Book Title: Jain Shravikao ka Bruhad Itihas
Author(s): Pratibhashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith Shajapur
View full book text
________________
सोलहवीं से 20वीं शताब्दी की जैन श्राविकाएँ
क्र०
संवत्
श्राविका नाम
वंश/गोत्र
प्रेरक/प्रतिष्ठापक
गच्छ / आचार्य पूर्णिमा साधुरत्नसूरि
प्रतिमा निर्माण
आदि
संदर्भ ग्रंथ
2932
11513 रतनादे, रांक
श्री. ज्ञा.
भ. श्री आदिनाथ
जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 | 145
29331587 | हीरू, झमकी
प्रा. ज्ञा.
भ. श्री अजितनाथ
जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 | 145
4555
2934
ऊके. ज्ञा.
तपा. श्री हेमविमलसूरि
भ. श्री अजितनाथ | जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 | 145
1552 | वीकू, जीवादे, कमलादे,
आदि 1517 | लहिकू, कुंअरि
2935
श्री. श्री. ज्ञा.
अंचल. जयकेसरी
भ. श्री संभवनाथ
जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2
146
2936
| 1544 | हांसू, जीवादे,
ओस. ज्ञा.
वृद्धतपा. श्री धर्मरत्नसूरि
2937 | 1521 | वीझू गउरी,
प्रा. ज्ञा.
तपा. श्री लक्ष्मीसागरसूरि
भ. श्री सुमतिनाथ | जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 | 144 चतु. जी भ. श्री कुंथुनाथ जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 | 144 चतु. जी भ. श्री आदिनाथ | जै.धा.प्र.ले.सं.भा.
2 145
2938 | 1513 | रतनादे, रांकु
श्री. ज्ञा.
पूर्णिमा साधुरत्नसूरि
2939 | 1587 | हीरू, झमकी
प्रा. ज्ञा.
भ. श्री अजितनाथ
जै.धा.प्र.ले.सं.भा2 | 145
2940 | 1552 | वीकू जीवादे, कमलादे
ऊके. ज्ञा.
| तपा. श्री हेमविमलसूरि
| जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2
145
आदि
2941 | 1517 | फदू, हर्षु
श्री. श्री. वंष
| अंचल श्री जयकेसरीसूरि
भ. श्री सुमतिनाथ | जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2
146
2942
1523 | गांगी, नामल
श्री. श्री. ज्ञा.
पूर्णिमा श्री राजतिलकसूरि
भ. श्री श्रेयांसनाथ | जै.धा.प्र.ले.सं.भा.
2
146
55 #555555555
प्रा. ज्ञा.
तपा. श्री जयकेसरी
भ. श्री सुमतिनाथ | जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2
146
2943 | 1505 | चांपू. 2944 1503 | चांपालदे,
ऊकेष,
श्री रतनसिंहसूरि
भ. श्रीशांतिनाथ
जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 | 146
2945
1513 | माणिकी, चांपलदे, कोई
श्री. श्री. ज्ञा.
आगम. साधुरत्नसूरि
भ. श्री अजितनाथ
जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 | 146
2946 | 1512 | पूजा, तिली
प्रा, ज्ञा.
श्री विजयधर्मसूरि
भ. श्री अजितनाथ
जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 | 147
2947 | 1507 | राऊंसु
सौवार्णिक ज्ञा,
वृद्वतपा. श्री रत्नसूरि
भ. श्री संभवनाथ
जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 | 147
2948 | 1542 | नारू, मकी
गूर्जर ज्ञा.
आगम. जिनचंद्रसूरि
जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 | 147
भ. श्री आदिनाथ चतु. जी भ. श्री मुनिसुव्रतस्वामी
2949 | 1506 | बाऊं, लाछु
श्री. ज्ञा.
श्री बुद्धिसागरसूरि
जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 | 148
2950 | 1508 | मचकू, वीरू
ओसवंष
अंचल, जयकेसरीसूरि
भ. श्रीशांतिनाथ
जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 | 148
2951 | 1516 | अरघू
श्री. श्री. ज्ञा.
श्री सूरि
भ. श्री सुमतिनाथ
जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 | 148
2952 | 1505 | राजूसु, रामति
श्री. श्री. ज्ञा.
पूर्णिमा गुणसमुद्रसूरि
| FIFIF 15515
भ. श्री संभवनाथ
जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 | 148
2953 | 1537 | नायकदे, सूलेसरी
ऊकेष, ज्ञा.
तपा. श्री लक्ष्मीसागरसूरि
भ. श्रीशांतिनाथ
जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 | 148
2954
1573 | भूवदे, नाथी, मरघी
हुबड. ज्ञा. सुरगोत्र
तपा. श्री सौभाग्यसागरसूरि
भ. श्री श्रेयांसनाथ | जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 | 149
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org

Page Navigation
1 ... 540 541 542 543 544 545 546 547 548 549 550 551 552 553 554 555 556 557 558 559 560 561 562 563 564 565 566 567 568 569 570 571 572 573 574 575 576 577 578 579 580 581 582 583 584 585 586 587 588 589 590 591 592 593 594 595 596 597 598 599 600 601 602 603 604 605 606 607 608 609 610 611 612 613 614 615 616 617 618 619 620 621 622 623 624 625 626 627 628 629 630 631 632 633 634 635 636 637 638 639 640 641 642 643 644 645 646 647 648 649 650 651 652 653 654 655 656 657 658 659 660 661 662 663 664 665 666 667 668 669 670 671 672 673 674 675 676 677 678 679 680 681 682 683 684 685 686 687 688 689 690 691 692 693 694 695 696 697 698 699 700 701 702 703 704 705 706 707 708 709 710 711 712 713 714 715 716 717 718 719 720 721 722 723 724 725 726 727 728 729 730 731 732 733 734 735 736 737 738 739 740 741 742 743 744 745 746 747 748