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सोलहवीं से 20वीं शताब्दी की जैन श्राविकाएँ
संवत् |
श्राविका नाम
वंश/गोत्र
- प्रतिमा निर्माण
आदि
संदर्भ ग्रंथ
।
प्रेरक/प्रतिष्ठापक
गच्छ/आचार्य नाणावाल श्रीसूरि
पृ.
1574
1519
| रूपिणि, धनादे
उसवाल. ज्ञा
भ. श्री नेमिनाथ | दि.जै.इ.इ.अ.
जी
1575
| 1520 | लीलादे अरधू
श्री. वंश
पूर्णिमा. कमलप्रभसूरि
भ. श्री संभवनाथ | दि.जै.इ.इ.अ.
जी
1576
| 1520 | लाछी
श्री श्री ज्ञा.
उकेश. कल्कसूरि
भ. श्री विमलनाथ | दि.जै.इ.इ.अ. जी भ. श्री श्रेयांस जी | दि.जै.इ.इ.अ.
1577
| 1520 | करमाई, सोनाई
| उसवंश
अंचल. जयकेसरीसूरि
1578
1520 | वरजू लाडण
श्री. श्री
पिप्पल. विजयदेव सूरि
भ. श्री शांतिनाथ | दि.जै.इ.इ.अ.
15791520 | लषी, भली
प्रा. ज्ञा.
संडेर. ईश्वरसूरि
भ. श्री सुविधिनाथ दि.जै.इ.इ.अ. जी भ. श्री शीतलनाथ | दि.जै.इ.इ.अ.
1580
1520
पालहणदे
श्री. श्री ज्ञा
अंचल. जयकेसरी
1581
| 1520 | धाई, आसू
श्री. श्री ज्ञा.
श्रीसूरि
भ. श्री वासुपूज्य | दि.जै.इ.इ.अ. जी भ. श्री शीतलनाथ| दि.जै.इ.इ.अ.
15821520 | देवलदे
प्रा. ज्ञा
ब्रह्माण. मुनिचंद्रसूरि
जी
1583
| 1520
जसमादे
श्री. श्री ज्ञा.
पूर्णिमा. राजतिलकसूरि
भ. श्री संभवनाथ | दि.जै.इ.इ.अ. जी भ. श्री वासुपूज्य | दि.जै.इ.इ.अ.
1584
1520
हषू
प्रा. ज्ञा
तपा. रत्नमंडनसूरि
गर
जी
1585
|1520 | आपू
चींचटगोत्र
उपकेश. कक्कसूरि
भ. श्री सुविधिनाथ| दि.जै.इ.इ.अ.
1586
| 1520 | वरजू
श्री. श्री ज्ञा.
नागेंद्र. गुणदेवसूरि
भ. श्री सुमतिनाथ | दि.जै.इ.इ.अ..
1587
1520 | राहू जरमी
श्री. श्री ज्ञा.
श्रीसूरि
भ. श्री मुनिसुव्रत | दि.जै.इ.इ.अ. जी भ. श्री चंद्रप्रभु जी| दि.जै.इ.इ.अ.
15881520 | जसमा, लीछू।
श्रीमाल ज्ञा
श्रीसूरि
1589
| 1520 | प्रीमलदे, वनादे
| श्री. श्री ज्ञा.
ब्रह्माण वीरसूरि
भ. श्री विमलनाथ | दि.जै.इ.इ.अ.
1520 | जडितदे
श्री. श्री ज्ञा.
आणंदप्रभसूरि
भ. श्री शीतलनाथ| दि.जै.इ.इ.अ.
1591
1520 | राजू, कबू
श्री. श्री ज्ञा.
धर्मशेखरसूरि
भ. श्री शांतिनाथ
दि.जै.इ.इ.अ.
जी
15921520 माकू, देमाई
श्री. श्री ज्ञा.
| सूरि
भ. श्री शीतलनाथ | दि.जै.इ.इ.अ. जी भ. श्री अरनाथ जी दि.जै.इ.इ.अ.
1593
1520
तपा. ज्ञानसागरसूरि
| सहिजलदे, माणिकि, | श्री. श्री ज्ञा. शिवा हीसा
उपकेश, ज्ञा
1594
1520
बोकडिया. मलसंचद्रसूरी | भ. श्री सुमतिनाथ | दि.जै.इ.इ.अ.
जी सोमदेवसूरि
भ. श्री कुंथुनाथ दि.जै.इ.इ.अ.
1595
| 1520 | सुलेसिरि, रूडी
डीसा. ज्ञा
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