SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 292
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 270 आठवीं से पंद्रहवीं शताब्दी की जैन श्राविकाएँ अवदान | क्र.| सन् श्राविका नाम| वंश/गोत्र | | प्रेरक/प्रतिष्ठापक आचार्य/गच्छ संदर्भ ग्रंथ के. सं प्रा. मेनु १३२ ३ वीं शती देवकी, सुव्रता, शील, रम्या. की | उपदेशमालाबहद्वत्तिसह प्राकत कथा सह १३३ १३ वीं शती युगमुनिरवि हसला, अनुपमादेवी भवभावनाप्रकरण स्वोपज्ञ त्ति सह १३४ | १२६५-१२६६ मादवे । जक्कय की पत्नि समाधिमरण का स्मारक है जै शि. सं भा.४ | २५८ .. चण्डिगैडिके | सिरिचय गौड़ की पनि बसदि को दान तथा समाधि जै. शि. सं. भा. ४ मरण का उल्लेख है। १३६ १३ वीं सदी सेटी महादेवी ब्रह्मदेव प्रतिमा की स्थापना, जै. शि. सं.भा.४ जकौब्बे कमलसेन समाधिमरण जै. शि. सं. भा.४ । चेकवा निसिधि स्थापित की थी जै. शि. सं. भा.४ | २५ नागसिरियव्वे जै. शि. सं. भा.४ पार्श्वनाथ बसदि के लिए भूमि का दान दिया था। १२४५ | एक श्राविका जै. शि. सं. भा.४ | २५५ चैत्यालय मंदिर बनवाया था। १२४७ राजलदेवी पद्मसेन मुनि | विजयजिनालय के लिए | जै. शि. सं. भा.४ कुछ भूमिएवं द्रव्य का दान दिया था। | १४२ | RA | चंद्रिका महादेवी | राजा कार्तवीर्यदेव की माता थी। | रट्टो का मंदिर बनवाया था। जै. शि. सं. भा. त. | २६७। | १४३ / १२५५ । सेयिदेवी जै. शि. सं. भा. | ३५० माधव तथा कामांबिका | मूलसंघ, बालचंद्र देव | समाधिपूर्वक स्वर्गवासिनी| | की पुत्री थी। सोमाम्बिका हुई थी। की माँ थी १४४ | १२४३ । कामले जै. शि. सं. भा. ३ | ३३८ पेक्किमसेट्टि की पुत्री] शुभकीर्ति पंडितदेव शीलवती सर्वगुणयुक्त, आहार भेषज, शास्त्रदान में निरत, | समाधि के साथ मत्यु का वरण किया था। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org,
SR No.003610
Book TitleJain Shravikao ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPratibhashreeji
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2010
Total Pages748
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy