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जैन श्राविकाओं का बृहद् इतिहास
अवदान
संदर्भ ग्रंथ
क्र. | संवत् श्राविका नाम वंश/गोत्र | प्रेरक/प्रतिष्ठापक
आचार्य/गच्छ १७३ | सन् १३६०/ सुगुनी देवी | शासक की पत्नि
थी।
द. भा. जै.६
रानी ने अपने अंगरक्षक विजय देव | द्वारा चंद्रप्रभु म. की मूर्ति स्थापित
करवाकर पूजादि अनुष्ठान के लिए भूमि का दान किया था।
| 4७४ | सन् १३६१ / पोचब्बरसि | राजा कोंगालव की
राजा ने माँ पोच्चबरसि के पुण्यार्थ जिनप्रतिमा की स्थापना की थी। सीमाओं सहित दान भी दिया था।
जै. शि. सं. भा.३
2-6
माँ थी।
श्री शांतिनाथ
घाटी
चैत्र आमदेवसूरि
जै. जै. ले. सं. भ. २ | २३५
श्री पार्श्वनाथ
देवल
सोमतिलकसूरि
श्री महावीर
सींगारदेवी
श्री सुमतिनाथ
गुणचंद्रसूरि
श्री पार्श्वनाथ
श्री अमरप्रभसूरि
| नान्ही, मंसिरि, देवश्री,
नायकदेवी, हीरा
| नान्ही, ललतू, लीलू
श्री अमलप्रभसूरि
श्री शांतिनाथ
जयतेन, क्षियादेवी,
।।।।।।।।।
श्री जयचंद्रसूरी
रूपलदे
देवभद्रसूरी
श्रीपार्श्वनाथ
आसलदे
श्री कक्कसूरि
| जमल्ह, मील्हा
षण्डेरक गच्छ ज्ञात्यसूरि
श्री आदिनाथ
ललतू
जाइल
सेमतिलकसूरि
श्री पार्श्वनाथ
पामना
श्री सूरि
जे.जै. ले. सं. भा. २] ८६
श्री शांतिनाथ
मालू
श्रीविजयसेनसूर
वही
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