Book Title: Jain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 6
Author(s): Gulabchandra Chaudhary
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi
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६७८
जैन साहित्य का वृहद् इतिहास
वलभी १०, ३१७, ३६१, ४२७
४३७, ४४६, ५०१, ५६९, वल्कलचीरि १४१
५९०-५९३ वल्लभराज ३९७
वस्तुपालचरित २२६, ३०७, ४१६, वल्लभाचार्य ५६३
५०२ वसन्तकीर्ति ४५७
वस्तुपाल-तेजपालचरित २२६ वसन्तनिवास ४०३
वस्तुपाल-तेजपालप्रशस्ति ४०९, ४३८, वसन्तपाल ४०५, ४४१, ५०२ वसन्तविलास १८, ४०५
वस्तुपालप्रशस्ति ४०९, ४३८, ४३९ वसन्तसेना ४४, १२७
वस्तुपालस्तुति ४०९ वसु ६१, १४२
वस्त्रदानकथा ३३४ वसुदत्त १४१
वाकाटक ३७ वसुदेव ४३, ११७, १२७, १३१,
वाक्पति मुंज ४२३ १४०, १४४, ३४४,४७८, ५२६
वागड ५३ वसुदेवचरित ३४, ४४, ८६, १४०,
वागर्थसंग्रह ३४ वाग्भट २२,२९,३०,७५,९५, ११५,
.४१०, ४१६, ४२३, ४३०, वसुदेवहिण्डी ४, ३४, ४४, १३१,
४७९-४८१, ४८९, ५२२ १३९, १४०,१५४,२६९, वाग्भटमेरु १६४, १९३, ३४५ ३०८,३३८, ३४१, ३४९, वाग्भटालंकार ४३०, ४८१ ३९०, ५२१, ५९३
वाग्वर ५३ वसुदेवहिण्डीआलापक १४४
वाटग्राम ५९ वसुदेवहिण्डीसार १४४
वाणीवल्लभ १२६ बसुन्धरा ८९
वादिचन्द्र ५३, १२५, १४५, १७९, वसुपुज्जरिय ८४
१८१, २८३, २९०, २९९, वसुभूतिकथा ३३४
५४६, ५५१, ६०१ वसुभूतिवसुमित्रकथा ३३४
वादिदेवगच्छ ४०८ वसुराज १२७
वादिदेवसूरि ८८, ५८७, ५८८ वसुराजकथा ३३४
वादिभूषण २९१, ४५७ वस्तुपाल १४, १७, १८, २५, १०६, वादिराज ११९, १४९, १५०, २८३,
१२१, १३२, २०६, २२६, २८७, ५१५, ५२७ २५१, २५८, ३६४, ४०३, वादिराजपूरि ११८, ४८४,५६८ ४१६, ४२३, ४२८, ४३०, वादिवेताल शान्तिसूरि ३०८
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