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________________ 258 क्र. १ २ ३ ४ ५ ६ ८ w τ १० सन् श्राविका नाम ७०८ ७६१ वीं शती ७ ६ वीं शती ८ वीं शती θεξ ८ वीं शती अय्यनमहादेवी ८७६ ६ वीं शती ६६० कुंकुमादेवी Jain Education International देवकी पुत्री कुवावन अम्मा द्वितीय भागियबे महादेवी अपर नाम माण्डवी कमलप्रभा वंश / गोत्र शान्तियव्वे हैरणयक (सुनार) देव की पुत्री थी। दुहमुत्तरेन की पत्नी थी पुंडीमुप्पावा विल्लुकम के जिनडीयार की पुत्री थी। वेंगी के चालुक्य वंश के संस्थापक शैव धर्मी कुब्ज विष्णुवर्द्धन की पत्नि थी। वेंगी के चालुक्य वंश के परिवार की है। हनुम्बे की छोटी बहन थी। विमल चंद्र पंडित देव की गहस्थ शिष्या थी प्रेरक / प्रतिष्ठापक आचार्य/गच्छ नंदी चालुक्य राजा के समय में पुरिगेरे नगर मे एक जिनमंदिर बनवाया था । आचार्य चंद्रप्रभ पल्लव राजवंश के राजा नंदिवर्मन के समय जिनवल्लभ की पत्नी कातकत्तियराययर की पत्नी थी आठवीं से पंद्रहवीं शताब्दी की जैन श्राविकाएँ For Private & Personal Use Only अवदान प्रतिमा निर्माण आदि पोनविलैनटानपट्टी गाँव के जिनमंदिर के लिए कुछ सोना भेंट में दिया था। भ. महावीर की प्रतिमा जैन. इन. इन त. नाडु जैनधर्मी थी, उसने विजयवाड़ा में नम्ब बसदि (जिनमंदिर) का निर्माण कराया था। संदर्भ ग्रंथ जैशि. सं. भा. ४ जैन इन. इन त. नाडु पं. विमलचंद्र की स्मति में स्मारक खड़ा किया था। कई ग्राम जैन मंदिरों के लिए दान में प्रदान किये 211 मंदिर के लिए १७ कलंजु जैना. लिट् इन तमिल मुद्रायें, एक उलक्कु चावल भेंट स्वरूप दिये। कर्नाटक मे निर्मित एक मूर्ति स्थापित करवाई थी। जै. शि. सं. भा. ४, ॥ ॥ ॥" " तिरुकोयली जैन मंदिर एवं साधुओं के निवास स्थान का पुनरूद्धार किया, मुख जैन इन. इन त. नाडु मंडप बनवाया, भट्टारि यक्ष यक्ष हेतु मंदिर बनवाया प जैनि. इन. आंध. एज ६४-६५ डेपि. इन. इन. २५ ४२ जै. शि. सं. भा. २ ४२६ २३४ १४३७ जैन लिट् इन तमिल १५४ २५ तथा मंदिर हेतु बड़ा घंटा भेंट किया। मंदिर बनवाया था। जैन. सि. भा. १९४३ ६३ ८२ २०७ www.jainelibrary.org
SR No.003610
Book TitleJain Shravikao ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPratibhashreeji
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2010
Total Pages748
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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