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आठवीं से पंद्रहवीं शताब्दी की जैन श्राविकाएँ
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| सन्
श्राविका नाम| वंश/गोत्र
अवदान
प्रेरक/प्रतिष्ठापक
आचार्य/गच्छ
संदर्भ ग्रंथ
|
चाँदकव्वे
|४७८
जैनधर्म के उपासक
चतुर्थ रहराजा शांतिवर्मा की रानी
थी।
१५० महत्तर भूमि जिनमंदिर के लिए व्याकरणाचार्य बाहुबली देव|
को प्रदान की थी।
ब्रपं.चंदाबाई अभिनंदन ग्रंथ
५० ।
पालियक्क
जै. शि. सं. भा.२
पालियक्क बस्ती " नामक मंदिर| बनवाया, व्यवस्था के लिए दान
दिया था।
|
द. भा. में. जै.६
२४
२२१० वीं शती जक्कियब्बे | कर्नाटक के जैन
सेनापति पुणिसमथ्य
की पत्नी थी।
कपाजपेठ तालुका के होसकोट बस्ती मेंएक जिनमंदर बनाक्याथ।
२३ | ६६२ ।
कल्लब्बा
कॉल देश मेंएक जिनमंदर | जै. शि. सं.भा.५ | २१ का निर्माण करवाया था।
चालुक्य राजा सिंह वर्मा की कन्या थी गंगराज बूतुग जयदुत्तरंग की पत्नी थी। पुत्र
मरसिंथा
| १७५
२४ १० वीं शती लामादेवीयर |
वीरवेल की रानी थी।
जैन. लिट् इन.
तमिल
रानी की प्रेरणा से राजा ने | तिरूपनमलै के देव को कुरगनपाड़ गाँव से कुछ आय
फुर देनी शुरू कर दी
| २५ १० वी शती
पुल्लप्पइ ।
| चामुण्डराज की छोटी
बहन थी
चंद्रायने
कन्नर की रानी थी।
निषीदिका अर्थात् | जैना. इन. इन. त. oo-३० अनशनपूर्वक मत्यु का
वर्णन है। सिंदवाड़ी १००० पर | द. भा. में. जै. ६ | १३५, शासन किया था। मंदिर का निर्माण किया तथा दानादि भी दिया था।
जै. बि. पा.1 | २१६ सात वर्ष तक बड़े कौशल
से राज्य चलाया था. समाधिमरण किया था।
२७ । ६६ ।
जक्कियब्बे
नागरगुण्ड के नालगवुण्ड की पत्नी
कांचिकब्बे | पति आयनगावुण्ड
बसदि का निर्माण किया था। कुछ भूमिदान में दी थी। एक | जै. शि. सं. भां. ४ | ७६
उद्यान भी
अर्पित किया था।
१. पी. बी. देसाई के अनुसार तिरूपनमलै के देव बैठे हुए जिन की मूर्ति है।
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