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ललित वाड्मय
इस काव्य पर कवि के शिष्य धर्मशेखरगणि ने टोका लिखी है। काव्य का संशोधन माणिक्यसुन्दरसूरि ने किया था।
अन्य लघुकाव्यों में मण्डनकवि के तीन लघुकाव्य उल्लेखनीय हैं। इनका संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है :
कादम्बरीमण्डन :
कवि मण्डन की अन्यतम कृतियों में से यह एक है। इसकी रचना मण्डन ने मालवा के बादशाह होशंगशाह के अनुरोध पर की थी। होशंगशाह को मण्डन जैसे विद्वानों की संगति से संस्कृत साहित्य से बड़ा प्रेम हो गया था। एक सभय सायंकाल उसने एक विद्वद्गोष्ठी की और मण्डनकवि से कहा कि मैंने कादम्बरी की बड़ी प्रशंसा सुनी है, उसकी कथा सुनने की मेरी बड़ी लालसा है परन्तु राज्यकार्य में व्यस्त रहने के कारण इतनी मोटी पुस्तक के सुनने का समय नहीं। तुम तो बड़े विद्वान् हो, उसे संक्षेप करके सुना दो। उसकी इस इच्छा को तृत करने के लिए मण्डन ने इस ग्रन्थ को संक्षेप में अनुष्टुभ् छन्दों द्वारा चार परिच्छेदों में रचा है। चन्द्रविजयप्रबंध:
इस काव्य' में चन्द्र और सूर्य के बीच संग्राम होने का वर्णन है और अष्ट प्रहर के भयंकर संग्राम के पश्चात् चन्द्रमा की विजय दिखाई गई है। ___इस अपूर्व काव्य के रचयिता विद्वान् मंत्री एवं कवि मण्डन हैं । इस ग्रन्थ
की रचना का कारण मनोरंजक है। एक रात्रि को मण्डन के निवास पर प्रसिद्ध विद्वानों और कवियों का भारी समारोह लगा था। पूर्णिमा की तिथि होने के कारण चन्द्रमा भी पूर्ण कलाओं के साथ था। सभा समस्त रात्रि और दूसरे दिन संध्यापर्यन्त जुड़ी रही। विद्वानों ने चन्द्रमा को अपनी समस्त कलाओं के साथ पूर्व में उदय होते देखा, फिर प्रातः रवि की किरणों से परास्त होकर पश्चिम में निस्तेज होकर विलीन होते देखा और पुनः अपनी समस्त कलाओं सहित पूर्व में
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१. जिनरत्नकोश, पृ० ८४; हेमचन्द्राचार्य ग्रन्थावली, संख्या ८, पाटन (गुजरात)
से प्रकाशित । इस ग्रन्थ की प्राचीन हस्तलिखित प्रति सं० १५०४ में लिखी मिलती है। २. जिनरस्नकोश, पृ० १२०; हेमचन्द्राचार्य सभा, पाटन (गुजरात), संख्या १०.
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