Book Title: Jain Shravikao ka Bruhad Itihas
Author(s): Pratibhashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith Shajapur

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Page 567
________________ जैन श्राविकाओं का बृहद् इतिहास | पृ. | 119 120 क्र० संवत् श्राविका नाम । वंश/गोत्र प्रेरक/प्रतिष्ठापक | प्रतिमा निर्माण संदर्भ ग्रंथ गच्छ/आचार्य आदि 3517 | 1532 देवलदे, धाकू श्री. श्रीमाल. ज्ञा. | सुंदरसूरि भ. श्री शीतलनाथ पा.जै.धा.प्र.ले.स. जीवितस्वामी जी | 35181532 | मंदोयरि उपकेश ज्ञा. उपकेश, श्रीदेवगुप्तसूरि | भ. श्री शांतिनाथ | पा.जै.धा.प्र.ले.स. जी 3519 1532 लोली, वारू परोक्ष, उपकेश ज्ञा. उपकेश, श्रीदेवगुप्तसूरि भ. श्री मुनिसुव्रत पा.जे.धा.प्र.ले.स. सोहागदे बागरगोत्रे 3520 1532 लाछि, रईसाही उसिवाल ज्ञा. उपकेश, श्रीदेवगुप्तसूरि भ. श्री शांतिनाथ | पा.जै.धा.प्र.ले.स. तातहड़ गोत्रे जी 3521 1532 | हेमादे, मुधादे ओसवाल ज्ञा. वृद्धतपा उदयसागरसूरि भ. श्री सुमतिनाथ | पा.जै.धा.प्र.ले.स. 1120 जी | 120 120 जी 3522 1532 संपरि, करमी प्रा. ज्ञा. तपा श्री महिसमुद्र भ. श्री शीतलनाथ पा.जै.धा.प्र.ले.स. 120 3523 1532 हीरादे, राणी श्री. श्रीवंश अंचल श्री जयकेसरीसूरि भ. श्री विमलनाथ | पा.जै.धा.प्र.ले.स. 120 35241532 श्री पदमानंदसूरि भ. श्री आदिनाथ | पा.जै.धा.प्र.ले.स. 120 जी 3525 1532 121 रूपा सुराणागोत्र उपकेशवंश धर्मिणि, प्रसहली. प्रा. ज्ञा. देमी, पातलि तारू, जानू, राजलदे, | श्री. श्रीमाल. ज्ञा. तेजलदे प्रा. ज्ञा. 3526 11532 तपा. श्री लक्ष्मीसागरसूरि | भ. श्री शांतिनाथ | पा.जै.धा.प्र.ले.स. जी आगम. श्रीअमररत्नसूरि भ. श्री पा.जै.धा.प्र.ले.स. सुपार्वादिपंच जी तपा. श्री लक्ष्मी रसूरि भ. श्री अजितनाथ पा.जै.धा.प्र.ले.स. 121 3527 1532 | हीरा 1121 3528 1532 गुरी, पानू, मटी, राणी | कोचर पा.जै.धा.प्र.ले.स. 121 तपा. श्री लक्ष्मीसागरसूरि | भ. श्री वासुपूज्य जी भ. श्री पार्श्वनाथ 35291532 नाई प्रा. ज्ञा. पा.जै.धा.प्र.ले.स. 121 3530 1533 वल्हादे, वइजलदे उकेश ज्ञा. तपा. श्री लक्ष्मीसागरसूरि भ. श्री संभवनाथ पा.जै.धा.प्र.ले.स. | 121 जी 35311533ड़ाही, हीरू श्री माल ज्ञा. 121 3532 | 1533 | जीविणि रही । प्रा. ज्ञा. 122 122 3533 | 1533 | चमकू राणी लाडिकी, | श्री. श्रीमाल. ज्ञा, करमादे, सोनाई 3534 | 1533 | धरधनी, गोरी, गिरसू | दीसवाल ज्ञा. नागेंद्र, कमलचंद्रसूरि | भ. श्री अजितनाथ पा.जै.धा.प्र.ले.स. जी आगम. श्री देवरत्नसूरि । भ. श्री शांतिनाथ पा.जै.धा.प्र.ले.स. जी पूर्णिमा गणतिलकसरि भ. श्री कंथनाथ । पा.ज.धा.प्र.ले.स. चतुर्विशंति जी | तपा. श्री लक्ष्मीसागरसूरि | भ. श्री नमिनाथ | पा.जै.धा.प्र.ले.स. चतुर्विशिंतिपट्ट जी सुविहितसूरि भ. श्री श्रेयांसनाथ पा.जै.धा.प्र.ले.स. जी भ. श्री शांतिनाथ | पा.जै.धा.प्र.ले.स. 122 3535 | 1533 | रामति, नाथी श्री. श्रीमाल. ज्ञा. 122 3536 | 1533 | वीरू, मनाई उकेश ज्ञा. श्रीसूरि 122 35371533 हीरू, लाड़की श्री. श्रीमाल. ज्ञा. वृद्धतपा. उदयसागरसूरि | भ. श्री सभवनाथ । | भ. श्री संभवनाथ पा.जै.धा.प्र.ले.स. 122 जी 35381533 गोमति, हीराई भ. श्री कंथनाथ | पा.जै.धा.प्र.ले.स. | पंचतीर्थ जी अंचल. श्री जयकेसरीसूरि | भ. श्री नमिनाथ | पा.जे.धा.प्र.ले.स. 3539 | 1533लहिक पुंजी, खीमादे श्री. वंश. 123 3540 1533 | मटकू, रमाइ उकेश ज्ञा. श्री धर्मचंद्रसूरि भ. श्री धर्मनाथ पा.जै.धा.प्र.ले.स. 123 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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