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________________ 260 आठवीं से पंद्रहवीं शताब्दी की जैन श्राविकाएँ | | सन् श्राविका नाम| वंश/गोत्र अवदान प्रेरक/प्रतिष्ठापक आचार्य/गच्छ संदर्भ ग्रंथ | चाँदकव्वे |४७८ जैनधर्म के उपासक चतुर्थ रहराजा शांतिवर्मा की रानी थी। १५० महत्तर भूमि जिनमंदिर के लिए व्याकरणाचार्य बाहुबली देव| को प्रदान की थी। ब्रपं.चंदाबाई अभिनंदन ग्रंथ ५० । पालियक्क जै. शि. सं. भा.२ पालियक्क बस्ती " नामक मंदिर| बनवाया, व्यवस्था के लिए दान दिया था। | द. भा. में. जै.६ २४ २२१० वीं शती जक्कियब्बे | कर्नाटक के जैन सेनापति पुणिसमथ्य की पत्नी थी। कपाजपेठ तालुका के होसकोट बस्ती मेंएक जिनमंदर बनाक्याथ। २३ | ६६२ । कल्लब्बा कॉल देश मेंएक जिनमंदर | जै. शि. सं.भा.५ | २१ का निर्माण करवाया था। चालुक्य राजा सिंह वर्मा की कन्या थी गंगराज बूतुग जयदुत्तरंग की पत्नी थी। पुत्र मरसिंथा | १७५ २४ १० वीं शती लामादेवीयर | वीरवेल की रानी थी। जैन. लिट् इन. तमिल रानी की प्रेरणा से राजा ने | तिरूपनमलै के देव को कुरगनपाड़ गाँव से कुछ आय फुर देनी शुरू कर दी | २५ १० वी शती पुल्लप्पइ । | चामुण्डराज की छोटी बहन थी चंद्रायने कन्नर की रानी थी। निषीदिका अर्थात् | जैना. इन. इन. त. oo-३० अनशनपूर्वक मत्यु का वर्णन है। सिंदवाड़ी १००० पर | द. भा. में. जै. ६ | १३५, शासन किया था। मंदिर का निर्माण किया तथा दानादि भी दिया था। जै. बि. पा.1 | २१६ सात वर्ष तक बड़े कौशल से राज्य चलाया था. समाधिमरण किया था। २७ । ६६ । जक्कियब्बे नागरगुण्ड के नालगवुण्ड की पत्नी कांचिकब्बे | पति आयनगावुण्ड बसदि का निर्माण किया था। कुछ भूमिदान में दी थी। एक | जै. शि. सं. भां. ४ | ७६ उद्यान भी अर्पित किया था। १. पी. बी. देसाई के अनुसार तिरूपनमलै के देव बैठे हुए जिन की मूर्ति है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003610
Book TitleJain Shravikao ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPratibhashreeji
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2010
Total Pages748
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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