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जैन श्राविकाओं का बृहद इतिहास
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सामाजिक प्रशस्ति।" इन निबंधों में वर्तमान जैन धर्म के सामाजिक वातावरण का हिंदी अनुवाद है। प्रथम निबंध में उज्जैन के महाकाल मंदिर के साहित्यिक स्रोतों के कई प्रयोग मंदिर के उदभव से संबंधित हैं। इसमें कोई संदेह नहीं कि उसने साहित्यिक दष्टि से जैन साहित्य का अन्वेषण किया है। कहावली भद्रेश्वर से (सन् १२०५) विजयलक्ष उन्होंने श्वेतांबर और दिगंबर ग्रंथों के आगमिक एवं अनागमिक कतियों में वर्णित अवंतिसुकुमाल की घटना का वर्णन किया है, जिसने
नकादीश्वर, कुंडगेश्वर या कुटुम्बेश्वर के रूप में महाकाल का रूप ग्रहण किया, उसके आधार रूप में वर्णन किया है। गुजराती विभाग में उसके महत्वपूर्ण निबंध हैं। श्री हेमविमलसूरिकत तेरकाथियानी सज्झाय, भानु मेरू कृत महासती चंदनबाला सज्झाय, कैणक संखेश्वर साहित्य, श्रीफलवद्धि भ. पार्श्वनाथ स्तति आदि हैं। इससे इनकी गुजराती भाषा की योग्यता और गहरी रूचि, तथा परिश्रम का पता चलता है। उनकी दो प्रसिद्ध कृतियाँ "प्राचीन जैन स्तुति (Hymes) और नासकेतरी कथा हैं। प्राचीन जैन स्तुति में उन्होंने संपादन किया। ‘मुनिसुव्रत स्तवन, श्री देवकुलादिनाथ स्तवन, श्री वरुकाणा पार्श्वनाथ स्तोत्र, 'श्री सीमंधर स्वामी स्तवन" आदि एवं उनके महत्वपूर्ण बिंदुओं को उजागर किया है, जो उनकी विद्वत्तता और प्रतिभा का परिचय देता है। परिशिष्ट विभाग उनके जीवन की कुछ घटनाओं, कुछ पत्र जर्मन और भारतीय जैन विद्वानों के हैं जो उनकी प्रशंसा के हैं। कुछ दोहे भी उनकी प्रशंसा में लिखे हैं। जन्मादिव्रतम हिंदी निबंध श्री हजारीमल बाँठिया का जर्मन जैन श्राविका Dr.Charlotte Krause और उसकी अंतिम इच्छा पर लिखा गया है।४३
संदर्भ ग्रन्थ सूची (अध्याय-६) १ जैन डॉ. ज्योति. प्र. ऐ. जै. पु. औ. म. प. २६६-३०४ २ वही. प. ३०४
श्री संजयकुमार जैन- सम्राट अकबर की जैन धर्म में रूचि आस्थांजली. प १८६ ४ डॉ. ज्योतिप्रसाद जैन- प्रमुख ऐतिहासिक जैन पुरुष और महिलाएँ. प. ३०६-३१६ ५ डॉ. ज्योति प्रसाद जैन. प्र. ऐ. जै. पु. और. म. प. २७८, २७६, २८०
डॉ. ज्योतिप्रसाद जैन. प्रमुख ऐतिहासिक जैन पुरूष एंव महिलाएँ प. ३२२-३४७
डॉ. ज्योतिप्रसाद जैन, प्रमुख ऐतिहासिक जैनपुरूष और महिलाएँ पू. ३४८-३८६ ८. एस. आर. भंडारी. ओसवाल जाति का इतिहास प. १५६, १५४ प. १३७ ६ डॉ. ज्योतिप्रसाद जैन. प्रमुख ऐतिहासिक जैन पुरूष और महिलाएँ. प. २६७ १०अ.-१०ब. डॉ. ज्योतिप्रसाद जैन. प्रमुख ऐतिहासिक जैन पुरूष और महिलाएँ. प. ३४६. ११ जैन धर्म का परिचय. प. ३५ - ३६. १२ साध्वी श्री संघमित्रा-जैन धर्म के प्रभावक आचार्य प. ६१० १३ वही. प. ६१६ १४ वही. प. ६१८ - ६१६ १५ साध्वी श्री संघमित्रा-जैन धर्म के प्रभावक आचार्य, प. ५४०
वही प. ५४१ १७ वही प. ५४५ १८ वही. प. ५४७. १६ वही प. ५४६. २० वही. प. ५५३ - ५५४ २१ वही. प. ५५६. २२ वही. प. ५६८.
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