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मौर्य सम्राट अशोक सुहस्ती द्वारा सम्प्रति को प्रतिबोध सम्प्रेति का पूर्वभंव श्रमण-संघ में विसंभोग का प्रारम्भ राजा सम्प्रति द्वारा जैन धर्म का प्रचार एवं प्रसार उत्कट साधना का अनुपम प्रतीक अवन्ति सुकुमाल आर्य महागिरि की शिष्य-परम्परा आचार्य सुहस्ती की शिष्य-परम्परा समुच्छेदवादी चौथा निन्हव अश्वमित्र द्विक्रियावादी पांचवां निन्हव गंग आचार्य सुहस्ती के बाद की संघ-व्यवस्था वाचकवंश-परम्परा युगप्रधानाचार्य-परम्परा की नामावली गणाचार्य-परम्परा
कल्पसूत्रस्थ स्थविरावली वाचनाचार्य बलिस्सह (११ वें पट्टधर) गुण सुन्दर (ग्यारहवें युगप्रधानाचार्य)
सुस्थित-सुप्रतिबुद्ध (गणाचार्य) आर्य-बलिस्सहकालीन राजवंश कलिंगपति महामेघवाहन खारवेल भिक्खुराय खारवेल का वंश खारवेल के शिलालेख का लेखनकाल पुष्यमित्र शुंग
४५८ ४६० ४६३ ४६३ ४६५ ४६७ ४६८ ४७१ ४७२
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वाचनाचार्य स्वाति (१२ वें पट्टधर)
५
-३
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वाचनाचार्य श्यामाचार्य (१३ वें पट्टधर)
१२ वें युगप्रधानाचार्य आर्य श्याम आर्य श्याम के आचार्यकाल की राजनैतिक एवं धार्मिक स्थिति भ्रम का निराकरण आर्य इन्द्रदिन्न गणाचार्य आर्य प्रिय ग्रन्थ
४६६ ४६६
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५०६
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५०८
वाचनाचार्य षांडिल्य (१४ वें पट्टधर)
आर्य दिन गणाचार्य
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