नागेंद्र. श्रीहेमरत्नसूरि भ. श्री वासुपूज्य जी | जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 | 180 श्री श्रीवंष अंचल श्री जयकेसरीसूरि भ. श्री शीतलनाथ जी | जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 | 180 वायड ज्ञा. 180 156 1531 कर्मणि, माणिकि 157 | 1522 | अहवदे, अरधु, भावलदे 158 1523 | लाडिकि, गांगी 159 | 1513 | कांऊ, पूरी 160 1551 कुतिगदे, पूगी, माईसु, जयमादे वीरवंष आगम. मुनिरत्नसूरि भ. श्री शांतिनाथ जी जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 अंचल. श्री जयकेसरी सूरि | भ. श्री संभवनाथ जी । जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 तपा. श्री हेमविमलसूरि भ. श्री धर्मनाथ जी जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 180 वायड़ ज्ञा.. | 181 1611598 | दीवड़ि, चंगाई मोढ़ वंष तपा. श्री विजयदानसूरि भ. श्री शांतिनाथ जी जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 | 181 162 श्री श्री ज्ञा. | आगम. देवरत्नसूरि भ. श्री कुंथुनाथ जी जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 | 181 15301 लीलसु, सताई 163|1509 पची , तिलू डाभिलागोत्र प्रा. | तपा. श्री रत्नषेखरसूरि भ. श्री चंद्रप्रभस्वामी जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 | 181 ज्ञा. . जी 1641520 गुउरि, वल्हादे प्रा.ज्ञा. तपा. श्री सोमदेवसूरि पूर्णिमा श्रीपुण्यरत्नसूरि | भ. श्री शीतलनाथ जी | जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 | भ. श्री विमलनाथ जी | जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 165 1561 रंगाई, अरधाई श्री श्री ज्ञा. 181 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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