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सोलहवीं से 20वीं शताब्दी की जैन श्राविकाएँ
| संवत् ।
श्राविका नाम
वंश/गोत्र
। पृ.
20s | 128 प्रीमी. लीलू
श्री. श्री. झा
प्रेरक/प्रतिष्ठापक | प्रतिमा निर्माण संदर्भ ग्रंथ गच्छ/आचार्य
_ आदि ब्रह्माण श्री वीरसूरि भ. श्री कुंथुनाथ | दि.जै.इ.इ.अ.
ब्रह्माण का कारनारम भी युनाथ दिन इ.इ.स.
2099
| 1525 | प्रीमी, लीलू
श्री. श्री. ज्ञा
133
2100
| 1581
लीलादे, वीझलदे
श्री. श्री. ज्ञा
13
निगमप्रभावकश्री आनंदसूरि तपा श्री लक्ष्मीसागरसूरि
भ. श्री शांतिनाथ | दि.जै.इ.इ.अ. जी भ. श्री सुमतिनाथ | दि.जै.इ.इ.अ.
2101 | 1523 | मेहा, मरघू
प्रा. ज्ञा
133
'-जी
2102 | 1506 | महिगल
2102
1506 | महिगल
श्री. श्री. झाश्री पूजनसूरि
श्री. श्री. ज्ञा
श्री पूजनसूरि
म. श्री वासुपूज्य | दि.जे इ.इ.अ.
भ. श्री वासुपूज्य | दि.जै.इ.इ.अ.
134 |
जी
2103 | 1564| सिंगारदे, हीमादे
श्री. श्री. ज्ञा
135
2104 | 1581 | पातमदे
श्री. श्री. ज्ञा
पूर्णिमा श्री रत्नषेखरसूरि | भ. श्री वासुपूज्य | दि.जै.इ.इ.अ.
जी आगम श्री सोमचन्द्रसूरि ।
| भ. श्री
दि.जै.इ.इ.अ.
मुनिसुव्रतनाथ जी पिप्पल चन्द्रसागरसूरि | भ. श्री वासूपुज्य | दि.जै.इ.इ.अ.
135
2105
| 1507 | वामूणादे
श्री. श्री. ज्ञा
135
जी
2106
1508 | टहीकू
श्री. श्री. ज्ञा
सिद्धांतीय सोमचंद्रसूरि
भ. श्री शांतिनाथ | दि.जै.इ.इ.अ.
136
जी
2107 | 1508
माल्हणदे, सलखा
श्री. श्री. वंष
137
अंचल श्री जयकेसरीसूरि | भ. श्री वासूपुज्य | दि.जै.इ.इ.अ.
जी जीरापल्ली उदयचंद्रसूरि भ. श्री श्रेयांसनाथ| दि.जै.इ.इ.अ.
2108
| 1508 | टूयडी
137
2109 | 1553 | हपूं, लीलाई
जी भ. श्री
प्रा. ज्ञा
पूर्णिमा मुनिचंद्रसूरि
138
| दि.जै.इ.इ.अ. मुनिसुव्रतनाथ जी | भ. श्री धर्मनाथ जी दि.जै.इ.इ.अ.
2110 | 1519 | हमीरदे, जमनादे
श्री. श्री. ज्ञा
पूर्णिमा श्री जयप्रभसूरी
139
श्री. श्री. ज्ञा
पूर्णिमा श्री साधुसुंदरसूरी | भ. श्री नमिनाथ | दि.जै.इ.इ.अ.
139
2111 | 1515 रतनादे, ललितादे
रूपिणी, झाझू 2112 | 1519 | हीमादे, चांपू
श्री. श्री. ज्ञा
अंचल श्री जयकेसरीसूरी | भ. श्री चंदप्रभ जी| दि.जै.इ.इ.अ.
139
2113 | 1520 | झबू, वारू
140
2114 1158
जाणी
प्रा. ज्ञा
भ. श्री आदिनाथ | दि.जै.इ.इ.अ.
जी पूर्णिमा श्री जिनहर्षसूरी | भ. श्री श्रेयांसनाथ | दि.जै.इ.इ.अ.
जी धर्मघोष पद्मानंदसूरि भ. श्री सुविधिनाथ| दि.जै.इ.इ.अ.
140
2115
1518 | कील्हणदे
श्री. उपकेष ज्ञा
141
जी
2116 | 1587 | वानू, लवणदे
श्री. श्री. ज्ञाश्री सूरि
भ. श्री भांतिनाथ | दि.जै.इ.इ.अ.
141
2117 | 1519 | मांई, सुलेसिरि
।
श्री. प्रा. ज्ञा
अंचल श्री जयकेसरीसूरि | भ. श्री संभवनाथ | दि.जै.इ.इ.अ.
142
2118 | 1511 | पाल्हणदे, वीकलदे | श्री. श्री. ज्ञा
पूर्णिमा राजतिलकसूरि | भ. श्री अजितनाथ| दि.जै.इ.इ.अ.
175
2119 | 1523 | लखमादे, अमरी,नाथी | प्रा. ज्ञा
श्री लक्ष्मीसागरसूरि
भ. श्री विमलनाथ | दि.जै.इ.इ.अ.
176
2120 | 1532 | आजी, झाली, रामति | प्रा. ज्ञा
बृहत्तपा श्री जिनरत्नसूरि | भ. श्री मुनिसुव्रत | दि.जै.इ.इ.अ.
जी
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