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आठवीं से पंद्रहवीं शताब्दी की जैन श्राविकाएँ
अवदान
| क्र.| सन् श्राविका नाम| वंश/गोत्र | | प्रेरक/प्रतिष्ठापक
आचार्य/गच्छ
संदर्भ ग्रंथ
के. सं प्रा. मेनु
१३२ ३ वीं शती देवकी, सुव्रता,
शील, रम्या.
की
| उपदेशमालाबहद्वत्तिसह
प्राकत कथा सह
१३३ १३ वीं शती
युगमुनिरवि
हसला, अनुपमादेवी
भवभावनाप्रकरण स्वोपज्ञ
त्ति सह
१३४ | १२६५-१२६६
मादवे
।
जक्कय की पत्नि
समाधिमरण का स्मारक है
जै शि. सं भा.४
| २५८
..
चण्डिगैडिके | सिरिचय गौड़ की
पनि
बसदि को दान तथा समाधि जै. शि. सं. भा. ४
मरण का उल्लेख है।
१३६ १३ वीं सदी
सेटी महादेवी
ब्रह्मदेव प्रतिमा की स्थापना, जै. शि. सं.भा.४
जकौब्बे
कमलसेन
समाधिमरण
जै. शि. सं. भा.४ ।
चेकवा
निसिधि स्थापित की थी
जै. शि. सं. भा.४ | २५
नागसिरियव्वे
जै. शि. सं. भा.४
पार्श्वनाथ बसदि के लिए भूमि का दान दिया था।
१२४५ | एक श्राविका
जै. शि. सं. भा.४ | २५५
चैत्यालय मंदिर बनवाया
था।
१२४७
राजलदेवी
पद्मसेन मुनि
| विजयजिनालय के लिए | जै. शि. सं. भा.४ कुछ भूमिएवं द्रव्य का
दान दिया था।
| १४२ | RA | चंद्रिका महादेवी | राजा कार्तवीर्यदेव
की माता थी।
| रट्टो का मंदिर बनवाया था। जै. शि. सं. भा. त. | २६७।
| १४३ / १२५५ ।
सेयिदेवी
जै. शि. सं. भा. | ३५०
माधव तथा कामांबिका | मूलसंघ, बालचंद्र देव | समाधिपूर्वक स्वर्गवासिनी| | की पुत्री थी। सोमाम्बिका
हुई थी। की माँ थी
१४४ | १२४३ ।
कामले
जै. शि. सं. भा. ३ | ३३८
पेक्किमसेट्टि की पुत्री] शुभकीर्ति पंडितदेव शीलवती सर्वगुणयुक्त, आहार
भेषज, शास्त्रदान में निरत, | समाधि के साथ मत्यु का वरण
किया था।
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