Book Title: Jain Darshan ke Maulik Tattva
Author(s): Nathmalmuni, Chhaganlal Shastri
Publisher: Motilal Bengani Charitable Trust Calcutta
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बाइस
कर्मवाद
कर्म
आत्मा का आन्तरिक वातावरण
परिस्थिति
कर्म की पौद्गलिकता
आत्मा और कर्म का सम्बन्ध कैसे ?
बन्ध के हेतु
बन्ध
बन्ध की प्रक्रिया
कर्म कौन बांधता है ?
कर्म बन्ध कैसे ?
पुण्य बन्ध का हेतु
कर्म का नाना रूपों में दर्शन
फल- विपाक
उदय
उदय के दो रूप
अपने आप उदय में आने वाले कर्म के हेतु दूसरों द्वारा उदय में आने वाले कर्म के हेतु कर्म के उदय से क्या होता है ?
फल की प्रक्रिया
पुण्य-पाप
मिश्रण नहीं होता
१०१ - १५६
कोरा पुण्य
धर्म और पुण्य
उदीरणा योग्य कर्म
उदीरणा का हेतु-पुरुषार्थ पुरुषार्थ भाग्य को बदल सकता है।