Book Title: Jain Shravikao ka Bruhad Itihas
Author(s): Pratibhashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith Shajapur

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Page 564
________________ सोलहवीं से 20वीं शताब्दी की जैन श्राविकाएँ क्र० संवत् श्राविका नाम वंश/गोत्र प्रेरक/प्रतिष्ठापक | प्रतिमा निर्माण संदर्भ ग्रंथ गच्छ/आचार्य आदि पूर्णिमा राजतिलकसूरि भ. श्री सुमतिनाथ | जै.धा.प्र.ले.स. 3446 1511 | मदी श्री. श्री. ज्ञा. 222 जी 3447 | 1536 | चमकू, अमकू | श्री. श्री. ज्ञा. पूर्णिमा श्री गुणधीरसूरि | भ. श्री श्रेयांसनाथ जै.धा.प्र.ले.स. 222 3448 | 1501 | जेसलदे | श्री. श्री. ज्ञा. नागेन्द्र विनय प्रभसूरि भ. श्री सुमतिनाथ जै.धा.प्र.ले.स. 222 जी 3449 | 1505 | लाठी सुवण लढाऊ गोत्र 223 खरतर श्री जिनभद्रसूरि | भ. श्री सुविधिनाथ जै.धा.प्र.ले.स. जी पिप्पल श्री धर्मसागरसूरि | भ. श्री शांतिनाथ | जै.धा.प्र.ले.स. 3450 1510 | सुहवदे श्री. श्री. ज्ञा. 223 जी 3451 1512 | सुहवदे श्री. श्री. ज्ञा. 224 3452 | 1506 | पतली श्री. श्री. ज्ञा. पिप्पल श्री धर्मसागरसूरि | भ. श्री शांतिनाथ | ज.धा.प्र.ले.स. जी | श्री जिनमाणिक्यसूरि | भ. श्री नमिनाथ | जै.धा.प्र.ले.स. जी पिप्पल श्री उदयदेवसूरि भ. श्री नमिनाथ जै.धा.प्र.ले.स. 224 श्री. श्री. ज्ञा. 225 3453 1511 | खेतलदे भोली कामलदे 3454 | 1506 | वापुदे जी श्री. श्री. ज्ञा. पूर्णिमा श्री वीर प्रभसूरि भ. श्री शांतिनाथ | जै.धा.प्र.ले.स. 229 जी 3455 | 1536 | रयवा, माणिक उप. ज्ञा. अंचल श्री जयकेसरीसूरि | 229 भ. श्री संभवनाथ | जै.धा.प्र.ले.स. जी भ. श्री अजितनाथ जै.धा.प्र.ले.स. 3456 | 1511 | मदी श्री. श्री. ज्ञा. श्री सूरि 229 3457 1560 | रंगी, पालू | श्री. श्री. ज्ञा. 230 | नागेन्द्र श्री हेमसिंहसूरि | भ. श्री शंतिनाथ जै.धा.प्र.ले.स. जी धर्मघोष श्री पदमानंदसूरि | भ. श्री सुमतिनाथ | जै.धा.प्र.ले.स. 3458 1521 | केल्हणदे उप. ज्ञा. नाहर 230 जी 3459 1532 | सरस्वती, रंगी उप. ज्ञा. भावडार श्री भावदेवसूरि भ. श्री नमिनाथ | जै.धा.प्र.ले.स. 230 3460 | 1560 | हासलदे, अधिकादे तपा श्री कमलसूरि 231 | भ. श्री वासुपूज्य | जै.धा.प्र.ले.स. | जी | भ. श्री शीतलनाथ जै.धा.प्र.ले.स. 3461 1543 | जीवनीदे, मणिकदे श्री. श्री. ज्ञा. श्री सौभाग्यरत्नसूरि 231 जी 3462 15 पंगादे, मटकूदे प्रा. ज्ञा. वृद्धतपा जिनसुन्दरसूरि | भ. श्री विमलनाथ | जै.धा.प्र.ले.स. 231 जी 3463 | 1523 | जसूदे, रतनादे श्री. श्री. ज्ञा. तपा. श्री लक्ष्मीसागरसूरि | भ. श्री अभिनन्दन जै.धा.प्र.ले.स. 232 जी 3464 | 1526 | रत्नादे, वील्हणदे श्री. श्री. ज्ञा. श्री बुद्धि सागर सूरि भ. श्री सुमतिनाथ जै.धा.प्र.ले.स. 232 जी 3465 1517 हेली श्री. श्री. ज्ञा. 232 पिप्पल श्री गुणरत्नसूरि । | भ. श्री श्रेयांसनाथ जै.धा.प्र.ले.स. जी पिप्पल. पद्मानन्दसूरि | भ. श्री शांतिलनाथ जै.धा.प्र.ले.स. 3466 | 1548 | गांजूदे, गांवदू श्री. श्री. ज्ञा. 233 मल्हादे जी 3467 1513 | नाडी, कालीदे श्री. श्री. ज्ञा. बह्माण श्री मणिचन्द्रसूरि | भ. श्री आदिनाथ जै.धा.प्र.ले.स. 233 3468 | 1527 | माणिकदे श्री. श्री. ज्ञा. पिप्पल शालिभद्रसूरि | भ. श्री सुमतिनाथ | जै.धा.प्र.ले.स. 234 3469 | 1534 | माल्हणदे, तूबी श्री लक्ष्मीसागरसूरि 234 भ. श्री आदिनाथ | जै.धा.प्र.ले.स. जी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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