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________________ जैन श्राविकाओं का बृहद् इतिहास 483 क्र० संवत् | श्राविका नाम वंश/गोत्र प्रेरक/प्रतिष्ठापक | प्रतिमा निर्माण | संदर्भ ग्रंथ गच्छ/आचार्य पीप श्री धर्मसागरसूरि भ. श्री अजितनाथ | दि.जै.इ.इ.अ. आदि 2121 |1527 | डाही, आसीन श्री. श्री. ज्ञा 177 जी 2122 | 1505 | सामलदे श्री. श्री. ज्ञा पूर्णिमा श्री गुणसमुद्रसूरी | भ. श्री कुंथुनाथ | दि.जै.इ.इ.अ. 177 जी 2123 | 1532 | धांधलदे, फकू श्री. श्री. वंष 177 2124 | 1513 | सुहडदे, अमरी ................. 178 2125 | 1590 | सोनाई मोढ. ज्ञा 178 2126 | 1510 | सोहगदे, मांगू श्री. श्री. ज्ञा अंचल श्री जयकेसरीसूरी | भ. श्री सुविधिनाथ| दि.जै.इ.इ.अ. जी पूर्णिमा श्री कमलसूरी भ. श्री शांतिनाथ दि.जै.इ.इ.अ. जी तपा श्री धनरत्नसूरि भ. श्री शांतिनाथ | दि.जै.इ.इ.अ. | जी नागेन्द्र गुण समुद्रसूरि भ. श्री कुंथुनाथ | दि.जै.इ.इ.अ. जी चैत्र श्री विजयदेवसूरि भ. श्री नमिनाथ | दि.जै.इ.इ.अ. | जी पूर्णिमा सागरतिलकसूरि | भ. श्री विमलनाथ | दि.जै.इ.इ.अ. | जी आगम श्री हेमरत्नसूरि भ. श्री सुविधिनाथ| दि.जै.इ.इ.अ. 178 2127 | 1582 | सुहवदे, सिरिया श्री. श्री. ज्ञा 179 2128 | 1515 | वरजू, सोनू श्री. श्री. ज्ञा 179 2129 | 1505 | खीमलदे, मांजु श्री. ज्ञा 179 2130 | 1515 | जानूदे श्री. ज्ञा 193 पूर्णिमा श्री साधुरत्नसूरी | भ. श्री सुविधिनाथ| दि.जै.इ.इ.अ. जी सिद्धांती श्री सोमचंद्रसूरि भ. श्री कुंथुनाथ | दि.जै.इ.इ.अ. 2131 | 1501 | पत्रापदी, राजू श्री. श्री. ज्ञा 193 | जी 2132 | 1528 | रतनू, भाणीदे श्री. श्री. ज्ञा पिप्पल श्री धर्मसागरसूरि भ. श्री विमलनाथ | दि.जै.इ.इ.अ. 194 जी 2133 | 1519 | हरखू, भवकूबाई श्री. ज्ञा पूर्णिमा श्री साधुरत्नसूरि | भ. श्री पार्श्वनाथ | दि.जै.इ.इ.अ. 194 जी 2134 | 1512 | पाल्हणदे, माल्हणदे श्री. ज्ञा श्री वीरसूरि भ. श्री सुमतिनाथ | दि.जै.इ.इ.अ. 195 2135 | 1583 | पुजारदे, हेमादे उप. ज्ञा श्री यक्षदेवसूरि भ. श्री शांतिनाथ | दि.जै.इ.इ.अ. 195 जी पूर्णिमा श्री पुण्यरत्नसूरि भ. श्री आदिनाथ | दि.जै.इ.इ.अ. 196 2136 | 1536 | धर्मिणी, गूरी, कुंअरि | श्री. श्री. ज्ञा रलमाण 2137 | 1528 | फटू जी श्री. श्री. ज्ञा | पिप्पल श्री धर्मसागरसूरि भ. श्री षांतिनाथ | दि.जै.इ.इ.अ. 196 जी 2138 | 1501 | कमलादे, माल्हणदे ..... 196 2139 | 1513 | कमदि, धारण श्री. श्री. ज्ञा अंचल श्री जयकीर्तिसूरि | भ. श्री अजितनाथ| दि.जै.इ.इ.अ. जी चैत्र. श्री लक्ष्मीदेवसूरि भ. श्री अजितनाथ| दि.जै.इ.इ.अ. जी श्री सूरि भ. श्री कुंथुनाथ | दि.जै.इ.इ.अ. 198 2140 | 1511 | रतू श्री. श्री. ज्ञा 198 जी 2141 | 1509 | राजी, पूरी श्री. श्री. ज्ञा सिद्धान्त सोमचन्द्रसूरि भ. श्री सुमतिनाथ | दि.जै.इ.इ.अ. जी भ. श्री विमलनाथ | दि.जै.इ.इ.अ. चतु. जी 2142 1505 | प्रीमलदे, सिंगारदे श्री श्री ज्ञा श्री प्रद्युम्नसूरि 199 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003610
Book TitleJain Shravikao ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPratibhashreeji
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2010
Total Pages748
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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