Book Title: Jain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 6
Author(s): Gulabchandra Chaudhary
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi
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१५२
जैन साहित्य का वृहद् इतिहास
पद्मनाथ ४२, ९६,२९०, ४८२, पद्मनाभकवि ३३४ पद्मनाभ कायस्थ २८३ पद्मनाभचरित ५३ पद्मनाभपुराण ९६ पद्मपुराण २६, ४०, ४२, ४८, २५६,
५९५, ५९७ पद्मपुराण-पंजिका ४२ पद्मप्रभ ८१, ११०, ११२, पद्मप्रभचरित्र ९६, ३८५ पद्मप्रभसूरि ११२ पद्ममंत्री ९३, ५१४ पद्ममन्दिरगणि २५१, ४५२ पद्ममहाकाव्य ४२ पद्ममूर्ति २२२ पद्ममेरु ६६, १२५ पद्मरथ १६३, ३५२ पद्मलोचना १०३ पद्मलोचनकथा ३३४ पद्मविजय १७८, १९६, ३२७ पद्मसागरगणि २१७ पद्मविजयगणि १७६ पद्मश्री ३५७ पद्मश्रीकथा ३५७ पद्मसागर ४२, २०९, २१७, २८३,
पद्मा ८९ पद्माक १६४ पद्माकर २५५, २६१ पद्माकरकथा ३२९, ३३४ पद्मादित्य ४०८ पद्मानन्द ७७, ५६० पद्मानन्द-महाकाव्य ९३, ५१४ पद्मावत १६५, १७२, ३०७ पद्मावती १०, १०३, १४३, १६२,
३०६, ६१२, ३१३, ३५४,
३८६, ५०३ पद्मावतीचरित्र ३५४ पद्मिनीचरित ३६० पद्मेन्दु ४९९ पद्मोत्तर १७५ पनसोगे ६४ पभोसा ४६८, पम्प ९, १८८, ५३८ परदेशीचरित ३१८ परबत ४४६, ४४७ परमर्दि ३०१ परमर्दिदेव १७० परमहंससंबोधचरित ३३३ परमात्मराजस्तोत्र ५२ परमानन्द २५५ परमानन्द शास्त्री ३८ परमानन्दसूरि ३०४, ३४३ परमार ९, १३, ४२, ६३,६६, १०२,
११५, १४६, २३६, ३४२, ४०१, ४०२, ४१८, ४२५, ४४४, ४६१, ४७६, ५३५ ।
४३४
पद्मसागरगणि २६४, २७४ । पद्मसुन्दर ६६, ६७, १२५, १५५,
१५७, ३६६, ४३२, ६०१ पद्मसुन्दर नागौरी १५५ पद्मसेन ४५, १०२, १०३, ३५५
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