Book Title: Jain Shravikao ka Bruhad Itihas
Author(s): Pratibhashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith Shajapur

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Page 565
________________ जैन श्राविकाओं का बृहद् इतिहास क्र० संवत् | श्राविका नाम वंश/गोत्र आदि 3470 | 1537 | रामती श्री वीर वंष । प्रेरक/प्रतिष्ठापक | प्रतिमा निर्माण| संदर्भ ग्रंथ । गच्छ/आचार्य अंचल श्री जयकेसरीसूरि | भ. श्री अनन्तनाथ| जै.धा.प्र.ले.स. 234 जी | खरतर, श्रीजिनचंद्रसूरि भ. श्री |पा.जै.धा.प्र.ले.स. | 112 मुनिसुव्रतस्वामी 3471 1528 | वील्हणदे, देवलदे | उकेशवंश वहुरा गोत्र जी 3472 | 1528 | चंपाइ, हीराई खरतर, श्रीजिनचंद्रसूरि भ. श्री शीतलनाथ पा.जै.धा.प्र.ले.स. 113 उकेशवंश भंसाली गोत्र उकेश रीहडगोत्र जी | खरतर, श्रीजिनचंद्रसूरि | भ. श्री सुमतिनाथ पा.जै.धा.प्र.ले.स. 113 3473 | 1528 | मोहणदे, लखमाई, देवलदे 3474 | 1528 | हीरादे, झवी प्रा.ज्ञा. श्री सूरि भ. श्री कुंथुनाथ पा.जै.धा.प्र.ले.स. | 113 3475 | 1528 वीजलदे, देवलदे । ऊकेश. श्रीधर्मसागरसूरि | भ. श्री धर्मनाथ । पा.जै.धा.प्र.ले.स. 113 जी 3476 | 1528 | बाई श्री. ज्ञा. पूर्णिमा सागरतिलकसूरि भ. श्री चंद्रप्रभु जी पा.जै.धा.प्र.ले.स. 113 3477 | 1528 | कपूरी, पूतलि प्रा.शा. तपा श्री लक्ष्मीसागरसूरि | भ. श्री शीतलनाथ पा.जै.धा.प्र.ले.स. 113 जी श्री.ज्ञा. नागेंद्र, श्रीहेमरत्नसूरि 113 3478 | 1529 | पुंजी टबकू सहजलदे, रूपी 3479 | 1529 | पूंजी भ. श्री विमलनाथ | पा.जै.धा.प्र.ले.स. जी | भ. श्री शीतलनाथ पा.जै.धा.प्र.ले.स. श्री.श्रा. नागेंद्र श्री हेमरत्नसूरि 114 3480 1529 | तारू, झमकु डीसांवाल ज्ञा. तपा. श्रीलक्ष्मीसागरसूरि भ. श्री सुमतिनाथ | पा.जै.धा.प्र.ले.स. 114 जी 3481 | 1529 | कपूरी, निद्गदा 114 3482 | 1529 | पांचू, सुहासिणि ऊपकेश ज्ञा. डिंडिंभ | ऊपकेश देवगुप्तसूरि भ. श्री श्रेयांसनाथ पा.जै.धा.प्र.ले.स. गोत्री | प्रा.ज्ञा. तपा. श्री लक्ष्मीसागरसूरि | भ. श्री कुंथुनाथ | पा.जै.धा.प्र.ले.स. जी प्रा.ज्ञा. तपा. श्री लक्ष्मीसागरसूरि | भ. श्री कुंथुनाथ | पा.जे.धा.प्र.ले.स. 114 3483 | 1529 114 | काउ, संपुरी, शेमति, गोइ आदि | राणी, पांचू | 3484 1529 प्रा.ज्ञा. 114 तपा. श्री लक्ष्मीसागरसूरि | भ. श्री संभवनाथ पा.जै.धा.प्र.ले.स. जी श्रीसूरि भ. श्री सुमतिनाथ पा.जै.धा.प्र.ले.स. 3485 1529 | पद्नाई, मेधाई उपकेश ज्ञा. 115 3486 | 115 1529 | चमकू धनी, रामति, | डीसावाल ज्ञा. हरखादि | 1529 | सोमी, पनी प्रा.ज्ञा. तपा. श्री लक्ष्मीसागरसूरि | भ. श्री श्रेयांसनाथ पा.जै.धा.प्र.ले.स. | जी तपा. श्री लक्ष्मीसागरसूरि | भ. श्री नमिनाथ | पा.जै.धा.प्र.ले.स. 3487 115 3488 | 1529 | सोमी, पनी 115 3489 | 1530 | कस्मीरदे प्रा.ज्ञा. तपा. श्री लक्ष्मीसागरसूरि | भ. श्री शीतलनाथ पा.जै.धा.प्र.ले.स. जी भावडार श्री श्रीमाल | भावदेवसूरि | पा.जै.धा.प्र.ले.स. ज्ञा. जीवितस्वामी जी श्री श्रीमाल ज्ञा. पूर्णिमा मुनिसिंधसूरि भ. श्री शांतिनाथ | पा.जै.धा.प्र.ले.स. भ. श्री 115 3490 | 1530 | सारंगदे, गांगी 115 3491 | 1530 गणिआ, सोही उकेश ज्ञा. 115 तपा. श्री लक्ष्मीसागरसूरि भ. श्री संभवनाथ | पा.जै.धा.प्र.ले.स. | जी तपा. श्री लक्ष्मीसागरसूरि भ. श्री आदिनाथ पा.जै.धा.प्र.ले.स. 3492 | 1530 | माउ, वाल्ही प्रा.ज्ञा. 1116 जी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org


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