Book Title: Jain Shravikao ka Bruhad Itihas
Author(s): Pratibhashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith Shajapur

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Page 464
________________ 442 सोलहवीं से 20वीं शताब्दी की जैन श्राविकाएँ 1243 1558 | रूडीसु ओसवंश श्रीसूरि भ. श्री पार्श्वनाथ जी - पा.जै.धा.प्र.ले.सं. 203 1244 1541 | संपू, हर्षाई श्री श्रीमाल ज्ञा. | भावडार. भावदेवसूरि भ. श्री सुमतिनाथ जी जै.धा.प्र.ले.स.भा.2 | 196 1245 1519 | राजू, संपूरी | वायड ज्ञा. | आगम. हेमरत्नसूरि जै.धा.प्र.ले.सभा.2 196 भ. श्री धर्मनाथादिपंचार्थी जी 1246 1512 | लणू श्री उपकेश ज्ञा. मंडोवरा गोत्र धर्मघोष. श्रीसाधुरत्नसूरि | भ. श्री आदिनाथ जी | जै.धा.प्र.ले.स.भा.2 196 1247 1523 लाडी, मंदोअरि नीमा ज्ञा. तपा श्री लक्ष्मीसागरसूरि भ. श्री नमिनाथ जी | जै.धा.प्र.ले.सभा.2 196 1248 1529 | आंसू माकूणदे प्रा. ज्ञा. बृहतपा. श्रीविजयरत्नसूरि | भ. श्री वासुपूज्य जी | जै.धा.प्र.ले.स.भा.2 197 1249 1564 | हली, अहवदे प्रा. ज्ञा. भ. श्री अजितनाथ जै.धा.प्र.ले.स.भा.2 197 बृद्धतपा. श्रीलब्धिसागरसूरि 1250 1521 | धनाई प्रा. ज्ञा. | तपा. श्री लक्ष्मीसागरसूरि भ. श्री संभवनाथ जी | जै.धा.प्र.ले.स.भा.2 1251 1523 | लाही, मंदोअरि । नीमा ज्ञा. तपा. श्री लक्ष्मीसागरसूरि | भ. श्री नमिनाथ जी | जै.धा.प्र.ले.स.भा.2 197 1252 1529 प्रा. ज्ञा. बृहतपा. श्रीविजयरत्नसूरि | भ. श्री वासुपूज्य जी | जै.धा.प्र.ले.स.भा.2 197 राजू, आसू, माकूणदे 1253 1521 धनाई प्रा. ज्ञा. तपा. श्री लक्ष्मीसागरसूरि | भ. श्री संभवनाथ जी | जै.धा.प्र.ले.स.भा.2 197 1254 1513राणी, लाषणदे | श्री श्री ज्ञा. आगम. देवरत्नसूरि जै.धा.प्र.ले.सभा.2 भ. श्री श्रेयांसनाथ जी 197 1255 1525 दीसवाल ज्ञा. तपा. लक्ष्मीसागरसूरि भ. श्री कुंथुनाथ जी | जै.धा.प्र.ले.स.भा.2 198 राजूपु वानूपु माणिकि 1256 1560 श्री श्री ज्ञा लीलू, जीवाई चंपाई सद्गुरू भ. श्री धर्मनाथ जी जै.धा.प्र.ले.स.भा.2 1257 1583 | शीआदे, सरीयादे | श्री. श्री. ज्ञा | भ. श्री आदिनाथ जी | जै.धा.प्र.ले.स.भा.2 पूर्णिमा श्रीसूरि आगम. विवेकरत्नसूरि 1258 1549 | लखी, देमाई प्रा. ज्ञा. | भ. श्री अजितनाथ जी . जै.धा.प्र.ले.सं.भा.2 | 205 1259 | 1521 - लबकू मल्हाई धनी श्री. श्री. वंश अंचल. जयकेसरीसूरि भ. श्री अजितनाथ जी | जै.धा.प्र.ले.स.भा.2 1260 - 1529 मटकू प्रा. ज्ञा. आगम. अमररत्नसूरि | जै.धा.प्र.ले.स.भा.2 205 | भ. श्री संभवनाथ पंचतीर्थी जी 1261 1560 सांतू लीलादे | श्री. श्री. वंश । अंचल. सिद्धांतसागरसूरि भ. श्री संभवनाथ जी | जै.धा.प्र.ले.स.भा.2 205 1262 1537 | रतनू, भरमादे श्री. श्री. ज्ञा. श्रीसूरि जै.धा.प्र.ले.स.भा.2 - 206 भ. श्री संभवनाथ चतु. जी 1263 1506 | देई, कपूरी, कमलाई प्रा. ज्ञा.. तपा. उदयनंदिसूरि | भ. श्री अनंतनाथ जी | जै.धा.प्र.ले.स.भा.2 206 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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