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जैन साहित्य का बृहद् इतिहास
का जिनेन्द्र गुणसंस्तुति या पात्र केशरीस्तोत्र' मानतुंगाचार्य ( ७वीं शती ) का भक्तामर स्तोत्र' (आदिनाथस्तोत्र ), बध्पभट्टि ( ८वीं शती) के सरस्वतीस्तोत्र, शान्तिस्तोत्र, चतुर्विंशतिजिनस्तुति, वीरस्तव, धनंजय ( ८वीं शती) का विषापहार', जिनसेन ( ९वीं शती) का जिनसहस्रनाम, विद्यानन्द का श्री पुरपार्श्वनाथ, कुमुदचन्द्र ( सिद्धसेन ११ वीं शती) का कल्याणमन्दिर ", शोभनमुनि ( ११वीं शती) कृत चतुर्विंशतिजिन स्तुति', वादिराजसूरिकृत ज्ञानलोचनस्तोत्र' एवं एकीभावस्तोत्र", भूपालकवि ( ११वीं शती) कृत जिनचतुर्विंशतिका", आचार्य हेमचन्द्र ( १२वीं शती) कृत वीतरागस्तोत्र, महादेवस्तोत्र" और महावीरस्तोत्र", जिनवल्लभसूरि ( १२वीं शती) रचित " भवादिवारण, अजितशान्तिस्तव आदि अनेक स्तोत्र, पं० आशाघर ( १३वीं शती) कृत सिद्धगुणस्तोत्र, जिनप्रभसूरि" ( १३वीं शती ) सिद्धांतागमस्तव, अजितशान्ति-स्तवन प्रभृति अनेक स्तोत्र,
महामात्य
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9. प्रथम गुच्छक, प्रकाशक - पन्नालाल चोधरी, काशी, वि० सं० १९८२. २. काव्यमाला, सप्तम गुच्छक, पृ० १.
३. आगमोदय समिति, बम्बई, १९२६, जैनस्तोत्रसंदोह, भाग १.
४. काव्यमाला, सप्तम गुच्छक, पृ० २२.
भारतीय ज्ञानपीठ, काशी, १९५४.
५.
६. वीर सेवा मन्दिर, दिल्ली, वि० सं० २००६.
७.
काव्यमाला, सप्तम गुच्छक, पृ० १०.
८. वही, पृ० १३२-१६०; आगमोदय समिति, बम्बई.
९. सिद्धांतसारादिसंग्रह ( मा० दिग० जैन ग्रन्थमाला ), पृ० १२४.
१०. काव्यमाला, सप्तम गुच्छक, पृ० १७-२२.
११. वही, पृ० २६.
१२. देवचन्द्र लालभाई जैन पुस्तकोद्धार, ग्रन्थांक १.
१३. काव्यमाला, सप्तम गुच्छक, पृ० १०२-१०७.
१४. जैनस्तोत्रसन्दोह, भाग १.
१५. काव्यमाला, सप्तम गुच्छक पृ० ८६, १०७ - ११९; जैनस्तोत्रसन्दोह, भाग १; जिनप्रभसूरि ने ऋषभदेव पर ११ पद्यों में एक स्तोत्र फारसी भाषा में भी लिखा ( जैनस्तोत्रसमुच्चय, निर्णयसागर प्रेस, बम्बई, ९०वाँ स्तोत्र संस्कृत भवचूरि के साथ) ।
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