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________________ सोलहवीं से 20वीं शताब्दी की जैन श्राविकाएँ क्र० संवत् श्राविका नाम वंश/गोत्र श्री. श्री. ज्ञा 200 2143 | 1525 मीरश्री, फली, झाबली, पांची 2144 | 1528 | टीबू धारिणी श्री. श्री. वंष 200 प्रेरक/प्रतिष्ठापक | प्रतिमा निर्माण संदर्भ ग्रंथ । गच्छ/आचार्य आदि श्री वीरसूरि भ. श्री षांतिनाथ | दि.जै.इ.इ.अ. चतु. जी अंचल श्री जयकेसरीसूरि | भ. श्री सुविधिनाथ| दि.जै.इ.इ.अ. जी पूर्णिमा श्री जयषेखरसूरि | भ. श्री शांतिनाथ | दि.जै.इ.इ.अ. जी पूर्णिमा. श्रीसुमतिरत्नसूरि | भ. श्री सुपार्श्वनाथ दि.जै.इ.इ.अ. जी तपा. श्री लक्ष्मीसागरसूरि | भ. श्री विमलनाथ | दि.जै.इ.इ.अ. 2145 | 1513 | डाही, लाछी प्रा. ज्ञा 201 2146 | 1580 | राखी, हमीरदे, नीति | श्री. श्री. ज्ञा 201 2147 | 1517 | रूडी, वाल्ही प्रा. ज्ञा 202 जी 2148 1563 अमरी थिरापद्रनगर श्री ज्ञा | पूर्णिमा. श्री सुमतिनाथ | भ. श्री चंद्रप्रभ जी| दि.जै.इ.इ.अ. 202 2149 | 1519 | लाछादे, हमीरादे श्री. श्री. ज्ञा 202 पिप्पल. श्री अमरचन्द्रसूरि भ. श्री शीतलनाथ दि.जै.इ.इ.अ. चतु. जी पिप्पल. श्री चंदप्रभसूरि भ. श्री आदिनाथ | दि.जै.इ.इ.अ. जी 2150 1515 श्री. श्री. ज्ञा 2004 | खेतलदे, राजलदे महिगलदे वाल्ही 2151 | 1528 प्रा. ज्ञा 204 चैत्र श्री ज्ञानदेवसूरि भ. श्री विमलनाथ दि.जै.इ.इ.अ. जी तपा. श्री लक्ष्मीसागरसूरि | भ. श्री शांतिनाथ | दि.जै.इ.इ.अ. 2152 1534 | लाखी, कीमी प्रा. ज्ञा 205 2153 । लाछू, देवली श्री. श्री. ज्ञा नागेन्द्र. श्री गुणदेवसूरि | भ. श्री सुविधिनाथ दि.जै.इ.इ.अ. 205 जी 2154 1522 | साल्हादे उप ज्ञा. श्रेष्ठि उपकेष. श्री कक्कसूरि भ. श्री शीतलनाथ | दि.जै.इ.इ.अ. 205 2155 1510 | भावलदे श्री. श्री. ज्ञा पिप्पल. श्री धर्मषेखरसूरी | भ. श्री शांतिनाथ | दि.जै.इ.इ.अ. 205 जी 2156 1506 लूणादे यारापद्र पिप्पल श्री धर्मषेखरसूरि भ. श्री श्रेयांसनाथ| दि.जै.इ.इ.अ. 206 2157 | 1517 | कपुरदे ब्रह्माण श्री प्रद्युम्नसूरि भ. श्री अजितनाथ दि.जै.इ.इ.अ. 206 जी 2158 | 1508 | टही, हासू श्री. श्री. ज्ञा सिद्धांत श्री सोमचंद्रसूरि | भ. श्री शीतलनाथ| दि.जै.इ.इ.अ. 207 2159 1506 | तिलश्री श्री. श्री. ज्ञा पिप्पल श्री धर्मशेखरसूरि | भ. श्री श्रेयांसनाथ| दि.जै.इ.इ.अ. 207 21601510 माल्हवदे उप. भणषाली 207 खरतर. श्री जिनभद्रसूरि | भ. श्री शांतिनाथ | दि.जै.इ.इ.अ. जी बृहतपा ज्ञानसागरसूरि | भ. श्री सुविधिनाथ| दि.जै.इ.इ.अ. | प्रा ज्ञा 208 2161 | 1528 माल्हवदे, लाम्ब देवमति 2162 | 1534 | तेजू, वमी प्रा. ज्ञा डीसानगर श्री सूरि | भ. श्री श्रेयांसनाथ | दि.जै.इ.इ.अ. 208 जी 2163 | 1515 धापू श्री. श्री. ज्ञा 209 पूर्णिमा श्री साधुरत्नसूरि । भ. श्री नमिनाथ | दि.जै.इ.इ.अ. | जी पिप्पल धर्मषेखरसागर | भ. श्री शांतिनाथ | दि.जै.इ.इ.अ. | जी 2164 1517 सुहवदे श्री. श्री. ज्ञा 210 सूरि Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003610
Book TitleJain Shravikao ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPratibhashreeji
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2010
Total Pages748
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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