Book Title: Jain Shravikao ka Bruhad Itihas
Author(s): Pratibhashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith Shajapur

View full book text
Previous | Next

Page 583
________________ जैन श्राविकाओं का बृहद् इतिहास क्र० संवत् श्राविका नाम वंश/गोत्र प्रेरक/प्रतिष्ठापक गच्छ/आचार्य उप. सीसोदिया गोत्र | श्री सालिसूरि प्रतिमा निर्माण संदर्भ ग्रंथ आदि भ. श्रीनमिनाथ जी पा.जै.धा.प्र.ले.स. 3881 | 1536 | देवलदे, तलदे 39 3882 | 1536 | जइतदे भ. श्री मुनिसुव्रत | पा.जै.धा.प्र.ले.स. उपकेष ज्ञा. सिंधानिया गोत्र श्रीमाल 3883 | 1559 | देमी 3884 1570 | सहजलदे, लाभकि प्रा. ज्ञा. 3885 1569 | गोमति, वनादे, लालू | वायड़ ज्ञा. पूर्णिमा सिंहसूरि भ. श्री संभवनाथ | पा.जै.धा.प्र.ले.स. जी नागेंद्र श्री हेमसिंहसूरि भ. श्री आदिनाथ | पा.जै.धा.प्र.ले.स. जी आगम श्री सोमरत्नसूरि | भ. श्री आदिनाथ | पा.जै.धा.प्र.ले.स. जी | ब्रह्माण मुनिचन्द्र भ. श्री आदिनाथ | पा.जै.धा.प्र.ले.स. जी पिप्पल श्री चंद्रसूरि भ. श्री विमलनाथ पा.जै.धा.प्र.ले.स. 42 3886 1511 नाऊ श्रीमाल ज्ञा 41 3887 | 1530 श्रीयादे श्रीमाल ज्ञा 3888 | 1531 | देल्ह, सोनी, रतनी | उसवंष लोढ़ा गोत्र |बृहद. श्री सूरि भ. श्री अजितनाथ पा.जै.धा.प्र.ले.स. जी भ. श्री संभवनाथ | पा.जै.धा.प्र.ले.स. 3889 | 1555 | गोरादे, वल्हादे सीधम गोत्र तान खरतर. श्रीजिनचंद्रसूरि 42 जी 38901525 लाशिमदे उपकेष बाबेल गोत्र | मलधारी गुणसुंदर सुरि | श्री चन्द्रप्रभु जी | पा.जै.धा.प्र.ले.स. 143 सीतोरेचा गोत्र नाणकीय श्री धनेष्वरसूरि | भ. श्री संभवनाथ | पा.जै.धा.प्र.ले.स. 38911542 | सूरमादे, सहजादे, पगमलदे, सहजा 3892 | 1510 | देल्हणदे जी ऊकेष भ. श्री संभवनाथ | पा.जै.धा.प्र.ले.स. 3893 1501 धना उपकेषवंष श्री जिनसागरसूरि भ. श्री सुविधिनाथ| पा.जै.धा.प्र.ले.स. जी 38941504 | दोया । जया भी रनोखरसूरि न भी सुपरस्चना परतीमाप्रलेस. | तपा श्री रत्नशेखरसूरि | भ. श्री सुपार्श्वनाथ पा.जै.धा.प्र.ले.स. 47 जी 3895 | 1507 | लाशणदे प्रा. ज्ञा. श्री कक्कसूरि भ. श्री संभवनाथ | पा.जै.धा.प्र.ले.स. 47 3896 | 1507 | सोना, कमलश्री खाटड़ गोत्र धर्मघोश हेमचन्द्रसूरि भ. श्रीआदिनाथ जी पा.जै.धा.प्र.ले.स. 147 3897 | 1509 चील्ह, साल्ही | श्री काष्ठा संघ श्री मलय कीर्ति पा.जै.धा.प्र.ले.स. 147 am on सुगुणादे उप. शा. आईरीगोत्र ( उप श्री कक्षनरिभ. श्रीधन्दाम जी पालाप्रलेस. 3898 | 1509 | सुगुणादे उप. ज्ञा. आईरीगोत्र उप. श्री कक्कसूरि भ. श्रीचन्दप्रभ जी | पा.जै.धा.प्र.ले.स. 48 3899 1509 रंगादे ओस वंष 3900 | 1509 रूपी उपकेषवंष श्री साधुसूरि भ. श्री सुमतिनाथ पा.ज.धा.प्र.ले.स. जी खरतर श्री जिनभद्र सूरि | भ. श्री पार्श्वनाथ | पा.जै.धा.प्र.ले.स. जी श्री कक्क सूरि भ. श्री संभवनाथ | पा.जै.धा.प्र.ले.स. 148 3901 | 1509 | जइनलदे, पाल्हणदे | उपकेष. ज्ञातीय 48 जी | save | 150 सङ्ग साणी, हीलप्र. शा. 3902 1510 | सडू, राणी, हीरू प्रा. ज्ञा. तपा श्री रत्नसागरसूरि । श्री धर्मनाथ पाउज या प्रलेस. || तपा श्री रत्नसागरसूरि | भ. श्री धर्मनाथ जी | पा.जै.धा.प्र.ले.स. 49 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 581 582 583 584 585 586 587 588 589 590 591 592 593 594 595 596 597 598 599 600 601 602 603 604 605 606 607 608 609 610 611 612 613 614 615 616 617 618 619 620 621 622 623 624 625 626 627 628 629 630 631 632 633 634 635 636 637 638 639 640 641 642 643 644 645 646 647 648 649 650 651 652 653 654 655 656 657 658 659 660 661 662 663 664 665 666 667 668 669 670 671 672 673 674 675 676 677 678 679 680 681 682 683 684 685 686 687 688 689 690 691 692 693 694 695 696 697 698 699 700 701 702 703 704 705 706 707 708 709 710 711 712 713 714 715 716 717 718 719 720 721 722 723 724 725 726 727 728 729 730 731 732 733 734 735 736 737 738 739 740 741 742 743 744 745 746 747 748