Book Title: Jain Shravikao ka Bruhad Itihas
Author(s): Pratibhashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith Shajapur

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Page 605
________________ जैन श्राविकाओं का बृहद इतिहास क्र० संवत् | प्राविका नाम संदर्भ ग्रंथ । वंश/गोत्र | प्रेरक/प्रतिष्ठापक | गच्छ / आचार्य | आदि प्रा. ज्ञा. अंचल, जयकेसरी सूरि भ. श्री संभवनाथ जी | जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 | 125 493 |1521 | छाली, कुंअरि 4941507 | कर्मादे, फदू, हीमति 495 1587 || जसमाई, षीमाई, दीवी, श्री श्री ज्ञा. आगम. हेमरत्नसूरि भ. श्री अभिनंदन जी | जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 | 125 श्री. श्री. ज्ञा. अंचल. गुणनिधानसूरि भ. श्री आदिनाथ जी जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 | 125 धनाई 1548 | मांकू, भोली श्री ज्ञा. अंचल. सिद्धांतसागरसूरि | 126 भ. श्री आदिनाथ चतु. | जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 जी . 497 | 1523| हांसलदे,रमादे प्रा. ज्ञा. तपा. लक्ष्मीसागरसूरि 126 498 | 1683 | इंद्राणी ओसवंष | भ. श्री कुंथुनाथ जी | जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 भ, श्री पार्श्वनाथ जी | जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 | भ. श्री संभवनाथ जी | जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 | 126 श्री श्री ज्ञा. 126 हर्षरत्नसूरि विमलसूरि श्री श्री ज्ञा. | भ. श्री संभवनाथ जी | जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 127 उप, वंष खरतर. जिनहर्षसूरि 127 प्रा. ज्ञा. 490 | 1610 | श्रृंगारदेवी 4911524 | रामलदे, चमकू 492 | 1520 | दुलहादे, हंसाई | 1561 | गुरूदे, हांसलदे 1537 लाटू वाल्ही , आसीठ 495 | 1626 | पूनी 496 | 1512 | चेदू, लक्ष्मी, रामति 497 | 1612 | रत्नाई, जीवादे - 127 | भ. श्री नमिनाथ जी जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 भ. श्री सुविधिनाथ जी | जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 भ. श्रीशांतिनाथ जी जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 हर्षरत्नसूरि वृद्धतपा. विजयरत्नसूरि 494 - श्री श्री ज्ञा. - 127 श्री. श्री. ज्ञा. तपा. श्री हीरविजयसूरि भ. श्रीशीतलनाथ जी । जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 127 श्री. श्री. ज्ञा. | 128 आगम गच्छ हेमरत्नसूरि | भ. श्री सुमतिनाथ जी | जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 कॉरट श्री नन्नसूरि भ. श्रीशांतिनाथ जी |जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 .............. 128 498 1644वलादे, मंगलादे श्री. श्री. ज्ञा. 499 1509 माल्हणदे श्री. श्री. ज्ञा. 500 1513 | वीरू, रूदी, वायड ज्ञा. तपा. श्री विजयसेनसूरि | भ. श्री वासुपूज्य जी | जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 | 128 पिप्पल. श्री गुणरत्नसूरि | भ. श्रीशीतलनाथ जी | जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 128 वृद्धतपा. श्रीजिनरत्नसूरि | भ. श्री श्रेयांसनाथ जी | जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 129 ब्रह्माण. मुनिश्रीवीरसूरि भ. श्री कुंथुनाथ जी जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 129 ज्ञानकीय श्री धनेष्वरसूरि भ. श्रीशांतिनाथ जी | जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 | 129 501 1579 माणिकदे, जसमादे, श्री श्री ज्ञा. 502 1535 लषमादे, जयकू उप. ज्ञा. उसभगोत्र 503 प्रा. ज्ञा. 504 श्री ज्ञा. संघवी 1546 | धर्मणि,सरीयादे 1552 | कउतिगदे,जीजी 1520 | मेचू, रूडी 11554 नत्नादे ,वील्हणदे, गौरी । 505 प्रा. ज्ञा. 506 श्री. श्री. ज्ञा. आगम विवेकरत्नसूरि भ. श्री श्री चंद्रप्रभ जी जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 | 129 खरतर. श्री जिनहर्षसूरि भ. श्री सुमतिनाथ जी | जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 130 तपा. श्री सूरि भ. श्रीशीतलनाथ जी | जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 130 बुद्धिसागरसूरि भ. श्री जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 | 130श्रेयांसप्रभस्वामी जी आगम. षिवकुमारसूरि भ. श्री वासुपूज्य जी । जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 | 130 पूर्णिमा. विषाल राजसूरि भ. श्रीशांतिनाथ जी | जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 | 130 सूरि भ. श्री नेमिनाथ जी जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 | 130 तपा. विजयदानसूरि भ. श्री धर्मनाथ जी । जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 - 131 | 507 | 1556 | रूपाई 508 11530 लाडी, लीलादे श्री श्री ज्ञा. | श्री श्री ज्ञा. श्री श्री ज्ञा. | ओस. ज्ञा. 509 1549 पूतलि 1612 | धनाई,बुधी 510 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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