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6/जैन समाज का वृतद् इतिहास
शासकों के रियासतों में अथवा युद्धों में फंसे रहने से उधर ध्यान नहीं जाने के कारण भी बहुत से मन्दिर बचे रहे।
जैन समाज कभी पूरे देश में करोड़ों में था। छोटे-छोटे गाँवों तक में उनकी बहुसंख्या थी । कहते है अकबर के शासन काल में ही जैन समाज की संख्या तीन करोड़ से अधिक थी लेकिन उसके पश्चात् वह घटने लगी और जब देश में सन् 1901 में जनगणना हुई तो उसकी संख्या केवल 18,34,148 रह गई। ये तो सरकारी आंकड़े है। हिन्दू जैन का विशेष अन्तर नहीं जानने के कारण यह संख्या सही न भी आई हो तो भी उस समय भी 40,00,000 से अधिक संख्या नहीं होनी चाहिये।
बिहार एवं उड़ीसा :
भगवान महावीर के युग में और उसके सैकड़ों वर्षों बाद भी बिहार जैन धर्मानुयायियों का प्रमुख केन्द्र बना रहा। बिहार का मानभूम जिला जैन पुरातत्त्व की दृष्टि से सबसे समृद्ध जिला था। बिहार में ही सम्मेद शिखर, राजगृही, पावापुर, कुण्डलपुर जैसे तीर्थ आज भी प्रतिवर्ष हजारों लाखों यात्रियों को अपनी ओर आकृष्ट करते हैं। इतिहासज्ञों के अनुसार 12वीं शताब्दी तक बिहार जैन समाज का केन्द्र बना रहा लेकिन उसके पश्चात् उसका वहाँ पतन प्रारम्भ हो गया। जो 18वीं शताब्दी तक बराबर चलता रहा। यहाँ के मूल निवासी जैन शिक्षा एवं साधु सम्पर्क के अभाव में श्रावक से सराग बन गये और वे यह भी भूल गये कि कभी उनके पूर्वज जैन थे। लेकिन पिछले 150 वर्षों से बिहार में पुन: जैन धर्मानुयायी जाकर बसने लगे है । यह क्रम अब भी बराबर चालू है।
बिहार की तरह उड़ीसा में खण्डगिरी, उदयगिरी की गुफायें, इस तथ्य का सबसे बड़ा प्रमाण है कि यहां भी जैन धर्म एवं जैन समाज प्रथम शताब्दी से ही जीवित समाज रहा । वर्तमान में भी ये गुफाये जैन तीर्थ का स्थान प्राप्त किये हुये है।
बंगाल एवं आसाम :
भगवान महावीर के निर्वाण के पश्चात् जैन धर्म देश के सभी भागों में फैल गया। बंगाल का बर्दमान जिला वर्धमान के नाम से जाना जाने लगा क्योंकि महावीर ने कैवल्य प्राप्ति के पहले बंगाल के लाड़ देश में विहार किया था और घोर उपसर्गों का सामना करना पड़ा था। बंगाल के राजाशाही जिले के पहारपुर में ताम्रपत्र मिला है उससे पता चलता है कि गुप्त काल में यहा जैन धर्म एवं समाज का पर्याप्त विस्तार था। इसके अतिरिक्त दिनाजपुर, मिदनापुर, बांकु, चौबीस परगना, जिलों में कायोत्सर्ग प्रतिमाओं की उपलब्धि, बंगाल में जैन धर्मावलम्बियों का होना सिद्ध करता है। भगवान महावीर के 1000 वर्ष तक यहाँ जैन समाज फला-फुला लेकिन मुस्लिम काल में उसका निरन्तर हास होता गया। समाट अकबर के शासन काल में जब आमेर के राजा मानसिंह वहाँ के गवर्नर थे तब नानू गोधा उनके मुख्यमन्त्री थे। नानू गोधा ने उस समय बंगाल में 84 मन्दिरों का निर्माण कराया, इससे यह स्पष्ट है कि उस समय भी वहाँ जैन समाज काफी अच्छी संख्या में रहता था। बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में 200 वर्ष पूर्व ही राजस्थान