Book Title: Jain Shravikao ka Bruhad Itihas
Author(s): Pratibhashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith Shajapur
View full book text
________________
574
क्र०
265
266
267
268
269
270
271
272
273
274
275
276
277
278
279
280
281
282
283
284
285
286
287
288
संवत्
1579
1512
1661
1526
1512
1544
1521
कुंअरि, रंगादे,
पची, गुरी, डाही
1508 घेतलदे, जइतू
श्राविका नाम
रूपलदे, नागलदे, महिमादे
1555 बकू, अकू
1584 नाथी, पूतलि
धारू, हुंडी
धारू
1683
1509 कमलादे, रंगाई
सरसई, माणिकदे
1
पची, वरणू, डाही, रत्नादे
1622
वच्छी
1556 हांसी, गुरी, कुतिगदे
1543जीवादे, ऊमादे, गुरी
1541 कुंअरि, मति
1578 लपी, पूराई
1503 फडू चांपू
1561
1554 रूडी, मणकई.
नामलदे, पदमाई,
1508 अरघू
1512 वांछ, आसि
1536 नामलदे, सिंगारदे
संघाई, इंद्राणी, सहजलदे
1542 रंगाई, इंद्राणि
Jain Education International
वंश / गोत्र
हुंबड ज्ञा.
हुंबड ज्ञा.
बुधगोत्र
ऊकेष वंष. भ.
गोत्र
श्री श्री ज्ञा.
हुंबड
प्रा. ज्ञा.
श्री ज्ञा.
श्री ज्ञा.
हुंबड ज्ञा.
प्रा. ज्ञा.
श्री श्री ज्ञा.
पोरवाड ज्ञा.
श्री श्री ज्ञा.
श्री श्री ज्ञा.
श्री श्री ज्ञा.
श्री श्री ज्ञा.
श्री श्री ज्ञा.
श्री श्री ज्ञा.
श्री श्री ज्ञा.
श्री श्री ज्ञा.
श्री ज्ञा.
ऊकेष वंष,
छाजडह
श्री श्री ज्ञा.
प्रेरक / प्रतिष्ठापक
गच्छ / आचार्य
श्री सौभाग्यसूरि
श्रीबृहत्तपा श्रीविजयधर्मसूरि
खरतर श्री सुंदर मणि
पूर्णिमा श्री जयचंद्रसूरि बृहत्तपा श्रीविजयधर्मूसरि
तपा. श्री रत्नषेखरसूरि
तपा. श्रीमविमलसूरि
तपा. श्री सौभाग्यहर्षसूरि
वृद्धतपा. श्री धर्मरत्नसूरि
आगम देवरत्नसूर
बृहतपा. श्री उदयवल्लभसूरि भट्टा, श्री हीरविजयसूरि श्री हेमविमलसूरि पूर्णिमा श्री लक्ष्मीप्रभसूरि श्रीभावदेवसूरि आगम विवेकरत्नसूर
आगम हेमरत्नसूर
वृद्धतपा. भट्टा श्री
धर्मरत्नसूर
पिप्पल श्री षांतिसूरि
तपा. श्री विजयानंदमूरि आगम हर्षतिलकसूर तपा. श्रीरत्नषेखरसूरि
श्री जिनचंद्रसूरि
वृद्धतपा. श्री उदयसागरसूरि
For Private & Personal Use Only
सोलहवीं से 20वीं शताब्दी की जैन श्राविकाएँ
प्रतिमा निर्माण
आदि
भ. श्री सुमतिनाथ जी
भ. श्री विमलनाथ जी
भ. श्री विमलनाथ जी
भ. श्री संभवनाथ चतुर्वि जी
भ. श्री कुंथुनाथ जी
भ. श्री विमलनाथ जी
भ. श्री अनंतनाथ जी भ. श्री सुविधिनाथ जी भ. श्री आदिनाथ जी भ. श्री शीतलनाथ जी
भ. श्री संभवनाथ जी
भ. श्री अभिनंदन जी
जै.धा.प्र.ले.सं.भा. 2
भ. श्री विमलनाथ जी जै.धा.प्र.ले.सं.भा. 2
भ. श्री अभिनंदन जी
जै.धा.प्र.ले.सं.भा. 2
भ. श्री नमिनाथ जी
जै.धा.प्र.ले.सं.भा. 2
जै.धा.प्र.ले.सं.भा. 2
भ. श्री मुनिसुव्रत चतु जी
भ. श्री सुविधिनाथ जी
भ. श्री धर्मनाथ जी
भ. श्री शीतलनाथपंचतीर्थी जी भ. श्री शांतिनाथ जी भ. श्री श्रेयांसनाथ जी
भ. श्री कुंथुनाथ जी
भ. श्री चंद्रप्रभ जी
संदर्भ ग्रंथ
भ. श्री अनंतनाथ जी
जै.धा. प्र.ले.सं.भा.2
जै.धा. प्र.ले.सं. भा. 2
जै.धा. प्र.ले.सं.भा. 2
जै.धा. प्र.ले.सं.भा. 2
जै.धा. प्र.ले.सं.भा. 2 जै.धा. प्र.ले.सं.भा. 2
जै.धा.प्र.ले.सं.भा. 2
जै.धा.प्र.ले.सं.भा. 2 जै.धा.प्र.ले.सं.भा. 2 जै.धा.प्र.ले.सं.भा. 2 जै.धा.प्र.ले.सं.भा. 2
पृ.
जै.धा.प्र.ले.सं.भा. 2
54
54
55
55
55
55
55
55
55
जै.धा. प्र.ले.सं.भा. 2 जै.धा.प्र.ले.सं.भा. 2 57 जै.धा.प्र.ले.सं.भा. 2 57 जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2
जै.धा.प्र.ले.सं.भा. 2 जै.धा.प्र.ले.सं.भा. 2
56
56
57
བ། བ། བ། བ། བ ཐ
57
57
57
58
58
58
58
59
59
59
www.jainelibrary.org

Page Navigation
1 ... 594 595 596 597 598 599 600 601 602 603 604 605 606 607 608 609 610 611 612 613 614 615 616 617 618 619 620 621 622 623 624 625 626 627 628 629 630 631 632 633 634 635 636 637 638 639 640 641 642 643 644 645 646 647 648 649 650 651 652 653 654 655 656 657 658 659 660 661 662 663 664 665 666 667 668 669 670 671 672 673 674 675 676 677 678 679 680 681 682 683 684 685 686 687 688 689 690 691 692 693 694 695 696 697 698 699 700 701 702 703 704 705 706 707 708 709 710 711 712 713 714 715 716 717 718 719 720 721 722 723 724 725 726 727 728 729 730 731 732 733 734 735 736 737 738 739 740 741 742 743 744 745 746 747 748