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कथा-साहित्य
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भद्रसूरिदेव के शिष्य ने लिखी थी । तीसरी' रचना भानुचन्द्रगणि के शिष्य भावचन्द्र की है जो प्रकाशित है ।
निमिराजकाव्य – इसमें निमिराज का चरित्र है । यह काव्य ५००० श्लोकप्रमाण है। नवरसात्मक होते हुए भी यह शान्तरस - प्रधान है । इसकी रचना प्रसिद्ध अध्यात्मी एवं महात्मा गांधी के मान्य गुरु कवि रायचन्द्र ने की है । कवि का देहोत्सर्ग मात्र ३३ वर्ष की उम्र में सं० १९५७ में राजकोट में हुआ था । इनकी अनेक रचनाएँ उपलब्ध हैं ।
परमहंससंबोधचरित - हरिभद्र की कथा से सम्बद्ध हंस- परमहंस के चरित्र को लेकर उक्त संस्कृत रचना का निर्माण खरतरगच्छ के गुणशेखरगणि के शिष्य नयरंग ने सं० १६२४ में किया । इसमें ८ सर्ग हैं । "
अन्य लघु कथाग्रन्थों में निम्नलिखित कृतियों का उल्लेख मिलता है । विस्तारभय से सबका परिचय देना सम्भव नहीं है :
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अभयसिंहकथा' ( संस्कृत, १३८ ग्रन्थाग्र ), आर्य आषाढकथा', इन्द्रजालिककथा " ( रत्नशेखर ), गंगदत्तकथानक ' ( सं० १६८२ ), गण्डू रायकथा', चण्डपिंगलचोरकथा", कर्मसारकथा", काकजंघको कासककथा” या कोकासककथानक, कुसुमसार ३ ( १७०० गाथाएँ, नेमचन्द्र, सं० १०९९ ), कृतकर्मराजर्षि४, खर्परचौरकथा" ( गद्य ), गोधनकथा " ( संस्कृत ), चन्द्रोदयकथा", चामरहारिकथा ", जिनदासकथा ", दृढप्रहारिकथा, दृष्टान्तरहस्यकथा, देवकुमार- प्रेतकुमारकथा ( प्रोषधव्रत पर ), धनपतिकथा ३ ( गद्य, सं० १४८९ ), धन्नाकाकदी कथा", धर्मपालकथा " ( संस्कृत ), धर्ममित्रकथा, धर्मराज था
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१. भट्टारक सम्प्रदाय, पृ० २२२. २. जिनरत्नकोश, पृ० १८६, ३. वही, पृ० २१२; जैन साहित्यनो संक्षिप्त इतिहास, पृ० ७१२. ४. जिनरत्नकोश, पृ० २३६; मणिधारी जिनचन्द्रसूरि अष्टम शताब्दी स्मृतिग्रन्थ, द्वितीय खण्ड, पृ० २८. ५. जिनरत्नकोश, पृ० १३. ६. वही, पृ० ३४. ७. वही, पृ० ३९. ८. वही, १०१. ९. वही, पृ० १०३. १०. वही, पृ० ११३. ११ वही, पृ० ७३. १२ . वही, पृ० ८३. १३. वही, पृ० ९४. १४. वही, पृ० ९५. १५. वही, पृ० १०१. १६. वही, पृ० ११०. १७. वही, पृ० १२१. १८. वही, पृ० १२२. १९. वही, पृ० १३५. २०-२२. वही, पृ० १७७, २३-२४. वही, पृ० १८७. २५. वही, पृ० १९०. २६. वही, पृ० १९१. २७. वही, पृ० १९२.
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