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________________ जैन श्राविकाओं का बृहद इतिहास 259 अवदान संदर्भ ग्रंथ क्र. | संन् श्राविका नाम | वंश/गोत्र प्रेरक/प्रतिष्ठापक आचार्य/गच्छ ६३८ | दीवलाम्बा | पश्चिमीगंग युवराज| मलखेड़ा राजवंश के समय में बूतूग की पत्नी १. जै. शि. सं. भा. २. २. प्रा. जै स्मारक १२७ सूदी में एक जिनमंदिर का निर्माण करवाया १ एवं छः आर्यिकाओं का समाधिमरण करवाया था। दावणगेरे के सेंबूर स्थान मे जिनालय बनवाया व भूमिका दान दिया था। १२ १०वीं शती पाण्ड्य मंत्री व सेनापति | सूर्य दण्डनायक की पत्नी १३ | ६० निजियब्बे (निजीकब्बे) पथ्वीराम पुत्र बिट्टग के | प्रपौत्र शांतिवर्मा की माता जै. शि. सं. भा.२ सुगंधवर्ति में बनवाये मंदिर को | १५० मत्तर (माप) भूमि का दान दिया था। | २०१ b०३,२०४॥ थी। १४ । ६७८ २३-२८ जै.शि.सं. जै. सि. भा. काललदेवी । गंगानरेश राचमल्ल (कलिकादेवी) | सत्यवाक्य चतुर्थ के मंत्री चामुण्डराय की माता थी। | माता की दर्शन इच्छा पूर्ण करने || के लिए विश्व विख्यात ५७ फीट उत्तुंग खड्गासन बाहुबली की प्रतिमा का निर्माण करवाया था। | १५ | ६५७ । गंगमादेवी | राष्ट्रकूट नरेश कष्ण ततीय की रानी थी। रानी के सेवक द्वारा तिरूमलै पहाड़ी पर स्थित | द. भा. मे. जै. ध. | यक्ष हेतु दीपदान दिया गया था। १६ ० वीं शती बिड़क्क बिड़क्क ने समाधिस्थापित | जै. शि. सं. भा. ४ | ७१ की थी। चन्दियब्बे | कन्नरदेव की रानी थी १७ | ई.स. ६३२ | (१०वीं शती) आचार्य पद्मनंदि नन्दवर में एक जैन बसदि का | जै. शि. सं. भा. ४ | ४५ | निर्माण कराया था तथा उसमंदिर के लिए आचार्य पद्मनंदि को दान अर्पित किया था। | १८ ई. सन् ६५०/ पद्मब्बरसि | राष्ट्रकूट सम्राट, अकाल | कुंदकुंदान्वय गुणचंद्र वर्ष कष्ण राजदेव ततीय की रानी थी | एक बसदि का रानी ने | जै. शि. सं. भा. ४ | ४५ | निर्माण कराया था, दानशाला निर्मित की थी. तथा उसके लिए एक तालाब भी अर्पित किया जै. शि. सं. भा. ५ १६ १० वीं शती तिरूनग अलुदूर नाडु के एलुमूर ग्राम के इलाडै अरैयन तिरूवडि की पत्नी थी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org,
SR No.003610
Book TitleJain Shravikao ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPratibhashreeji
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2010
Total Pages748
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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