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जैन प्राविकाओं का बृहद् इतिहास
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क्र. | सन् श्राविका नाम
वंश/गोत्र
अवदान
प्रेरक/प्रतिष्ठापक आचार्य/गच्छ
संदर्भ ग्रंथ
२६ | १०२७
सोमलदेवी
७६
चालुक्य राजा जयसिंह की कन्या
पिरियमोसंगिकी बसदि के | जै. शि. सं. भा. ४ लिए कुछ दान दिया था।
३० - ०४७ | अक्कादेवी
जै. शि. सं. भा.४ |
३
| विक्रमपुर के गोणद बेडगि जिनमंदिर के लिए दान
दियथ।
मूलसंघ, सेनगण, हेगरि गच्छ| के नागसेन पंडित कोदान
समपित कियाथ।
नाविकबे
र
महामण्डलेश्वर जोयिमध्यरस की पत्नी थी।
कोण्डकुन्देय तीर्थ में चट्ट | जै. शि. सं. भा. ४ जिनालय का निर्माण किया, तथा मंदिर के लिए भूमि दान
में दी थी।
| ३२ | १८ |
भोगवे ।
तिप्पिसेट्टी सातय्य की पत्नी भोगव थी। देसीगण पुस्तक गच्छ कुंदकुंदान्वय के सकलचंद्र भट्टारक की
शिष्या थी।
अपरायणा थी तथा अंतिम | जै. शि. सं. भा. ४, | समय में समाधिमरण के साथ
देह त्याग किया था।
माकब्बे गति
समाधिमरण
|
जै. शि. सं. भा.४
७४
-
महादेवी
जै. बि. पा.
१६६
लालपत्थर की महावीर
प्रतिमा
महादेवी
| धर्मसेन की पत्नी
वागट संघ
जै. शि. सं. भा.५ | २५
जिनमूर्ति की स्थापना
की थी
थी
५
।
पदमावती
बीबतसाह श्रेष्ठी की
पत्नी थी।
| प्रतिमा की प्रतिष्ठापना| जै. शि. सं. भा. २ | ३३२
करवाई थी।
प्रभावती
बीवनशाह की पत्नी
|
म. प्र. जै.६
आदिनाथ भ. की मूर्ति स्थापित करवाई थी।
मोहिनी
ठकुर फारूककी
पत्नी थी।
पदमावती मूर्ति की | जै. शि. सं.भा.५ | ३१४३ स्थापना करवाई थी।
पोचब्बरसि । राजाधिराज कोंगाल |
की माँ थी।
जै. शि. सं. भा. २ | २३२,२३३/
गुरू गुणसेन पंडितदेव द्रविलगण, नंदीसंघ
अपने गुरू की प्रतिमा बनवाकर | | जलधारापूर्वक उन्हें समर्पित
की थी।
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