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ऐतिहासिक साहित्य
वसन्तविलास :
इस काव्य' में प्रसिद्ध अमात्य वस्तुपाल के जीवन चरित्र का वर्णन है । वस्तुपाल का कविमित्रों द्वारा प्रदत्त द्वितीय नाम वसन्तपाल था । यह एक ऐतिहासिक काव्य है जिसमें १४ सर्ग हैं । इसमें कुल मिलाकर १०२१ पद्य हैं जो अनुष्टुभमान से १५९६ हैं । प्रत्येक सर्ग के अन्त में कवि ने वस्तुपाल के. पुत्र जैत्रसिंह की प्रशंसा में एक वृत्त रचा है, जिसके अनुरोध पर उसने यह काव्य बनाया था ।
वस्तुपाल के समकालिक कवि द्वारा रचित होने से इसमें वर्णित घटनाओं की सचाई में सन्देह के लिए बहुत कम अवकाश है । गुजरात के इतिहास पर इस काव्य से निम्नलिखित तथ्यों की जानकारी होती है :
४०५
१. चौलुक्य वंश की ब्रह्मा के चुलुक जल से उत्पत्ति तथा मूलराज से लेकर भीम द्वितीय तक नरेशों का वर्णन । इसमें जयसिंह, कुमारपाल और भीम द्वितीय के सम्बन्ध में अपेक्षाकृत विस्तार से वर्णन है ।
२. बघेलाशाखा के अर्णोराज, उसके पुत्र लवणप्रसाद तथा उसके पुत्र वीरधवल का वर्णन कर किन परिस्थितियों में वस्तुपाल - तेजपाल की मंत्रिपद पर नियुक्ति हुई, इसका वर्णन है । "
३. वस्तुपाल के प्राग्वाट वंश का वर्णन तथा पूर्वज चण्डप, चण्डप्रसाद, सोम के वर्णन के बाद सोम के पुत्र अश्वराज ( वस्तुपाल के पिता ) और उसकी पत्नी कुमारदेवी का वर्णन । उनसे मल्लदेव, वस्तुपाल और तेजपाल ये तीन पुत्र हुए ।
४. वस्तुपाल की मन्त्रिपद पर नियुक्ति से वीरधवल के राज्य की दिन-प्रतिदिन उन्नति होना । वीरधवल द्वारा लाट देश पर आक्रमणकर और खम्भात को छीनकर वहाँ वस्तुपाल को गवर्नर बनाना । वस्तुपाल द्वारा शासन व्यवस्था में सुधार तथा सम्पूर्ण धर्मों में समभाव । वस्तुपाल का काव्यप्रेम तथा कवियों के प्रति सम्मान ।
१. गायकवाड़ प्राच्य ग्रन्थमाला, बड़ौदा, १९१७; जिनरत्नकोश, पृ० ३४४. २. सर्ग १. ७५.
३. इस वर्णन का मिलान कीर्तिकौमुदी और सुकृतसंकीर्तन से कर सकते हैं । ४. यह वर्णन कीर्तिकौमुदी में वर्णित कथा का अनुकरण प्रतीत होता है ।
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