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________________ जैन प्राविकाओं का बृहद् इतिहास 261 क्र. | सन् श्राविका नाम वंश/गोत्र अवदान प्रेरक/प्रतिष्ठापक आचार्य/गच्छ संदर्भ ग्रंथ २६ | १०२७ सोमलदेवी ७६ चालुक्य राजा जयसिंह की कन्या पिरियमोसंगिकी बसदि के | जै. शि. सं. भा. ४ लिए कुछ दान दिया था। ३० - ०४७ | अक्कादेवी जै. शि. सं. भा.४ | ३ | विक्रमपुर के गोणद बेडगि जिनमंदिर के लिए दान दियथ। मूलसंघ, सेनगण, हेगरि गच्छ| के नागसेन पंडित कोदान समपित कियाथ। नाविकबे र महामण्डलेश्वर जोयिमध्यरस की पत्नी थी। कोण्डकुन्देय तीर्थ में चट्ट | जै. शि. सं. भा. ४ जिनालय का निर्माण किया, तथा मंदिर के लिए भूमि दान में दी थी। | ३२ | १८ | भोगवे । तिप्पिसेट्टी सातय्य की पत्नी भोगव थी। देसीगण पुस्तक गच्छ कुंदकुंदान्वय के सकलचंद्र भट्टारक की शिष्या थी। अपरायणा थी तथा अंतिम | जै. शि. सं. भा. ४, | समय में समाधिमरण के साथ देह त्याग किया था। माकब्बे गति समाधिमरण | जै. शि. सं. भा.४ ७४ - महादेवी जै. बि. पा. १६६ लालपत्थर की महावीर प्रतिमा महादेवी | धर्मसेन की पत्नी वागट संघ जै. शि. सं. भा.५ | २५ जिनमूर्ति की स्थापना की थी थी ५ । पदमावती बीबतसाह श्रेष्ठी की पत्नी थी। | प्रतिमा की प्रतिष्ठापना| जै. शि. सं. भा. २ | ३३२ करवाई थी। प्रभावती बीवनशाह की पत्नी | म. प्र. जै.६ आदिनाथ भ. की मूर्ति स्थापित करवाई थी। मोहिनी ठकुर फारूककी पत्नी थी। पदमावती मूर्ति की | जै. शि. सं.भा.५ | ३१४३ स्थापना करवाई थी। पोचब्बरसि । राजाधिराज कोंगाल | की माँ थी। जै. शि. सं. भा. २ | २३२,२३३/ गुरू गुणसेन पंडितदेव द्रविलगण, नंदीसंघ अपने गुरू की प्रतिमा बनवाकर | | जलधारापूर्वक उन्हें समर्पित की थी। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003610
Book TitleJain Shravikao ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPratibhashreeji
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2010
Total Pages748
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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