Book Title: Jain Shravikao ka Bruhad Itihas
Author(s): Pratibhashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith Shajapur

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Page 613
________________ जैन श्राविकाओं का बृहद इतिहास क्र० 688 689 690 691 692 693 694 695 696 697 698 699 700 701 702 703 704 705 706 707 708 709 710 711 संवत् 1632 1508 1528 1589 1519 1517 1531 1520 1523 श्राविका नाम जीबाई गुरी, मागिणि दव, अमरी, वीरू सुहवदे, गौरी, कामलदे कुतिगदे, लीलादे जमणादे 1553 मानुपु माल्हुसु 1569 हेमादे, बीमाई 1561 जालणदे 1600 रमाई, ललितादे, मनाई कर्माणि, माणिकदे हीरू, कर्माई, कपूराई सूहवदे, कुंअरि, टबक, रत्नादे, वनादे 1525 नागलदे, विमलादे 1400 नयगादेवी 1529 कूसरि, हेमाई 1632 सहिजलदे, वीराई 1506 राजू, रंगाई 1547 रमाई 1524 गोमति मकांसु कमली 1667 विजलदे 1525 सूहवदे, कंअरि, रत्नादे 1541 सिरीठ लाडिकि 1634 वसुराई, सहिजलदे Jain Education International वंश / गोत्र प्रेरक / प्रतिष्ठापक गच्छ / आचार्य तपा. श्री हीरविजयसूरि ब्रह्माणविमलसू मोढ ज्ञा. श्री ज्ञा. श्री श्री ज्ञा. श्रीमाल ज्ञा. प्रा. ज्ञा. उपकेष ज्ञा. मंडोवंष गोत्र श्री श्री वंष श्री ज्ञा. ऊकेष ज्ञा. श्री ज्ञा. श्री श्री ज्ञा. ओएसवंष वायड ज्ञा. ओस ज्ञा. मंडोवरा गोत्र उप वंष श्री श्री ज्ञा. प्रा. ज्ञा. श्री श्री ज्ञा. श्री श्री ज्ञा. श्री श्री ज्ञा. वायड ज्ञा. मोढ ज्ञा. सुराणागोत्र उपकेष वंष | पिप्पल गुणसागरसूरि ब्रह्माण विमल सूरि संडेर श्री सालिभद्रसूरि धर्मघोष श्री साधुरत्नसूर पीपल. श्री धर्मवल्लभसूरि कोरंट श्री नन्नसूरि पूर्णिमा श्री उदयचंद्रसूरि | अंचल गुणनिधान नागेंद्र श्री हेमरत्नसूरि | अंचल. जसकेसरीसूरि तपा. श्री लक्ष्मीसागरसूरि धर्मघोष श्री सारत्नसूरि श्री कक्कसूरि वृद्धतपा. ज्ञानसागरसूरि तपा. श्री हीरविजय सूरि पूर्णिमा श्री गुणसमुद्रसूरि तपा. श्री प्रतिमा निर्माण आदि भ. श्री धर्मनाथ जी भ. श्री विमलनाथ जी भ. श्री सुविधिनाथ जी भ. श्री कुंथुनाथ जी भ. श्री आदिनाथ जी भ. श्रीशीतलनाथ जी For Private & Personal Use Only भ. श्रीशीतलनाथ जी भ. श्री वासुपूज्य जी भ. श्री आदिनाथ जी भ. श्री सुमतिनाथ जी भ. श्री सुमतिनाथ जी भ. श्री श्रेयांसनाथ जी भ श्री मुनिसुव्रत चतु जी भ. श्री पार्श्वनाथ जी भ. श्री वासुपूज्य जी भ. श्री पार्श्वनाथ जी भ. श्री सुमतिनाथ जी भ. श्री गौतम प्रतिमा जी भ. श्री नमिनाथ जी संदर्भ ग्रंथ जै.धा. प्र.ले.सं.भा. 2 जै.धा.प्र.ले.सं.भा. 2 जै. धा. प्र.ले.सं.भा. 2 जै.धा. प्र.ले.सं.भा. 2 वृद्धतपा. सौभाग्यरत्नसूरि भ. श्री सुपार्श्वनाथ जी जै.धा.प्र.ले.सं.भा. 2 जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 जै.धा.प्र.ले.सं.भा. 2 जै.धा. प्र.ले.सं.भा. 2 जै.धा. प्र.ले.सं.भा. 2 जै.धा.प्र.ले.सं.भा. 2 जै.धा.प्र.ले.सं.भा. 2 जै.धा. प्र.ले.सं.भा. 2 जै.धा.प्र.ले.सं.भा. 2 पूर्णिमा श्री पुण्यरत्नसूरि अंचल श्री कल्याणसागरसूर प्रति. श्री लक्ष्मीसागरसूरि भ. श्रीशांतिनाथ चतु जै. धा.प्र.ले.सं. भा. 2 जी जै.धा. प्र.ले.सं.भा. 2 जै.धा.प्र.ले.सं.भा. 2 जै.ध.प्र.ले.सं.भा. 2 जै.धा. प्र.ले.सं.भा. 2 जै.धा.प्र.ले.सं.भा. 2 जै.धा. प्र.ले.सं.भा. 2 जै.धा. प्र.ले.सं.भा. 2 भ. श्री चतुर्विंशतिपट्ट जै. धा. प्र.ले.सं.भा. 2 जी भ. श्री संभवनाथ चतु | जै.धा. प्र.ले.सं.भा. 2 जी जै.धा.प्र.ले.सं.भा. 2 591 पृ. 1 177 177 177 191 191 191 192 192 192 193 193 193 193 193 193 194 194 194 194 194 195 195 199 199 www.jainelibrary.org

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