Book Title: Jain Dharma ka Maulik Itihas Part 2
Author(s): Hastimal Maharaj
Publisher: Jain Itihas Samiti Jaipur

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Page 16
________________ ० m ४५४ ४५५ मौर्य सम्राट अशोक सुहस्ती द्वारा सम्प्रति को प्रतिबोध सम्प्रेति का पूर्वभंव श्रमण-संघ में विसंभोग का प्रारम्भ राजा सम्प्रति द्वारा जैन धर्म का प्रचार एवं प्रसार उत्कट साधना का अनुपम प्रतीक अवन्ति सुकुमाल आर्य महागिरि की शिष्य-परम्परा आचार्य सुहस्ती की शिष्य-परम्परा समुच्छेदवादी चौथा निन्हव अश्वमित्र द्विक्रियावादी पांचवां निन्हव गंग आचार्य सुहस्ती के बाद की संघ-व्यवस्था वाचकवंश-परम्परा युगप्रधानाचार्य-परम्परा की नामावली गणाचार्य-परम्परा कल्पसूत्रस्थ स्थविरावली वाचनाचार्य बलिस्सह (११ वें पट्टधर) गुण सुन्दर (ग्यारहवें युगप्रधानाचार्य) सुस्थित-सुप्रतिबुद्ध (गणाचार्य) आर्य-बलिस्सहकालीन राजवंश कलिंगपति महामेघवाहन खारवेल भिक्खुराय खारवेल का वंश खारवेल के शिलालेख का लेखनकाल पुष्यमित्र शुंग ४५८ ४६० ४६३ ४६३ ४६५ ४६७ ४६८ ४७१ ४७२ ४७३ ४७३ ४७४ ४७६ ४७६ ४७७ ४८२ ४८७ ४८८ ४६१ वाचनाचार्य स्वाति (१२ वें पट्टधर) ५ -३ ४६४ ४६६ वाचनाचार्य श्यामाचार्य (१३ वें पट्टधर) १२ वें युगप्रधानाचार्य आर्य श्याम आर्य श्याम के आचार्यकाल की राजनैतिक एवं धार्मिक स्थिति भ्रम का निराकरण आर्य इन्द्रदिन्न गणाचार्य आर्य प्रिय ग्रन्थ ४६६ ४६६ . ५०६ ५०६ ... ५०८ वाचनाचार्य षांडिल्य (१४ वें पट्टधर) आर्य दिन गणाचार्य Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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