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जैन श्राविकाओं का बृहद् इतिहास
क्र०
संवत्
श्राविका नाम
वंश/गोत्र
।
आदि
2165 | 1516 | श्रीदे, नीनादे
श्री. श्री. ज्ञा
प्रेरक/प्रतिष्ठापक प्रतिमा निर्माण संदर्भ ग्रंथ
गच्छ/आचार्य श्री विजयसिंहसूरि | भ. श्री श्रेयांसनाथ | दि.जै.इ.इ.अ.
जी अंचल श्री जयकेसरीसूरि | भ. श्री संभवनाथ | दि.जै.इ.इ.अ.
| 211
2166 | 1535 | हीरादे, पूर्णिमादे
| उप. ज्ञा
212
जी
2167 | 1507 | मोटी, जयरूदे
अंचल श्री जयकेसरीसूरि भ. श्री धर्मनाथ जी दि.जै.इ.इ.अ.
213
2168
| 1501 | सुहवदे
वराही. श्री. श्री. ज्ञा | श्रीविजयसिंह सूरि
भ. श्री श्रेयांसनाथ | दि.जै.इ.इ.अ.
213
जी
2169 | 1511 | गेली, बाऊ
श्री. श्री. ज्ञा
चैत्र श्री लक्ष्मीदेवसूरि
भ. श्री आदिनाथ | दि.जै.इ.इ.अ.
1213
जी
2170 | 1553 | डाही, रंगी
श्री. श्री. ज्ञा
214
पिप्पल श्री पद्मानन्दसूरि भ. श्री सुमतिनाथ | दि.जै.इ.इ.स.
जी श्री पज्जूनसूरि भ. श्री नमिनाथ | दि.जै.इ.इ.अ.
2171
| 1505 | श्रृंगारदे, महंगदे
| श्री. श्री. ज्ञा
214
जी
2172 | 1517 | भानी, भानू
श्री. श्री. ज्ञा
पूर्णिमा श्री पुण्यरत्नसूरि | भ. श्री नमिनाथ | दि.जै.इ.इ.अ.
214
2173 | 1535
विमलादे
उप. ज्ञा
खरतर श्री जिनचंद्रसूरि
भ. श्री नमिनाथ | दि.जै.इ.इ.अ.
215
जी
2174
1598
कर्मादे
श्री. श्री. ज्ञा
पिप्पल श्री भाभुचंद्रसूरि
215
भ. श्री शीतलनाथ | दि.जै.इ.इ.अ. जी भ. श्री शीतलनाथ | दि.जै.इ.इ.अ.
2175
1506 | चापलदे
श्री. श्री. ज्ञा
पिप्पल श्री उदयदेवसूरि
216
जी
2176
|1527 | बागू
श्री. श्री. ज्ञा
217
2177 | 1581
| लीलादे, उमादे
| श्री. श्री. ज्ञा
217
2178
1510 | लूणादे, वाल्हीदे।
| श्री. श्री. ज्ञा
पूर्णिमा श्री रत्नसूरि भ. श्री कुंथुनाथ | दि.जै.इ.इ.अ.
जी श्री आनन्दसागरसूरि | भ. श्री शांतिनाथ | दि.जै.इ.इ.अ.
जी पिप्पल श्रीक्षेम भ. श्री शांतिनाथ | दि.जै.इ.इ.अ. शेखरसूरि
जी आगम श्री अमर रत्न | भ. श्री पद्मप्रभ | दि.जै.इ.इ.अ. सूरि
पंच जी पिप्पल श्री सोमचन्द्रसूरि | भ. श्री नमिनाथ | दि.जै.इ.इ.अ.
218
2179 | 1529 | धाधलदे, आबादे
श्री. श्री. ज्ञा
218
2180
1516 | कमलादे
श्री. श्री. ज्ञा
| 218
जी
2181 | 1517 | हर्षादे
श्री. ज्ञा
खरतर श्री जिनचंद्रसूरि | भ. श्री शांतिनाथ | दि.जै.इ.इ.अ.
219
जी
2182
1511
संसारदे, नयनादे
श्री. ज्ञा
पिप्पल धर्मसुन्दरसूरि
भ. श्री धर्मनाथ जी दि.जै.इ.इ.अ.
219
2183 | 1525 | गुरूदे, हीरादे ।
श्री. श्री. ज्ञा
ब्रह्माण श्री वीरसूरि
भ. श्री अजितनाथ | दि.जै.इ.इ.अ.
| 219
2184
| 1510 | पाल्हणदे
श्री. श्री. ज्ञा
220
2185
| 1581 | पावी वरजू
श्री. श्री. ज्ञा
भावडार श्री वीरसूरि भ. श्री आदिनाथ | दि.जै.इ.इ.अ.
जी पिप्पल श्री धर्मप्रभसूरि भ. श्री नमिनाथ | दि.जै.इ.इ.अ.
जी पिप्पल श्री अमरचंद्रसूरि | भ. श्री शीतलनाथ| दि.जै.इ.इ.अ.
220
2186
| 1530 | लाछू धांधलदे
श्री. श्री. ज्ञा
220
जी
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