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जैन श्राविकाओं का बृहद् इतिहास
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क्र०
संवत्
| श्राविका नाम
वंश/गोत्र
प्रेरक/प्रतिष्ठापक | प्रतिमा निर्माण | संदर्भ ग्रंथ
गच्छ/आचार्य पीप श्री धर्मसागरसूरि भ. श्री अजितनाथ | दि.जै.इ.इ.अ.
आदि
2121 |1527 | डाही, आसीन
श्री. श्री. ज्ञा
177
जी
2122
| 1505 | सामलदे
श्री. श्री. ज्ञा
पूर्णिमा श्री गुणसमुद्रसूरी | भ. श्री कुंथुनाथ | दि.जै.इ.इ.अ.
177
जी
2123 | 1532 | धांधलदे, फकू
श्री. श्री. वंष
177
2124 | 1513 | सुहडदे, अमरी
.................
178
2125 | 1590 | सोनाई
मोढ. ज्ञा
178
2126 | 1510 | सोहगदे, मांगू
श्री. श्री. ज्ञा
अंचल श्री जयकेसरीसूरी | भ. श्री सुविधिनाथ| दि.जै.इ.इ.अ.
जी पूर्णिमा श्री कमलसूरी भ. श्री शांतिनाथ दि.जै.इ.इ.अ.
जी तपा श्री धनरत्नसूरि भ. श्री शांतिनाथ | दि.जै.इ.इ.अ.
| जी नागेन्द्र गुण समुद्रसूरि भ. श्री कुंथुनाथ | दि.जै.इ.इ.अ.
जी चैत्र श्री विजयदेवसूरि भ. श्री नमिनाथ | दि.जै.इ.इ.अ.
| जी पूर्णिमा सागरतिलकसूरि | भ. श्री विमलनाथ | दि.जै.इ.इ.अ.
| जी आगम श्री हेमरत्नसूरि भ. श्री सुविधिनाथ| दि.जै.इ.इ.अ.
178
2127 | 1582 | सुहवदे, सिरिया
श्री. श्री. ज्ञा
179
2128 | 1515 | वरजू, सोनू
श्री. श्री. ज्ञा
179
2129 | 1505 | खीमलदे, मांजु
श्री. ज्ञा
179
2130 | 1515 | जानूदे
श्री. ज्ञा
193
पूर्णिमा श्री साधुरत्नसूरी | भ. श्री सुविधिनाथ| दि.जै.इ.इ.अ.
जी सिद्धांती श्री सोमचंद्रसूरि भ. श्री कुंथुनाथ | दि.जै.इ.इ.अ.
2131 | 1501 | पत्रापदी, राजू
श्री. श्री. ज्ञा
193
| जी
2132
| 1528 | रतनू, भाणीदे
श्री. श्री. ज्ञा
पिप्पल श्री धर्मसागरसूरि भ. श्री विमलनाथ | दि.जै.इ.इ.अ.
194
जी
2133
| 1519 | हरखू, भवकूबाई
श्री. ज्ञा
पूर्णिमा श्री साधुरत्नसूरि | भ. श्री पार्श्वनाथ | दि.जै.इ.इ.अ.
194
जी
2134 | 1512 | पाल्हणदे, माल्हणदे
श्री. ज्ञा
श्री वीरसूरि
भ. श्री सुमतिनाथ | दि.जै.इ.इ.अ.
195
2135
| 1583
| पुजारदे, हेमादे
उप. ज्ञा
श्री यक्षदेवसूरि
भ. श्री शांतिनाथ | दि.जै.इ.इ.अ.
195
जी
पूर्णिमा श्री पुण्यरत्नसूरि
भ. श्री आदिनाथ | दि.जै.इ.इ.अ.
196
2136 | 1536 | धर्मिणी, गूरी, कुंअरि | श्री. श्री. ज्ञा
रलमाण 2137 | 1528 | फटू
जी
श्री. श्री. ज्ञा
| पिप्पल श्री धर्मसागरसूरि भ. श्री षांतिनाथ | दि.जै.इ.इ.अ.
196
जी
2138 | 1501 | कमलादे, माल्हणदे
.....
196
2139
| 1513 | कमदि, धारण
श्री. श्री. ज्ञा
अंचल श्री जयकीर्तिसूरि | भ. श्री अजितनाथ| दि.जै.इ.इ.अ.
जी चैत्र. श्री लक्ष्मीदेवसूरि भ. श्री अजितनाथ| दि.जै.इ.इ.अ.
जी श्री सूरि
भ. श्री कुंथुनाथ | दि.जै.इ.इ.अ.
198
2140
| 1511 | रतू
श्री. श्री. ज्ञा
198
जी
2141 | 1509 | राजी, पूरी
श्री. श्री. ज्ञा
सिद्धान्त सोमचन्द्रसूरि
भ. श्री सुमतिनाथ | दि.जै.इ.इ.अ. जी भ. श्री विमलनाथ | दि.जै.इ.इ.अ. चतु. जी
2142
1505 | प्रीमलदे, सिंगारदे
श्री श्री ज्ञा
श्री प्रद्युम्नसूरि
199
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