________________
406
सोलहवीं से 20वीं शताब्दी की जैन श्राविकाएँ
क्र० | संवत्
श्राविका नाम
वंश/गोत्र
प्रतिमा निर्माण
आदि
।
प्रेरक/प्रतिष्ठापक गच्छ /आचार्य
संदर्भ ग्रंथ
508
1594
षट्पाहुड टीका
श्री प्र. सं
175
| पूनी, गूजरी, रूपा | खंडेलवाल आदि ने
| वाकलीवाल गोत्र लिखवाया रोहिणी व्रत उद्योतनार्थ
509
1515
हडो
जिनचंद्र देव
पार्श्वनाथ प्रतिमा
भ. स.
510
1561
गोमाई
श्री लक्ष्मीसेन
बघेरवाल बोरखंडयागोत्र
पद्मावती प्रतिमा
भ. स.
282
511
1534
पांचु
ब्रह्मदेवदास पठनार्थ
पुण्यासव कथाकोष
भ. स.
159
512
1525
सोना, मना
श्री सिंहकीर्ति
श्रेयांसनाथ प्रतिमा
भ. स.
126
513
|1520
इंदा
श्री सिंहकीर्ति
महावीर प्रतिमा
| भ. स.
126
514
1586
राजाई
पार्श्वनाथ प्रतिमा
भ. स.
515
1580
मेघ की भार्या
बघेरवाल ज्ञा. हरसौशगोत्र
धर्मभूषण
नेमिनाथ मूर्ति
भ. स.
516
|1521
धनश्री
श्री नेत्रनंदिदेव
पउमचरियं
| भ. स.
खंडेलवाल लुहाडिया गोत्र खंडेलवाल
5171533
धनश्री.
भ. स.
101
सुमेध पंडित को पठनार्थ | अध्यात्मतरंगिणी प्रदान की
टीका श्री ज्ञानसागर पठनार्थ महाभिषेक भाष्य
518
1582
भ, स.
180
519
1544
श्री मल्लिभूषण
पद्मावती प्रतिमा
भ. स.
177
विनयश्री ने स्वयं लिखवाया रूपिणी.. नारिंगदे | हुंबड़ ज्ञा जिनमति ने करवाया कुसुमा
बराहिया कुल
520
1545
अर्जुन ने स्वपूजनार्थ करवाया था
आदिनाथ प्रतिमा
भ. स.
104
521
1510
मालेही
चंद्रप्रभु प्रतिमा
भ. स.
तोमर वंश, वासिल गोत्र ओस. वंश.
522
1553
मानू
वासुपूज्य प्रतिमा
319
523
1533
धनश्री
भ. स.
482
524
1560
माणिक बाई
हूमड़. ज्ञा.
भ. स.
482
आचार्य पद्मनंदि को जंबूद्वीप प्रज्ञप्ति समर्पित की थी
लिपिबद्ध करवाई गोम्मटसार पंजिका लिखवाकर लघविशालकीर्ति को
भेंट में दी ज्ञानभूषण मुनि की प्ररेणा | श्रुतपंचमी एवं से प्रदान की
भविष्यदत्त चरित्र
525
1540
भ. स.
149
| ललतादे. वीलहणदे आदि ने लिखवाया मलाई
526
1510
हुंबड. ज्ञा.
भ. सकलकीर्ति
पंच परमेष्ठि मूर्ति
भ. स.
138
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org,